चील पर निबंध - Essay on Eagle in Hindi for Class 1, 2, 3, 4, 5 and 6

चील पर निबंध - Essay on Eagle in Hindi for Class 1, 2, 3, 4, 5 and 6 निबंध सूची चील पर निबंध (50 words) for Class 1, 2 चील...

चील पर निबंध - Essay on Eagle in Hindi for Class 1, 2, 3, 4, 5 and 6

    चील पर निबंध (50 words) for Class 1, 2

    चील लगभग दो फुट लंबी चिड़िया है, जिसकी दुम लंबी ओर दोफंकी रहती है। चील का सारा शरीर  भूरा होता है, जिस पर गहरे रंग के सेहरे से पड़े रहते हैं। चील की चोंच काली और टाँगें छोटी और पीली होती हैं। चील के पंख बड़े और पंजे मजबूत होते हैं। चील उड़ने में बड़ी दक्ष होती है। यह ऐसी सफाई से झपट्टा मारती है कि देखकर ताज्जुब होता है। चील एक सर्वभक्षी तथा मुर्दाखोर चिड़िया है, जिससे कोई भी खाने की वस्तु नहीं बचने पाती। 

    चील पर निबंध (100 words) for Class 3, 4

    चील एक मांसाहारी पक्षी है। चील की 60 से अधिक प्रजातियां पायी जाती हैं। चील की अधिकांश प्रजातियाँ यूरेशिया और अफ्रीका में पाई जाती हैं। चील दिन में शिकार करती है। इनकी दृष्टि बहुत अच्छी होती है। चील के पंख विशाल होते है जिसकी सहायता से ये  रफ़्तार से उड़ पाती है। चील मांसाहारी होते हैं। जिसका अर्थ है कि वे अन्य पक्षियों और जानवरों का मांस खाते हैं। चील शिकारी पक्षी होते है जैसे कि गिद्ध और बाज़ । चील अपने भोजन को हथियाने के लिए अपने मजबूत पंजे का उपयोग करते हैं, और वे अपने शिकार के मांस को फाड़ने में मदद करने के लिए अपनी तेज चोंच का उपयोग करते हैं।

    चील पर निबंध (200 words) for Class 5, 6

    परिचय : चील एक विशाल पक्षी है, जो लगभग पूरे देश में पाया जाता है। चील एक मांसाहारी पक्षी है। चील अन्य पक्षियों की तुलना में बहुत ऊंची उड़ान भरती है। इसकी दृष्टि बहुत अच्छी होती है। दुनिया भर में चील की लगभग 60 विभिन्न प्रजातियां पाई जाती हैं।

    भोजन: चील एक मांसाहारी पक्षी है। यह सांप, खरगोश, मछली, मेंढक और छोटे पक्षियों आदि का शिकार करना पसंद करता है।

    जीवन काल: एक बाज का जीवनकाल लगभग 15 से 20 वर्ष का होता है। ईगल आमतौर पर ऊंचे पेड़ों या ऊंची चट्टानों पर अपना घोंसला बनाते हैं।

    चील की शारीरिक संरचना: बाज़ अन्य पक्षियों की तुलना में एक बड़ा पक्षी है। चील की दो तेज आंखें, एक मजबूत चोंच, दो विशाल पंख, दो मजबूत पैर और शक्तिशाली पंजे होते हैं। चील का पूरा शरीर छोटे पंखों से ढका होता है।

    विशेषताएं: बाज की दृष्टि बहुत अच्छी होती है, जो लगभग 5 किमी की दूरी से अपने शिकार को देख सकती है। चील की चोंच मजबूत और आगे की ओर मुड़ी हुई होती है, जिससे वह अपने शिकार के मांस को आसानी से चीर सकती है। इसकी चोंच आमतौर पर अन्य शिकारी पक्षियों की तुलना में भारी होती है। इसके पंजे बहुत मजबूत और शक्तिशाली होते हैं, जो अपने शिकार को आसानी से पकड़ सकते हैं। अधिकांश बाज जमीन पर उतरे बिना ही अपने शिकार को पकड़ लेते हैं।

    चील पर निबंध (500 शब्द )

    चील एक बहुत ही चतुर पक्षी माना जाता है। चील एक विशालकाय पक्षी है। चील की लगभग दो फुट लम्बी होती है इसका शरीर कई रंगों से बना होता है।  इसका बदन कलछौंह भूरा, चोंच काली और टांगे पीली होती है। चील की आँखे बहुत तेज होती है जिससे यह दूर से ही अपने शिकार पर घात लगाकर झपट्टा मार ले जाती है। अपने शिकार पर तेजी से झपटने के कारण चील को कुशल शिकारी पक्षी माना जाता है। 

    चील संसार के प्राय सभी गरम देशो में पाई जाती है यह बहुत तेज उड़ती है व आसमान में बहुत ऊंचाई पर चक्कर लगाती रहती है। संसारभर में चील की कई प्रजातियाँ पाई जाती हैं जिनमें ब्रह्मनी या खैरी चील, ऑल बिल्ड चील तथा ह्विसलिंग चील मुख्य हैं. भारत में काली चील को आसानी से देखा जा सकता हैं. चील की लम्बाई लगभग 2 फुट होती हैं इसकी दुम साधारण चिड़ियाँ से बड़ी तथा दो फंकी होती हैं. इसकी शारीरिक पहचान काली चोंच एवं पीली टांगों को देखकर आसानी से की जा सकती हैं.

