मूल्य निरपेक्षता का अर्थ बताइए।
मूल्य निरपेक्षता
मूल्य निरपेक्षता : 19वीं सदी के अन्त व 20वीं सदी के प्रारम्भिक वर्षों में परम्परावादी राजनीतिक सिद्धान्त का जोरदार विरोध प्रारम्भ हुआ। इस सन्दर्भ में ही व्यवहारवादी धारणा का उदय हुआ। व्यवहारवादी धारणा ने परम्परावादी पद्धति के मूल्यों पर बल देने की प्रवृत्ति की आलोचना की और राजनीतिक सिद्धान्तों को मूल्य निरपेक्ष बनाने पर बल दिया। इस प्रकार राजनीतिक सिद्धान्तों के क्षेत्र में मूल्यनिरपेक्षता की संकल्पना का उदय हुआ।
मूल्य निरपेक्षता का अर्थ है मूल्यों से पृथक या तटस्थ रहना। इसके अन्तर्गत राजनीतिक सिद्धान्तों के प्रतिपादन में मूल्यों के स्थान पर तथ्यों को महत्व देने पर बल दिया गया। 'मूल्य निरपेक्षता' की धारणा के तहत ही अतितथ्यवाद व तथ्य-मूल्य द्विभागीकरण की धारणाएँ उदित हुईं। मूल्य निरपेक्षता का सीधा सा अभिप्राय राजनीतिक अध्ययनों व विश्लेषणों में मूल्यों से पर्याप्त दूरी बनाए रखते हुये केवल और केवल तथ्यों व अनुभवात्मकता पर बल दिया गया। इस प्रकार मूल्य निरपेक्षता द्वारा मूल्यों के महत्व व उपयोगिता को उपेक्षित किया गया परन्तु उत्तर-व्यवहारवाद के अन्तर्गत शीघ्र ही इस भूल को सुधारा गया।
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