अब्राहम लिंकन पर छोटा निबंध। Short Essay on Abraham Lincoln in HIndi
अब्राहम लिंकन अमेरिका के सौलहवें राष्ट्रपति थे। वह दलितों के मित्र और स्वतंत्रता प्रेमी थे और दासों के उद्धारकर्ता भी थे। उनके विचार में दास गुलामी की बीमार संस्था के शिकार थे। लिंकन का उद्देश्य था कि काले लोगों को शरीर की दासता से और गोरे लोगों को आत्मा की दासता से मुक्त करें।
लिंकन का जन्म :1809 में अमेरिका के केनटुकी के एक गरीब और अशिक्षित परिवार में हुआ। उनका बचपन बड़ी कठिनाइयों और अभावों में बीता। संसाधनों की कमी के कारण वह अधिक नहीं पढ़ पाये और स्टोर में क्लर्क बन गये। बाद में कानून की पढ़ाई की। प्रैक्टिस करने लगे। वह कई तरह के कमों में उलझे रहे। मजदूर, स्टोरकीपर, लकड़ी काटने वाले, कसाई की दुकान पर जानवरों की चमडि़यों को पकाने वाले, सर्वेयर और अंत में देश के राष्ट्रपति बने। वह महिला उनसे बिछड़ गई, जिससे प्रेम करते थे और उनकी शादी उससे हुई, जिसे उनसे अधिक उनकी प्रसिद्धी से प्यार था। उन्होंने व्यापार किया, उसमें असफल रहे, सीनेट का चुनाव लड़ा उसमें हार गये, लेकिन एक साहसी व्यक्ति की तरह उन्हें परिस्थितियों से निबटना आता था। उनके विषय में एक छोटा-सा रोचक किस्सा है। उनके आलसी स्वभाव के कारण एक बार एक किसान की पत्नी ने उनका मजाक बनाया, ‘अब, तुम्हारा क्या होगा?’ उन्होंने उत्तर दिया, ‘मेरा? मैं अमेरिका का राष्ट्रपति बनूंगा।’
लिंकन ने बड़े कठिन समय में अमेरिका के राष्ट्रपति का कार्यालय संभाला। देश दास-प्रथा को समाप्त करने के मुद्दे पर विभाजित था। अमेरिका के दक्षिणी राज्य इस प्रथा को बनाये रखना चाहते थे, जबकि उत्तरी राज्य समाप्त करने के समर्थन में थे। इसने अमेरिका को गृहयुद्ध में धकेल दिया, जो चार वर्षों तक चला। अंत में देश एक हुआ और दास प्रथा को समाप्त किया गया। जब लिंकन 57 साल के थे, उनकी हत्या कर दी गई।
Related :
अब्राहम लिंकन पर कविता।
अब्राहम लिंकन द्वारा बेटे के स्कूल के प्रधानाध्यापक को लिखे हुए पत्र
Related :
अब्राहम लिंकन पर कविता।
अब्राहम लिंकन द्वारा बेटे के स्कूल के प्रधानाध्यापक को लिखे हुए पत्र
0 comments: