मूल्य निरपेक्षता के परिणाम बताइये।
20वीं सदी के पूर्वार्द्ध में राजनीति सिद्धान्त के क्षेत्र में व्यवहारवादी क्रान्ति का सूत्रपात हुआ। इसके अन्तर्गत मूल्यों से पृथक रहने पर बल दिया गया। इस मूल्य निरपेक्षता के निम्नलिखित परिणाम हुये -
मूल्य निरपेक्षता के परिणाम
1. अति तथ्यवाद का उद्भव - मूल्यनिरपेक्षता के परिणाम स्वरूप राजनीति अध्ययनों व सिद्धान्त निर्माण में अति तथ्यवाद का उद्भव हुआ। मूल्यों के स्थान पर केवल तथ्यों को ही प्रमुख आधार बनाया जाने लगा। यह प्रवृत्ति सामाजिक विज्ञान की दृष्टि से अनुचित सिद्ध हुई।।
2. कोरे विज्ञानवाद का उदय - मूल्यनिरपेक्षता का एक अन्य गम्भीर परिणाम कोरे विज्ञानवाद के रूप में प्रकट हुआ। राजनीति सिद्धान्त को विज्ञान बनाने की चेष्टा की जाने लगी जबकि कोई भी समाजिक विज्ञान मूल्यों से पृथक एक प्राकृतिक विज्ञान नहीं बन सकता।
3. राजनीतिक सिद्धान्तों का आप्रंसगिक होना - सामाजिक विज्ञानों में तथ्यों के साथ-साथ मूल्यों का भी समान महत्व होता है। मूल्यनिरपेक्षता को आधार बनाकर जिन सिद्धान्तों व धारणाओं के निर्माण का प्रयत्न किया गया वह अप्रांसगिक सिद्ध हये।
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