    उड़ान तथा अपने शिकार पर अनूठे अधिकार के लिए चील जानी जाती हैं. यह हवा में उडती हुई अपने शिकार को आसानी से पंजों में दबा लेती हैं साथ ही सैकड़ों मीटर नीचे जमीन पर चल रहे शिकार पर इतनी दक्षता से आक्रमण करती है कि उसे अपनी मौत का जरा सा भी एहसास नहीं हो पाता हैं. चील सड़े गले पदार्थों से लेकर समस्त जीवों से अपना पेट भर लेती हैं यह मानव बस्तियों में निसंकोच भाव से घौसला बनाकर रहने लगती हैं.

    Black Kite काली चील

    काली चील एक भारतीय मूल का शिकारी पक्षी हैं यह अपने शिकार की कला के लिए विख्यात हैं. यह अपना अधिकतर वक्त हवा में उड़ते हुए ही व्यतीत करती हैं. काली चील जीवित जीवों का शिकार करने की बजाय मृत जीवों के लिए विशेष आकर्षित रहती हैं. छोटे आकार की इस चील का वैज्ञानिक नाम Milvus migrans है तथा यह Accipitridae कुल से संबंधित हैं.

    इनकी सर्वाधिक तादाद एशिया खासकर भारत और इसके अतिरिक्त ऑस्टेलिया एवं यूरोप महाद्वीप में भी इन्हें देखा जा सकता हैं. बदलते मौसम और तापमान के साथ यह स्थान परिवर्तित भी करती हैं. वातावरण के साथ अनुकूलन का उत्क्रष्ट गुण इनमें देखा जा सकता हैं.

    आज के दौर में जहाँ अधिकतर पक्षियों की प्रजातियाँ अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रही हैं वही चील ने बेहतरीन अनुकूलन के चलते अपने अस्तित्व को नगरीय जीवन के अनुकूल भी बनाया हैं. जंगलो में लगने वाली आग के समय जब समस्त जीव जन्तु भागने लगते है वही चील उस समय अपने शिकार के लिए देखती हैं. मृत जानवरों एवं मनुष्य द्वारा त्यागे गये मांस के अवशेष का अपमार्जन करने में काली चील की अहम भूमिका हैं.

    कई शारीरिक विशेषताओं से युक्त काली चील आसानी से अपना भोजन ढूढ़ लेती हैं. इनके मजबूत पंजे शिकार को पकड़ने तथा उस पर पकड़ बनाने में, लम्बी पूछ इसके उतरने की गति में तीव्रता लाती हैं साथ ही चील की आँखें इतनी तेज होती है कि सौ मीटर ऊपर आसमान में उडती हुई चूहे , मेढ़क जैसे जीवों को विचरण करते देख सकती हैं. काली चील का मुख्य भोजन जानवरों का मांस, छोटी मछलियां, छोटे पक्षी, चमगादड़ हैं.

    चील पर निबंध इन हिंदी 

    अपने कभी आकाश में दूर सबसे ऊपर पक्षी को उड़ते हुए देखा होगा। चील पक्षी आकाश में काफी ऊंचाई पर उड़ता है। चील पक्षी काफी बड़े आकार का होता है लेकिन इसका वजन में काफी कम होता है। आकाश में उड़ने के बावजूद भी वो नीचे धरती पर अपने शिकार को आसानी से पकड़ लेता है। चील एक चालाक पक्षी माना जाता है। 

    चील एक शिकारी पक्षी है, जिसकी विभिन्न 25 प्रजातियाँ दुनिया भर में रहती हैं। अंटार्कटिका को छोड़कर, वे पृथ्वी पर लगभग हर भाग पर रहते हैं। ये पक्षी उत्तरी अमेरिका, मध्य अमेरिका, दक्षिण अमेरिका,ऑस्ट्रेलिया, यूरेशिया, अफ्रीका और बहुत कुछ में रहते हैं। ये पक्षी प्रजातियों से प्रजातियों में आकार में भिन्न होते हैं। वे शिकार के पक्षी हैं ।उनके लंबे पंख और कमजोर पैर हैं। वे ज्यादातर समय उड़ने में बिताते हैं।

