आंतरिक सज्जा को प्रभावित करने वाले कारक / तत्व: आंतरिक सज्जा निम्नलिखित कारक से प्रभावित होती है:- (1) संरचनात्मक तत्व, (2) वातावरण, (3) आर्द्रता एवं
आंतरिक सज्जा को प्रभावित करने वाले कारक / तत्व
आंतरिक सज्जा पर मकान की संरचना के साथ-साथ सम्पूर्ण वातावरण का प्रभाव पड़ता है। कुछ मुख्य उपकरण जैसे फर्नीचर आदि भी आंतरिक सज्जा को प्रभावित करते हैं। आंतरिक सज्जा निम्नलिखित कारक से प्रभावित होती है:- (1) संरचनात्मक तत्व, (2) वातावरण, (3) आर्द्रता एवं वायु की मात्रा, (4) मुख्य उपकरण फर्नीचर, (5) पारिवारिक आवश्यकता एवं रहन-सहन।
संरचनात्मक कारक / तत्व — आंतरिक सज्जा पर मकान की संरचना का सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है। एक खराब संरचना वाले मकान की अच्छी आंतरिक संरचना करना एक मुश्किल काम होता है। यद्यपि कुछ हद तक आंतरिक सज्जा द्वारा मकान की खराब संरचना के दोष को छिपाया जा सकता है। जैसे यदि कोई कमरा ज्यादा संकरा या लम्बा है, तो इसकी संकरी दीवारों पर हल्का रंग करके उसमें चौड़ाई का आभास उत्पन्न किया जा सकता है, किन्तु उस कमरे को वास्तविक रूप से सही माप का नहीं किया जा सकता है।
आंतरिक सज्जा में कमरे की दीवार, फर्श, छत, दरवाजे एवं खिड़कियों की स्थिति व आकार प्रभाव डालते हैं। जैसे यदि कमरे की दीवारें चिकनी नहीं हैं, फर्श असमतल है, छत नीची है, दरवाजे, खिड़िकयाँ गलत स्थान पर बने हैं या आवश्यकतानुरूप नहीं हैं तो आंतरिक सज्जा करने में कठिनाई आएगी।
वातावरण — आंतरिक सज्जा करते समय सम्पूर्ण वातावरण को ध्यान में रखा जाता है। वातावरण में निम्नलिखित तत्त्व शामिल हैं
तापमान — मकान के स्वरूप के निर्धारण में तापमान एक बड़ी भूमिका निभाता है। मकान बनवाते समय तापमान का ध्यान रखकर ही मकान खुला या बन्द बनवाया जाता है। तापमान ही मकान में दरवाजों एवं खिड़कियों की संख्या का निर्धारण करता है।
ठण्डे स्थानों की आंतरिक सज्जा इस प्रकार की जाती है ताकि गर्मपन का अनुभव हो। इसी तरह गर्म स्थानों में ठण्डक की अनुभूति का प्रयास किया जाता है। औसत तापमान वाले स्थानों पर काफी प्रयोग की गुंजाइश होती है। आंतरिक सज्जाकार यहाँ अपने स्वतन्त्र भावों को अभिव्यक्त कर सकता है।
प्रकाश — प्रकाश की उपलब्धता की मात्रा आंतरिक सज्जा को प्रभावित करती है। अधिक प्रकाश वाले स्थानों में गहरे रंग व गहरी परिसज्जा का उपयोग किया जा सकता है, जबकि कम प्रकाश वाले स्थानों में हल्के रंगों का उपयोग करना आवश्यक होता है।
आर्द्रता एवं वायु की मात्रा — आर्द्रता एवं वायु भी आंतरिक सज्जा पर प्रभाव डालती है। आंतरिक सज्जाकार सज्जा करने से पूर्व उस स्थान की आर्द्रता एवं वायु की मात्रा की जाँच करके आंतरिक सज्जा का कार्य करता है। इस तरह आंतरिक सज्जा द्वारा वातावरणीय तत्त्वों को ध्यान में रखकर एक सुविधाजनक एवं सुन्दर वातावरण का निर्माण किया जाता है।
मुख्य उपकरण फर्नीचर — किसी कमरे की आंतरिक सज्जा बिना फर्नीचर के अधूरी होती है। कमरे की आंतरिक सज्जा का तीन-चौथाई भाग फर्नीचर द्वारा ही निर्धारित होता है। मकान बनवाते समय फर्नीचर के आकार-प्रकार के अनुरूप ही कमरे बनवाने चाहिए ताकि फर्नीचर की व्यवस्था ठीक से की जा सके। कमरे और फर्नीचर का आपस में घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। कमरों के आकार पर ही फर्नीचर का आकार, संख्या तथा डिजाइन निर्भर करता है। यदि पहले से कुछ फर्नीचर उपलब्ध हो तथा कुछ अन्य नए फर्नीचर लिए जाने हों तो यह ध्यान रखना चाहिए कि दोनों में तालमेल होना अति आवश्यक है।
पारिवारिक आवश्यकता एवं रहन-सहन — आंतरिक सज्जा करते समय पारिवारिक आवश्यकताओं तथा रहन-सहन पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। हर परिवार की जीवन शैली तथा आवश्यकताएँ भिन्न होती हैं। घर में पूजाघर, जिम, खेल के लिए स्थान, पढ़ने का कमरा, पुस्तकालय आदि कुछ ऐसे तत्त्व हैं, जिनके लिए हर घर में अलग-अलग महत्त्व होता है। इसी प्रकार कुछ परिवार औपचारिकता पसन्द होते हैं, तो कुछ बेहद अनौपचारिक होते हैं। आंतरिक सज्जा में इन सभी बातों का ध्यान रखना पड़ता है।
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