परम्परागत राजनीतिक सिद्धांत की मुख्य विशेषताएँ बताइये। अधिकांश पुरातन राजनीतिक सिद्धांत प्रायः बौद्धिक हैं। वे तर्क एवं निगमनात्मक निष्कर्षों पर आधारि
परम्परागत राजनीतिक सिद्धांत की मुख्य विशेषताएँ बताइये।
- परम्परागत राजनीतिक सिद्धांत की उपयोगिता बताइए।
परम्परागत राजनीतिक सिद्धांत की विशेषताएँ
- अधिकांश पुरातन राजनीतिक सिद्धांत प्रायः बौद्धिक हैं। वे तर्क एवं निगमनात्मक निष्कर्षों पर आधारित हैं। इसी कारण वे यथार्थ एवं व्यवहार से विलग हो गए हैं।
- परम्परागत राजनीतिक सिद्धांत की चरम सीमा किसी परिपूर्ण राजनीतिक व्यवस्था का खोज में लगी हुई है। यह इसे कल्पनात्मक बना देती है चाहे विचारकों द्वारा बनाया हुआ चित्र कितना ही आकर्षक क्यों न हो।
- परम्परावादियों के अनुसन्धान तथा विश्लेषण की प्रमुख विधियाँ ऐतिहासिक एवं विवरणात्मक रही हैं। डॉ० एस० पी० वर्मा के अनुसार परम्परागत राज सिद्धांत के विकास की चार अवस्थाएँ हैं-ऐतिहासिक (Historical), विश्लेषणात्मक (Analytical), आदर्शात्मक-उपदेशात्मक (Normative Prescriptive) तथा वर्णनात्मक-परिमाणात्मक (Descriptive-Taxonomical)। वे सब एक-दूसरे की विरोधी नहीं थीं और समय-समय पर हम एक ही युग में विभिन्न प्रवृत्तियों को काम करते हुए पाते हैं।
- परम्परावादियों के अध्ययन और जांच के मुख्य विषय राज्य, सरकार, राजनीतिक संस्थाएं, राज्य के लक्ष्य (न्याय, सुरक्षा, स्वतन्त्रता, लोक-कल्याण, समानता, नैतिकता) रहे हैं।
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