परंपरागत (शास्त्रीय) राजनीतिशास्त्र से आप क्या समझते हैं ? राजनीतिशास्त्र की परंपरागत (शास्त्रीय) विचारधारा में राजनीति को राज्य का विज्ञान माना जाता
परंपरागत (शास्त्रीय) राजनीतिशास्त्र से आप क्या समझते हैं ?
परंपरागत राजनीतिशास्त्र : राजनीतिशास्त्र की परंपरागत (शास्त्रीय) विचारधारा में राजनीति को राज्य का विज्ञान माना जाता है। तथा अध्ययन के विषय के रूप में इसे राजनीति-शास्त्र कहा जाता है। राजनीतिशास्त्र में राज्य की उत्पत्ति, कार्यों, संगठन, सरकार, व्यक्ति के साथ राज्य के सम्बन्धों की व्याख्या करने वाली धारणाओं का अध्ययन शामिल किया जाता है। यह माना जाता है कि राजनीतिशास्त्र का आरम्भ तथा अन्त राज्य के साथ ही होता है तथा यह राज्य तथा राज्य की सरकार का ही विज्ञान राजनीतिशास्त्र है।
राजनीति-शास्त्र का अर्थ (Meaning of Political Science)
राजनीति-शास्त्र, जिसका अंग्रेजी रूपान्तर Political Science है, यूनानी भाषा के शब्द “पॉलिटिक्स' (Politics) से निकला है। पॉलिटिक्स (Politics) शब्द का स्रोत पोलिस (Polis) है और पोलिस का अर्थ यूनानी भाषा में 'नगर-राज्य' (City State) है।
प्राचीन काल में राज्य छोटे-छोटे होते थे तथा उन्हें नगर-राज्य ही कहा जाता था। अतः शाब्दिक अर्थों में राजनीति-शास्त्र वह विषय है जो राज्य का अध्ययन करता है।
साधारण शब्दों में राजनीति-शास्त्र को मनुष्य की राजनीतिक संस्थाओं तथा शक्तियों का अध्ययन कहा जा सकता है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, समाज में रहना उसके लिए प्राकृतिक तथा आवश्यक है।
अरस्तू के अनुसार, "समाज द्वारा शिक्षित मनुष्य सब जीवों से उच्च होता है। वह जब कानून तथा न्याय के बिना जीवन व्यतीत करता है तो वह सबसे अधिक भयंकर होता है।" "वह व्यक्ति जो समाज के बिना रहना चाहता हो तथा चाहे कि उसे अपने तक ही सीमित रहने दिया जाए, तो उसे अपने मानव-समाज का सदस्य नहीं समझना चाहिए। ऐसा व्यक्ति या तो पशु होता है अथवा देवता।" दूसरे शब्दों में, मनुष्य का दूसरों के साथ मिल कर रहना उसका स्वभाव है तथा वह इसी स्वभाव के फलस्वरूप समाज में दूसरों के साथ रहता है। वह दूसरों की सहायता करता है तथा दूसरे उसकी सहायता करते हैं। समाजिक सम्बन्धों का यही सिद्धान्त समाज की आधारशिला है। सामाजिक संगठन को सुरक्षित रखने के लिए कानून, राज्य तथा सरकार की उत्पत्ति हुई। सामाजिक व्यवहार के लिए निर्मित राज्य के कानून सरकार द्वारा लागू होते हैं। राज्य के कानून द्वारा ही मनुष्य का राज्य तथा सरकार से सम्बन्ध निर्धारित होता है। जो विषय इन सम्बन्धों का अध्ययन करता है उसे राजनीति-शास्त्र कहते हैं। राजनीति-शास्त्र मुख्यतः राज्य का अध्ययन करता है। राज्य एक मानवीय संस्था है। अतः राजनीति-शास्त्र को मनुष्य का अध्ययन भी कह सकते हैं; परन्तु यह केवल मनुष्य के राजनीतिक संगठनों, संस्थाओं तथा शक्तियों का ही अध्ययन करता है। इस प्रकार साधारण शब्दों में हम कह सकते हैं कि राजनीति-शास्त्र वह विषय है जो मनुष्य की राजनीतिक संस्थाओं तथा शक्तियों या फिर राजनीतिक सम्बन्धों का अध्ययन करता है। क्योंकि मनुष्य के ऐसे स्वभाव की सर्वोत्तम अभिव्यक्ति राज्य में होती है, अतः राजनीति-शास्त्र मुख्यतः राज्य का अध्ययन करता है।
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