मार्ले मिंटो सुधार अधिनियम 1909 पारित होने के कारण बताइये। Causes behind the introduction of Morley- Minto Reform in Hindi
भारतीय शासन अधिनियम सन् 1909 ई. भारत के सर्वधानिक विकास का कार्यक्रम का एक अगला कदम है। इसके जन्मदाता भारत सचिव मार्ले तथा गवर्नर जनरल लार्ड मिन्टो थे। इन्हीं के नाम पर यह मार्ले मिन्टो सुधार के नाम से जाना जाता है।
मार्ले मिंटो सुधार अधिनियम 1909 पारित होने के कारण
सन् 1909 ई. के अधिनियम के पारित होने के निम्नलिखित प्रमुख कारण थे -
- सन 1892 ई. के अधिनियम की अपर्याप्तता - सन 1892 ई. के सुधार अधिनियम से भारतीयों की आकांक्षाएँ पूरी नहीं हो सकी। अतः इसके प्रति इनमें असंतोष की भावना प्रचुर मात्रा में व्याप्त थी व्यवस्थापिका सभा केवल वाद-विवाद का मंच रही। सरकार की शक्तियाँ तथा अधिकार ज्यों के त्यों
- महामारियों का प्रभाव - भारत में अनेक भागों में अकाल, प्लेग व हैजा जैसी भयंकर बीमारियाँ फैलीं। सरकार ने इसमें कोई सक्रिय भूमिका नहीं निभाई। इसलिए जनता में विद्रोह तथा असंतोष की भावना उत्पन्न हो गई।
- लॉर्ड कर्जन की प्रतिक्रियावादी नीति - लॉर्ड कर्जन के शासन काल में अंग्रेजी साम्राज्य को मजबूत करने के उद्देश्य से अनेक प्रकार के ऐसे निर्णय तथा प्रतिक्रियावादी नीति अपनाई गईं। इसके विरुद्ध जन आन्दोलन भड़क उठा इससे आतंकवादी आन्दोलन को भी बहुत बल प्राप्त हुआ।
- विदेशों में घटनाएँ - विदेशों में अनेक प्रकार की ऐसी घटनाएँ घटी जिन्होंने यरोपियों की सर्वोच्चता के सिद्धान्त को समाप्त कर दिया तथा एशिया के निवासियों में नव-स्फूर्ति व नव चेतना का संचार किया।
- प्रेस की भूमिका - प्रेस ने भी राष्ट्रीय भावना को जाग्रत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा नव जागरण का संदेश फैलाया।
- गरमवाद का जन्म - सरकार की प्रतिक्रियादी, शोषणकारी व दमनकारी नीति के विरुद्ध नवयुवकों में क्रांति की भावना जाग्रत हो गई। गरमवादी आन्दोलन का सम्पूर्ण देश पर प्रभाव पड़ा। कांग्रेस में उदारवादियों का प्रभाव निरन्तर कम होता चला गया।
- क्रांतिकारी आन्दोलन की बढ़ती भूमिका - प्राकृतिक प्रकोपों तथा सरकार की बढ़ती हुई दमनकारी व भारत विरोधी नीति के कारण क्रांतिकारी आन्दोलन का प्रारम्भ हो गया था जिसने ब्रिटिश के साम्राज्य को चुनौती देना प्रारम्भ कर दिया इसलिए शासन ने उदारवादियों को प्रभावित करने के उद्देश्य से संवैधानिक सुधारों की व्यवस्था करना उचित समझा।
- कांग्रेस की संवैधानिक सुधारों की माँग - सन 1905 ई. में कांग्रेस ने एक प्रस्ताव पारित करके संवैधानिक सुधारों की माँग की। गोखले ने कहा कि प्रान्तीय तथा केन्द्रीय विधान परिषदों में सुधार की योजना प्रस्तुत की जानी चाहिए। मार्ले ने यद्यपि औपनिवेशिक स्वशासन पर अपनी स्वीकृति नहीं दी, परन्तु उसने न्यायोचित सुधार का आश्वासन दिया।
- मुस्लिम लीग का उदय - मुसलमानों का भी एक प्रतिनिधि मण्डल सुधारों के लिए लॉर्ड मिन्टो से मिला तथा उनकी मांगों का पूरा करने का उन्होंने वायदा किया। इस प्रकार साम्प्रदायिक प्रतिनिधित्व के सुधार की आवश्यकता पड़ी।
- ब्रिटेन में उदारवादी दल की विजय - दिसम्बर सन् 1905 ई. के निर्वाचनों में उदारवादियों का शासन पर नियंत्रण स्थापित हुआ। माले भारत सचिव बने जो भारतीयों की समस्याओं पर सहानुभूति की भावना रखते थे। वायसराय लॉर्ड मिन्टो के सहयोग से एक विधेयक पारित हुआ जिसे भारतीय परिषद अधिनियम सन 1909 ई. अथवा मार्ले मिन्टो सुधार के नाम से जाना जाता है।
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