भोलाराम का जीव प्रश्न उत्तर (Bholaram Ka Jeev Question Answer) Class 10 लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर और भोलाराम का परिचय
भोलाराम का जीव प्रश्न उत्तर (Bholaram Ka Jeev Question Answer)
प्रश्न 1. बड़े साहब ने नारद से दफ्तरों के रीति-रिवाज के बारे में क्या कहा ?
उत्तर- बड़े साहब ने नारद से दफ्तरों के रीति-रिवाज के बारे में बताते हुए कहा कि “आप हैं वैरागी भई, यह भी एक मन्दिर है। यहाँ भी दान-पुण्य करना पड़ता है । भोलाराम की दरख्वास्तें उड़ रही हैं, भोलाराम ने अपनी फाइल पर वजन नहीं रखा, उन पर वजन रखिए।" सरकारी पैसे का मामला है। पेंशन का केस बीसों दफ्तरों में जाता हैं। देर लग जाती है। बीसों बार एक ही बात को बीस जगह लिखना पड़ता है, तब पक्की होती हैं जितनी पेंशन मिलती हैं, उतनी ही स्टेशनरी लग जाती है।
प्रश्न 2. यमदूत ने हाथ जोड़कर चित्रगुप्त से क्या विनती की ?
उत्तर- यमदूत ने हाथ जोड़कर चित्रगुप्त से विनती की - दयानिधान, मैं कैसे बतलाऊँ कि क्या हो गया ? आज तक मैंने धोखा नहीं खाया था, पर भोलाराम का जीव मुझे चकमा दे गया। पाँच दिन पहले जब जीव ने भोलाराम की देह को त्यागा, तब मैंने उसे पकड़ा और इस लोक की यात्रा प्रारम्भ की। नगर के बाहर ज्यों ही मैं उसे लेकर एक तीव्र वायु-तरंग पर सवार हुआ, त्यों ही वह मेरे चंगुल से छूटकर न जाने कहाँ गायब हो गया। इन पाँच दिनों में मैंने सारा ब्रह्माण्ड छान मारा, पर उसका कहीं पता न चला।
प्रश्न 3. नरक में निवास स्थान की समस्या कैसे हल हुई ?
उत्तर- नारद ने धर्मराज को चिन्तित देखकर पूछा- क्या नरक की आवास समस्या अभी तक हल नहीं हुई ? तो उन्होंने उत्तर दिया, अरे! वह तो कब की हल हो गई। नरक में पिछले सालों में कई इमारतों के ठेकेदार और ओवरसीयर आ गए हैं, जिन्होंने बड़ी इमारतों के पैसे खाए हैं। उन्होंने बहुत जल्दी नरक में कई इमारतें खड़ी कर दीं। इस तरह नरक में निवास स्थान की समस्या तो कब की हल हो गई।
प्रश्न 4. भोलाराम का परिचय दीजिए ।
उत्तर- भोलाराम जबलपुर के घमापुर मोहल्ले में रहने वाला एक 60 वर्षीय वृद्ध था जो नाले के किनारे डेढ़ कमरे के टूटे-फूटे मकान में परिवार सहित रहता था। उसके परिवार में पत्नी, एक लड़की, दो लड़के थे। पिछले पाँच वर्ष से वह पेंशन की आशा कर रहा था क्योंकि पाँच वर्ष पहले सरकारी नौकरी से रिटायर हो चुका था, लेकिन सरकारी दफ्तर में दरख्वास्त पर दरख्वास्त देने पर भी उसे पेंशन नहीं मिली। वह इतना गरीब था कि पिछले एक साल से उसने मकान का किराया भी नहीं दिया था। उसकी पत्नी के सारे जेवर और घर के बरतन सब बिक गए। और फ़ाके की नौबत आ गई तो इसी चिन्ता में वह मर गया। पेंशन उसे इसलिए नहीं मिल पाई क्योंकि उसने अपनी दरख्वास्त पर वजन ( रिश्वत का रुपया) नहीं रखा था। बाद में उसका जीव उसी पेंशन की फाइल में जाकर अटक गया।
प्रश्न 5. भोलाराम की पत्नी ने नारद से भोलाराम के विषय में क्या कहा ?
उत्तर- भोलाराम की पत्नी ने नारद जी को बताया कि उन्हें केवल बाल बच्चों से लगाव था । जिन्दगी भर उन्होंने किसी दूसरी स्त्री की ओर आँख उठाकर नहीं देखा। पाँच साल पहले नौकरी से रिटायर हुए थे तब से अब तक पेंशन की बाट जोह रहे थे । यदि पचास-साठ रुपया महीना पेंशन के मिलते तो कोई और काम कर लेते तथा हमारे परिवार का गुजारा हो जाता। मेरे जेवर और घर के बरतन सब खाने-पीने में बिक गए अब फ़ाके की नौबत आ गई थी। इसी चिन्ता में वे चल बसे ।
प्रश्न 6. भोलाराम की पत्नी ने नारद से क्या विनती की ?
उत्तर- भोलाराम की पत्नी ने नारद से विनती की कि आप तो साधु हैं, सिद्ध पुरुष हैं, कुछ ऐसा नहीं कर सकते कि उनकी रुकी हुई पेंशन मिल जाए ? इन बच्चों का पेट कुछ दिन भर जाए।
प्रश्न 7. चित्रगुप्त ने धर्मराज से क्या कहा ?
उत्तर- चित्रगुप्त ने धर्मराज से कहा - महाराज रिकार्ड सब ठीक हैं। भोलाराम के जीव ने पाँच दिन पहले देह त्यागी और यमदूत के साथ इस लोक के लिए रवाना भी हुआ पर अभी तक नहीं पहुँचा। यही नहीं अपितु वह यमदूत भी लापता है जो भोलाराम के जीव को लेने गया था।
प्रश्न 8. नारद आखिर भोलाराम का पता कैसे लगाते हैं?
उत्तर- भोलाराम की पेंशन के सिलसिले में जब नारद बड़े साहब से मिले तो उन्होंने भोलाराम की अर्जी पर वजन (रिश्वत) रखने को कहा और यह भी बताया कि उनकी लड़की गाना-बजाना सीखती है। उन्होंने नारद की वीणा रखवा ली और चपरासी से कहा- बड़े बाबू को बोलें कि भोलाराम की पेंशन फाइल ले आएँ । भोलाराम का जीव पेंशन की फाइल में ही अटका पड़ा था। उसने नारद से साफ कह दिया कि मैं यहाँ से कहीं नहीं जाऊँगा। जब तक पेंशन नहीं मिल जाती, मैं यहीं रहूँगा। इस प्रकार नारद ने पृथ्वी पर जाकर और रिश्वत के रूप में अपनी वीणा देकर भोलाराम की फाइलों में अटके जीव का पता लगा लिया।
भोलाराम का जीव: किसने कहा - किससे कहा प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. "इनकम होती तो टैक्स होता, भुखमरा था।"
उत्तर- उक्त वाक्य चित्रगुप्त ने नारद जी से कहा है।
प्रश्न 2. "मुझे भिक्षा नहीं चाहिए, मुझे भोलाराम के बारे में कुछ पूछताछ करनी है।"
उत्तर- उक्त वाक्य नारद जी ने भोलाराम की लड़की से कहे जो उन्हें द्वार पर देखकर, “आगे जाओ महाराज" कहने आई थी।
प्रश्न 3. "महाराज मेरी सावधानी में बिल्कुल कसर नहीं थी।"
उत्तर- यह वाक्य यमदूत ने सिर झुकाकर यमराज (धर्मराज) से कहा है।
प्रश्न 4. "भोलाराम का जीव कहाँ है?"
उत्तर- यह वाक्य चित्रगुप्त ने उस यमदूत से पूछा जो भोलाराम का जीव लेने पाँच दिन पहले गया था।
प्रश्न 5. “महाराज रिकॉर्ड सब ठीक है।"
उत्तर- यह वाक्य चित्रगुप्त ने धर्मराज (यमराज) से कहा है।
प्रश्न 6. "क्यों धर्मराज, कैसे चिन्तित बैठे हैं?"
उत्तर- उक्त वाक्य नारद जी ने धर्मराज से कहा है ।
प्रश्न 7. "गरीबी की बीमारी थी । "
उत्तर- उक्त वाक्य भोलाराम की पत्नी ने नारद जी से कहा है ।
प्रश्न 8. "आप साधु हैं, आपको दुनियादारी समझ में नहीं आती।"
उत्तर- यह वाक्य बाबू (सरकारी क्लर्क) ने नारद जी से कहा है ।
एक शब्द या वाक्यांश में उत्तर दीजिए-
प्रश्न 1. फ़ाइल में से किसकी आवाज आई ?
