राजनीतिक सिद्धांत के क्षेत्र तथा विषय का वर्णन कीजिए। राजनीतिक सिद्धांत का क्षेत्र इस कारण बहत व्यापक होने लगा है। राजनीतिक सिद्धांत के आधनिक दृष्टिको
राजनीतिक सिद्धांत के क्षेत्र तथा विषय का वर्णन कीजिए।
- राजनीतिक सिद्धांत के क्षेत्र का वर्णन कीजिए
- राजनीतिक सिद्धांत के क्षेत्र का विषय कीजिए
राजनीतिक सिद्धांत का क्षेत्र
यदि हम परम्परागत रूप से राजनीतिक सिद्धांत के अध्ययन की ओर उन्मुख हों, तो यह राज्य व सरकार के संस्थागत स्वरूप व दार्शनिक पक्षों के विषय में अनेक महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान करता है। आधुनिक युग में इसने नवीन विषयों तथा प्रणालियों को अपना लिया है। अतः आधुनिक राजनीतिक सिद्धांत की शुरूआत व्यवहारवाद के जन्म के उपरान्त माना जाता है। इस विषय को तर्कसंगत बनाने के लिए इसको वैज्ञानिक प्रणालियों के साथ सम्बन्ध किया गया, क्योंकि इसमें मानव व्यवहार तथा क्रियाओं का अध्ययन होता है, इसलिए इसमें नवीन संकल्पनाओं, प्रतिमानों तथा विचारों को रखा गया है। इस प्रकार केवल राज्य, सरकार तथा उससे सम्बन्धित विषय ही नहीं आते. वरन राज्य के बिना राजनीतिक क्या रूप धारण करती है-इसका अध्ययन भी किया जाने लगा है। राजनीतिक सिद्धांत का क्षेत्र इस कारण बहत व्यापक होने लगा है। राजनीतिक सिद्धांत के आधनिक दृष्टिकोण के अनुसार इसके प्रतिपाद्य विषय राजनीतिक मनुष्य तथा उसका व्यवहार, समूह संस्थाएँ, प्रशासन, अन्तराष्ट्रीय राजनीति, विचारवाद या विचारधारा मूल्य, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, सैन्य विज्ञान, सांख्यिकी सर्वेक्षण आदि हैं। आर्नोल्ड बैस्ट के अनुसार, इसकी आठ अध्ययन इकाइयाँ बताई हैं
(i) समूह | (ii) सन्तुलन |
(iii) शक्ति, नियंत्रण एवं प्रभाव | (iv) क्रिया |
(v) अभिजन | (vi) चयन व विनिश्चय प्रक्रिया |
(vii) पूर्व-भाषित प्रक्रिया | (viii) कार्य |
राजनीतिक सिद्धांत के विषय
- सामाजिक मूल्यों का अध्ययन
- राज्य व सरकार का अध्ययन
- मानव व्यवहार का अध्ययन
- समस्याओं का अध्ययन
- राजनीतिक प्रक्रिया का अध्ययन
- शक्ति का अध्ययन
- नीतियों का अध्ययन
- राजनीतिक सिद्धांत के नवीन उपक्षेत्र
(1) सामाजिक मूल्यों का अध्ययन - आधुनिक राजनीतिक सिद्धांत मूल्य-निरपेक्षता पर बल देता है, किन्तु वर्तमान में उत्तर-व्यवहारवादी सामाजिक मूल्यों को मान्यता देने के सम्बन्ध में विचार करने लगे हैं। उत्तर-व्यवहारवादियों ने मल्यों को अपने अध्ययन में स्थान देकर राजनीतिक-सिद्धांत को उपयोगी बनाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम बढ़ाए हैं।।
