संघीय शासन व्यवस्था की विशेषता (संविधान की सर्वोच्चता) (कठोर संविधान) (स्वतन्त्र तथा निष्पक्ष न्यायपालिका) (दोहरी शासन प्रणाली)
संघीय शासन व्यवस्था की विशेषता का वर्णन कीजिए
- अथवा संघात्मक शासन के प्रमुख लक्षण क्या हैं ?
- अथवा संघ शासन की मूल विशेषता क्या है उत्तर दीजिए
संघीय शासन व्यवस्था की विशेषता
(1) संविधान की सर्वोच्चता - संघीय शासन व्यवस्था में सबसे प्रमुख विशेषता यह होती है कि - व्यवस्था में संविधान को सर्वोच्च माना जाता है। संविधान देश की सभी प्रशासकीय संस्थाओं एवं दाधिकारियों की शक्ति का स्रोत है। केन्द्र या राज्य का कोई भी अधिकारी या शासन व्यवस्था इस वधान की धाराओं के प्रतिकूल कोई कार्य नहीं कर सकते हैं। राष्ट्रपति, राज्यपाल, न्यायाधीश तथा अन्य मुख पदाधिकारी अपना पद ग्रहण करने से पहले इसकी सर्वोच्चता को स्वीकार करते हुए इसके अनुसार, पने कर्त्तव्य के पालन करने की शपथ लेते हैं। अन्य संघात्मक संविधानों के समान इस व्यवस्था में भी वधान लिखित तथा कठोर होता है जो इस व्यवस्था की सर्वोच्चता का परिणाम है। संघीय शासन वस्था, में संविधान में केन्द्रीय तथा राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का स्पष्ट एवं विस्तारपूर्वक वर्णन या जाता है। भारतीय संविधान में भी केन्द्रीय तथा राज्य सरकारों की शक्तियों तथा कार्य क्षेत्र का स्तार से वर्णन किया गया है।
(2) कठोर संविधान - संघीय राज्य में कठोर संविधान का होना भी आवश्यक है। संशोधन करने दृष्टि से भारतीय संविधान तीन भागों में बाँटा गया है। प्रथम भाग वह है जिसमें संसद केवल साधारण हुमत से धाराओं को बदल सकते हैं। द्वितीय भाग में संशोधन करने के लिए संसद के दोनों सदनों के इस्यों की कुछ संख्या का स्पष्ट बहुमत तथा उपस्थित तथा मत देने वाले सदस्यों की संख्या का दो तिहाई हुमत आवश्यक हो। तृतीय भाग में संशोधन के लिए संसद के दोनों सदनों की कुल संख्या का स्पष्ट हुमत तथा उपस्थित एवं मत देने वाले सदस्यों की कुल संख्या के दो तिहाई बहुमत के अतिरिक्त म-से-कम आधे राज्यों के विधान मण्डलों के समर्थन की भी आवश्यकता है। संघीय व्यवस्था में वधान संशोधन इंग्लैण्ड के कानून के समान साधारण बहुमत से नहीं किया जा सकता है। संघीय शासन वस्था में संविधान में संशोधन की एक विशेष व्यवस्था थी।
(3) स्वतन्त्र तथा निष्पक्ष न्यायपालिका - संघीय शासन व्यवस्था में संविधान की व्याख्या तथा रक्षा करने के लिए, संघीय तथा राज्य सरकारों में परस्पर झगड़ों का निर्णय करने के लिए स्वतन्त्र यपालिका होती है। इस शासन व्यवस्था में न्यायपालिका, कार्यपालिका तथा व्यवस्थापिका के प्रभाव से तन्त्र होती है। न्यायपालिका, कार्यपालिका तथा व्यवस्थापिका की किसी भी कार्यवाही को जो संविधान विरुद्ध हो अवैद्य घोषित कर सकती है। न्यायपालिका संविधान का संरक्षक होती है तथा संसद या राज्य धानपालिकाओं द्वारा बनाये गये कानूनों को यदि वे संविधान विरुद्ध हों तो उन्हें रद्द कर सकते हैं।
(4) दोहरी शासन प्रणाली - संघात्मक शासन व्यवस्था में एक प्रमुख विशेषता दोहरी शासन गाली होती है। संघ तथा राज्य सरकार अलग-अलग होती हैं। इनकी स्थापना संविधान के द्वारा की जाती इसके द्वारा इनका कार्य क्षेत्र भी निश्चित होता है तथा अपने क्षेत्र में ये कानून भी बना सकती हैं। दोनों नरों का अपना अलग अस्तित्व होता है। केन्द्र तथा राज्य सरकारों को पृथक्-पृथक् कर लगाने का भी धिकार है। इस प्रकार संघीय तथा राज्य सरकारों का अलग-अलग होना भी संघात्मक शासन व्यवस्था 7 एक गुण है।
डॉ० अम्बेडकर के अनुसार, यह केन्द्र स्तर पर संघ तथा परिधि के स्तर पर राज्यों की व्यवस्था -रके दोहरी शासन प्रणाली की स्थापना करता है तथा दोनों को प्रभुसत्ता सम्पन्न शक्तियाँ दी गई हैं जो वे अपने-अपने क्षेत्रों में प्रयोग करते हैं। संघ तथा राज्यों की स्थापना संविधान द्वारा की गई है तथा दोनों अपनी-अपनी सत्ता संविधान से प्राप्त करते हैं कोई भी अपने क्षेत्र में दूसरे के अधीन नहीं हैं।
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