उत्तर- पेंशन की फाइल में से भोलाराम के जीव की आत्मा की आवाज आई, उसने कहा मैं तो पेंशन की दरख्वास्तों में अटका हूँ।
प्रश्न 2. नारद क्या छिनते देख घबराए ?
उत्तर- नारद जी अपनी वीणा छिनते देख घबराए ।
प्रश्न 3. भोलाराम का जीव किसे चकमा दे गया ?
उत्तर- भोलाराम का जीव उस यमदूत को चकमा दे गया जो उसका जीव लेने पृथ्वी पर गया था।
प्रश्न 4. यमदूत ने सारा ब्रह्माण्ड किसकी खोज में छान डाला?
उत्तर- यमदूत ने सारा ब्रह्माण्ड भोलाराम के जीव को खोजने में छान डाला, पर वह उसे नहीं मिला।
प्रश्न 5. भोलाराम किस शहर का निवासी था ?
उत्तर- भोलाराम जबलपुर शहर का निवासी था ।
प्रश्न 6. भोलाराम को पाँच साल से क्या नहीं मिला?
उत्तर- भोलाराम को पाँच साल से पेंशन नहीं मिली। पाँच साल पहले वह सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त हुआ था ।
प्रश्न 7. नारद जी भोलाराम की पत्नी से विदा लेकर कहाँ पहुँचे ?
उत्तर- नारद जी भोलाराम की पत्नी से विदा लेकर सरकारी दफ्तर पहुँचे, जहाँ से भोलाराम की पेंशन आनी थी।
प्रश्न 8. भोलाराम ने दरख्वास्त पर क्या नहीं रखा था ?
उत्तर- क्लर्क ने नारद जी को बताया कि भोलाराम ने पेंशन की दरख्वास्त पर वजन (रिश्वत के रुपए) नहीं रखा था इसलिए दरख्वास्त कहीं उड़ गई।
प्रश्न 9. बड़े साहब के कमरे के बाहर कौन ऊँघ रहा था ?
उत्तर- बड़े साहब के कमरे के बाहर बैठा चपरासी ऊँघ रहा था ।
प्रश्न 10. बड़े साहब की लड़की क्या सीखती है ?
उत्तर- बड़े साहब की लड़की गाना बजाना सीखती है।
प्रश्न 11. स्वर्ग या नरक में स्थान 'अलॉट' करने वाले कौन हैं?
उत्तर- स्वर्ग या नरक में स्थान 'अलॉट' करने वाले धर्मराज (यमराज) है।
प्रश्न 12. भोलाराम के जीव ने कितने दिनों पहले देह त्यागी ?
उत्तर- भोलाराम के जीव ने पाँच दिन पहले देह त्यागी थी ।
वाक्यों की सन्दर्भ सहित व्याख्या कीजिये
प्रश्न 1. "आज तक मैंने धोखा नहीं खाया था, पर भोलाराम का जीव मुझे चकमा दे गया ।"
सन्दर्भ-पाठ का नाम : भोलाराम का जीव लेखक का नाम: हरिशंकर परसाई।
व्याख्या - इस पाठ में आम आदमी की विवशता और लाचारी का वर्णन है। प्रस्तुत वाक्य को यमदूत ने धर्मराज और चित्रगुप्त के सामने कहा है। जब धर्मराज और चित्रगुप्त दोनों भोलाराम के जीव के न आने के बारे में चर्चा कर रहे थे तथा यमदूत के लापता होने की बात कर रहे थे, तब यमदूत वहाँ पहुँच जाता है। यमदूत का कुरूप चेहरा परिश्रम, परेशानी और भय के कारण और विकृत हो गया था। यमदूत को देखकर चित्रगुप्त चिल्ला उठे -' इतने दिन तुम कहाँ रहे ? भोलाराम का जीव कहाँ है? तब यमदूत ने कहा कि, दयानिधान ! आज तक मैंने धोखा नहीं खाया था पर भोलाराम का जीव मुझे चकमा दे गया
प्रश्न 2. " पर ऐसा कभी नहीं हुआ था। "
सन्दर्भ - प्रस्तुत पंक्ति 'भोलाराम का जीव' नामक व्यंग्य रचना से ली गयी है। इसके लेखक प्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई हैं।