(2) राज्य व सरकार का अध्ययन - आधुनिक युग में कुछ विद्वान राजनीतिक सिद्धांत को केवल राज्य का अध्ययन मानते हैं और कुछ के मतानुसार यह केवल सरकार का अध्ययन है, "राजनीतिक विज्ञान का सम्बन्ध ऐसे राज्य से है जो उसकी आधारभूत स्थितियों, उसकी प्रकृति तथा विविध स्वरूप एवं विकास को समझने का प्रयत्न करता है।"
(3) मानव व्यवहार का अध्ययन - राजनीतिक सिद्धांत संस्थाओं के अध्ययन के विषय में बताता है परन्तु आधुनिक राजनीतिक सिद्धांत मनुष्य के राजनीतिक व्यवहार का अध्ययन करता है। उसकी दृष्टि से मानव का व्यवहार चालन-शक्ति के समान है। राजनीति के वास्तविक रूप के अध्ययन के लिए मानव व्यवहार का अध्ययन भी आवश्यक है।
(4) समस्याओं का अध्ययन - मनुष्य की इच्छाओं तथा आवश्यकताओं का कोई अन्त नहीं है, परन्तु उनकी पूर्ति के साधन बहुत कम हैं। अतः समाज में विभिन्न प्रकार की समस्याएँ या संघर्ष उत्पन्न होते हैं। लिप्सन ने लिखा है कि, “राजनीति निरन्तर विवाद की प्रक्रिया है।" इन संघर्षों तथा समस्याओं के निराकरण के लिए शक्ति की आवश्यकता पड़ती है। आधुनिक राजनीतिक सिद्धांत के मनीषी इन संघर्षों के समाधान के लिए शक्ति तथा संगठन के विषय में ज्ञान प्राप्त करते हैं।
(5) राजनीतिक प्रक्रिया का अध्ययन - राजनीति केवल एक संस्था या संगठन नहीं है वरन एक प्रक्रिया है। इसमें कार्यकरण में जो प्रक्रिया देखने को मिलती है उसका भी अध्ययन किया जाता है। राजनीति विज्ञान में सामान्य निर्वाचन, विधि के निर्माण, दलों की क्रिया-विधि, अधिकारियों के पारस्परिक सम्बन्ध का भी अध्ययन किया जाता है।
(6) शक्ति का अध्ययन - आधुनिक राजनीतिक सिद्धांत के विद्वानों ने शक्ति को राजनीति की केन्द्रीय अवधारणा के रूप में स्वीकार किया है। रॉबर्ट डहल ने कहा है, "राजनीति शक्ति की तलाश है।"
मैक्स वेबर ने कहा है, "राजनीति शक्ति विभाजन में भाग लेने या उसे प्रभावित करने का संघर्ष है, चाहे वह राज्यों के मध्य हो या राज्यों के अन्दर समूहों के मध्य ।' कैटलिन ने माना है कि, "शक्ति केवल चालू परिकल्पना है।"
(7) नीतियों का अध्ययन - आधुनिक राजनीतिशास्त्रियों में डहल, ईस्टिन, लासवेल का उल्लेख है। इन विद्वानों ने राजनीतिक सिद्धांत को शक्ति व क्रिया के अध्ययन के कपा देखा है। लासवेल राजनीति विज्ञान को नीति विज्ञान की संज्ञा प्रदान करता है। इसके फलस्वरूप इस विषय की अध्ययन सामग्री तीव्र गति से परिवर्तित हुई है।
(8) राजनीतिक सिद्धांत के नवीन उपक्षेत्र - राजनीति का पुराना क्षेत्र एक प्रकार से समाप्त हो गया है। अब उसका स्थान कार्यात्मक विषयों ने ले लिया है। उदाहरणार्थ-कार्यपालिका के अध्ययन के साथ-साथ राजनीतिक नेतृत्व का भी अध्ययन किया जाता है। अब राष्टीय राजनीति और शासन के अध्ययन के सम्बन्ध में अनेक तथा विभिन्न प्रकार के व्यवहारों से सम्बन्धित नए विषय राजनीति सिद्धांत के अंग बन गए हैं।
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