मुख्यमंत्री पद की पात्रता सम्बन्धी सर्वोच्च न्यायालय के 10 सितम्बर, 2000 के निर्णय की व्याख्या कीजिए। मुख्यमंत्री मंत्री पद की पात्रता के सम्बन्ध में
मुख्यमंत्री पद की पात्रता सम्बन्धी सर्वोच्च न्यायालय के 10 सितम्बर, 2000 के निर्णय की व्याख्या कीजिए।
मुख्यमंत्री मंत्री पद की पात्रता के सम्बन्ध में न्यायालय के 21 सितम्बर, 2001 के निर्णय मुख्यमंत्री अथवा मंत्री पद पर नियुक्ति हेतु कौन व्यक्ति पात्र है और कौन नहीं ? इस सन्दर्भ में 91 सितम्बर 2001 को सर्वोच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति भरुचा की अध्यक्षता वाली पाँच सदस्यीय खण्डपीठ ने तमिलनाडू के तत्कालीन मुख्यमंत्री के सम्बन्ध में यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया था।
संविधान पीठ ने अपने सर्वसम्मत फैसले में यह निर्णय दिया कि किसी अपराधिक मामलों में तो या दो से अधिक वर्ष की सजा प्राप्त व्यक्ति को किसी राज्य के मुख्यमंत्री पद पर संविधान के अन 164 (A) व के तहत नियुक्त नहीं किया जा सकता। पीठ ने यह स्पष्ट किया कि महान राज्यपाल द्वारा यदि किसी ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति की जाती है जिसे विधान मण्डल की अयोग्य घोषित किया जा चुका हो तो ऐसी नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 164 के प्रावधानों के विपरीत>होगी। पीठ के निर्णय के अनुसार किसी अनिर्वाचित व्यक्ति को संविधान के अनुच्छेद (164) के तहत मंत्री या मुख्यमंत्री तभी बनाया जा सकता है जब उक्त व्यक्ति अनुच्छेद (173) की सभी शर्तों को पूरा करता हो तथा उसे संविधान के प्रावधानों के तहत अयोग्य न घोषित किया गया हो।
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