व्याख्या - धर्मराज लाखों वर्षों से असंख्य आदमियों को कर्म और सिफारिशों के आधार पर स्वर्ग या नरक में स्थान अलॉट करते आ रहे थे पर इस बार भोलाराम के जीव को लेने पाँच दिन पूर्व जो यमदूत गया था वह अभी तक नहीं लौटा था। पहले ऐसा कभी नहीं हुआ पर इस बीच धर्मराज और उनके मुंशी चित्रगुप्त महाराज दोनों ही आश्चर्यचकित थे।
प्रश्न 3. "चिन्ता में घुलते - घुलते और भूखे मरते-मरते उन्होंने दम तोड़ दिया। "
सन्दर्भ- प्रस्तुत पंक्ति ‘भोलाराम का जीव' नामक व्यंग्य रचना से ली गई है। इसके लेखक श्री हरिशंकर परसाई जी हैं।
व्याख्या- जब नारद जी पृथ्वी पर भोलाराम के जीव का पता लगाने के लिए गए और उन्होंने भोलाराम की पत्नी से जानना चाहा कि भोलाराम की मृत्यु कैसे हुई तो उसने कहा, पेंशन के अभाव में हमारी हालत बहुत खराब हो चुकी थी। पहले मेरे सारे जेवर बिके फिर बरतन, सब हम लोगों ने खा लिए फिर फाकों की नौबत आ गई। बाल-बच्चे कैसे जीवित रहेंगे, क्या खाएँगे, इसी चिन्ता में घुलकर वे मर गए, उन्होंने दम तोड़ दिया।
प्रश्न 4. “साधु-सन्तों की वीणा में तो और अच्छे स्वर निकलते हैं।"
सन्दर्भ - प्रस्तुत पंक्ति 'भोलाराम का जीव' नामक व्यंग्य रचना से ली गई है। इसके लेखक हरिशंकर परसाई जी हैं।
व्याख्या - नारद जी जब भोलाराम की पेंशन के सिलसिले में दफ्तर के बड़े साहब से मिले तो उन्होंने बताया कि भोलाराम की पेंशन अर्जी पर कोई वजन न था इसलिए उसका मामला पेंडिंग पड़ा है। साहब की लड़की गाना बजाना सीख रही थी। उनकी नजर नारद की वीणा पर टिक गईं और नारद को अपनी वीणा अर्जी पर बतौर वजन ( रिश्वत ) रखनी पड़ी। साहब ने कहा कि यह वीणा मैं अपनी लड़की को दे दूँगा आप तो साधु हैं। साधु-सन्तों की वीणा में तो और अच्छे स्वर निकलते हैं।
प्रश्न 5. "पेंशन का आर्डर आ गया । "
सन्दर्भ - प्रस्तुत पंक्ति 'भोलाराम का जीव' नामक व्यंग्य रचना से ली गई है। इसके लेखक हरिशंकर परसाई जी हैं।
व्याख्या - नारद जी ने अपनी वीणा साहब को रिश्वत (वजन) के रूप में दे दी थी। अतः उन्होंने तुरन्त बड़े बाबू से भोलाराम की फाइल मँगायी और कन्फर्म करने के लिए नारद जी से पूछा-अच्छा क्या नाम बताया था साधुजी । नारद जी ने समझा साहब शायद ऊँचा सुनते हैं, अधिक जोर से कहा - भोलाराम सहसा फाइल में से आवाज आई? कौन पुकार रहा है? क्या पोस्टमैन है ? क्या मेरी पेंशन का आर्डर आ गया। ? यह भोलाराम का जीव था जो पेंशन की फाइल में अटका पड़ा था।
प्रश्न 6. "इन पाँच दिनों में मैने सारा ब्रह्माण्ड छान डाला, पर उसका कहीं पता नहीं चला है।"
संदर्भ - प्रस्तुत पंक्ति 'भोलाराम का जीव' नामक व्यंग्य रचना से ली गई है। इसके लेखक हरिशंकर परसाई जी हैं।
व्याख्या - धर्मराज ने नारद जी को बताया कि भोला राम नाम के एक आदमी की पाँच दिन पहले मृत्यु हो गई उसके जीव को यह दूत यहाँ ला रहा था परन्तु जीव इसे रास्ते में चकमा देकर भाग गया। इसने सारा ब्रह्माण्ड छान मारा, पर वह कहीं नहीं मिला।
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