मानव कल्याण में जैव प्रौद्योगिकी के योगदान का संक्षेप में उल्लेख कीजिए। जैव-प्रौद्योगिकी का वैक्सीन उत्पादन में योगदान - वैक्सीन का उपयोग मनुष्य को सं
मानव कल्याण में जैव प्रौद्योगिकी के योगदान का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
जैव-प्रौद्योगिकी का वैक्सीन उत्पादन में योगदान - वैक्सीन का उपयोग मनुष्य को संक्रामक रोगों से प्रतिरक्षा प्रदान करने के लिए किया जाता है। आजकल hepatitis B, तथा Herpes वाइरस के लिए जेनेटिकली इन्जीनियरी से बने सूक्ष्मजीवों द्वारा जेनेटिकली इन्जीनियरी वैक्सीन संश्लेषित किए जा रहे हैं। इस प्रकार के वैक्सीन अधिक स्वच्छ, सुरक्षित तथा अधिक सख्त होते हैं। Anti-hepatitis Vaccin सन् 1980 में पाश्चर इन्स्टीट्यूट के कुछ वैज्ञानिकों ने बैक्टीरिया व चूहे की कोशिकाओं को जैनेटिक इन्जीनियरी द्वारा हेपेटाइटिस - B वाइरस के एण्टीजन के निर्माण के लिए प्रेरित किया । यह एण्टीजन हेपेटाइटिस B के संक्रमण के प्रतिरोधक्षमता या प्रतिरक्षा प्रदान करता है | Anti- rabies Vaccine सन् 1981-82 में फ्रांस की एक कम्पनी, ट्रांसजीन के वैज्ञानिकों ने जेनेटिक इन्जीनियरी द्वारा E. coli की कोशिकाओं से रेबीज वाइरस के लिए एक वैक्सीन तैयार की। Anti-foot and Mouth disease Vaccine for Cattle नामक कम्पनी ने सन् 1982 Anti-foot and Mouth रोग के वाइरस के लिए वैक्सीन तैयार की।
जैव प्रौद्योगिकी का जीन चिकित्सा में योगदान - जीन चिकित्सा के अन्तर्गत प्रयोगशाला में विशिष्ट क्लोन जीन को टार्गेट दैहिक ऊतक में प्रवेश कराया जाता है। इस क्रिया को बार-बार दोहराने पर ऊतक की कुछ कोशिकाओं में क्लोन स्थानान्तरित जी (transferred gene) उचित स्थान पर संकलित होकर सक्रिय हो जाता है। यह क्लोन जीन सामान्य जीन को समान प्रोटीन या एंजाइम के उत्पादन को शुरू कर देता है। इस प्रक्रिया को जीन सर्जरी (gene surgery) कहते हैं।
मानव इन्सुलिन के संश्लेषण की विधि (Method of Synthesis of Human Insulin) - इस विधि के सर्वप्रथम मानव इन्सुलिन की A तथा B श्रृंखलाओं के लिए DNA न्यूक्लियोटाइड के क्रम को ज्ञात किया गया। इन DNA की ज्ञात शृंखलाओं को पृथक् प्रकृति वाले ई. कोलाई जीवाणु के प्लाज्मिड के साथ जोड़ा गया। इस प्रकार जीवाणु में इन्सुलिन के निर्माण के जीन्स आ गए। इन जीवाणुओं का उचित माध्यम व वातावरणीय दशाओं में विण्वन (Fermentation) द्वारा संवर्धन किया गया। अन्ततया किण्वन से पदार्थ को निकालकर इन्सुलिन शृंखला को पृथक् कर लिया गया। दोनों ही प्राप्त शृंखलाओं को डाइसल्फाइड बन्धों द्वारा जोड़कर ह्यूमूलिन (Humulin) को प्राप्त कर लिया गया। सन् 1998 में एली लिली (Eli lilly ) तथा रैनबैक्सी (Ranbaxy) ने मधुमेह औषधि को बाजार में उतारा; जैसे- (Humalog) तथा Protine kinase - C, आदि ।
COMMENTS