    चील की जातियां

    चील सर्वभक्षी पक्षी कहलाता हैं। चील की सभी प्रजातियों में काली चील, ब्राह्मनी चील, लाल चील, ऑल बिल्ड चील काफी मशहूर है। काली चील एशियाई क्षेत्रों में ज्यादा पाई जाती है लेकिन उनकी संख्या भारत में ज्यादा है। काली चील एक मौकापरस्त पक्षी है हालाँकि एक रिपोर्ट के अनुसार इसने इंसानों के साथ जीना सिख लिया है।

    ब्राह्मनी चील को क्षेमकरी और खेमकारी नामों से भी जाना जाता है। भारत में यह चील भारतीय चील के नाम से जानी जाती है। ब्राह्मनी चील ज्यादातर ऑस्ट्रेलिया, थाईलैंड, चीन जैसे क्षेत्र में ज्यादा पाई जाती है। ब्राह्मनी चील धान के खेतों के आसपास ज्यादा रहती है।

    चील की शारीरिक रचना

    वैसे तो चील की आकृति देखने में चिड़ियाँ जैसी मालूम होती है लेकिन चिल 2 फुट लंबा होता है और आकार में बड़ा होता है। उसके शरीर का रंग कलछौंह भूरा होता है। चील का सर छोटा होता है। चील की चोंच छोटी लेकिन पॉइंटेड होती है।

    चील के पंजे मजबूत होते है, जिसके चलते वो अपने शिकार को आसानी से पकड़ सकते है। लम्बी पूछ उनकी उड़ने और उतरने की गति में तीव्रता लाने में मददरूप होता है। फिर एक बार उड़ने के बाद वे करीब पांच घंटे तक उड़ान भर लेते हैं।चील की आंखें बहुत तेज होती है।

    अगर वो जमीन से 200 मीटर की उड़ान भी भर रही हो तब भी जमीन पर उनके शिकार को देख सकती है और आसानी से अपने पंजे में पकड़ भी लेती है।

    चील का निवास स्थान

    चील ज्यादातर बंदरगाह और सूखे रन जैसे विस्तार में पाये जाते है। चील की विभिन्न प्रजातियां विभिन्न प्रकार के आवास में रहती हैं। कुछ गर्म तापमान और उच्च वर्षा वाले उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में रहना पसंद करते हैं तो कुछ ठंडी हवा में रहना पसंद करते है।

    इन पक्षियों में रहने वाले कुछ अलग-अलग पारिस्थितिक तंत्रों में सवाना, घास के मैदान, जंगल, वर्षावन, घास के मैदान और बहुत कुछ शामिल हैं। प्रत्येक प्रजाति की अलग-अलग प्राथमिकताएँ होती हैं, हालाँकि कुछ प्रजातियाँ समान निवास स्थान साझा करती हैं। काली चील पेड़ की पतली डाली पर अपना घोंसला बनाना पसंद करती है और घोंसले की सुरक्षा भी करती है।

    चील का भोजन

    चील मुख्य रूप से मांसाहारी होते हैं और विभिन्न प्रकार के शिकार पर भोजन करते हैं। प्रत्येक प्रजाति अलग-अलग शिकार का शिकार करती है और अलग-अलग क्षेत्रों में चील का आहार अलग अलग होता है।

    ये पक्षी चूहों और गिलहरियों से लेकर छिपकलियों, सांपों और मेंढकों तक कुछ भी खाते हैं। कुछ प्रजातियां बहुत विशिष्ट प्रकार के जीवों का शिकार करती है जैसे की घोंघा पतंग, जबकि कुछ प्रकार की चील मृतदेह खाना पसंद करती है।

    चील से जुड़ी मान्यता

    भारतीय पुराणों में भी चील के बारे में काफी बताया गया है। चील को अशुभ पक्षी माना जाता है। कहा जाता है कि चील जिस मकान के उपर बैठती हो, उस मकान में रहनेवालों का बुरा वक्त शुरू हो जाता है। पुराणों में बताया गया की कि अगर चील किसी भी व्यक्ति के मस्तिष्क के उपर से उड़ान भरे तो वो व्यक्ति को काफी कष्टदायक मौत मिलती है।

    स्वप्न शास्त्र के अनुसार अगर आपके सपने में चील दिखाई दे तो आपको आने वाले समय में बदनामी का सामना करना पड़ सकता है लेकिन सपने में उड़ती हुई चील को देखना यह एक शुभ सपना माना जाता है, जो आपकी सफलता को बताता है।

    निष्कर्ष

    अब चील पक्षी पहले की मुकाबले में कम देखने को मिलते है। चाहे पुराणों में चील को एक बुरा पक्षी बताया गया हो लेकिन हमारे पर्यावरण के लिए वो काफी मददगार साबित हुआ है।

    क्योंकि वो मृतदेहों से उत्पन होने वाले बैक्टेरिया का नाश करता है क्योंकि वो मृतदेहों का भोजन करता है। चील प्रजाति ने अपने अस्तित्व पर होने वाले संकट के कारण मानवजीवन के साथ अपना अनुकूलन बना लिया है।

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