गतिविधि आधारित पाठ्यक्रम बी एड नोट्स (Activity Based Curriculum B.ed Notes in Hindi) - पाठ्यक्रम निर्माता इस प्रकार के पाठ्यक्रम को सृजित करना चाहते ह
गतिविधि आधारित पाठ्यक्रम बी एड नोट्स (Activity Based Curriculum B.ed Notes in Hindi)
गतिविधि आधारित पाठ्यक्रम - पाठ्यक्रम निर्माता इस प्रकार के पाठ्यक्रम को सृजित करना चाहते हैं, जो विद्यार्थी के लिए उपयोगी हो। पाठ्यक्रम निर्माण में एक तरफ जहाँ विषय-वस्तु तथा शिक्षक को महत्व दिया जाता रहा है, वहीं बदलाव के दौर में शैक्षिक नीति निर्माताओं ने विद्यार्थी की गतिविधि को केन्द्र में रखकर पाठ्यक्रम निर्माण पर बल दिया है जिसे गतिविधि आधारित पाठ्यक्रम कहा गया। हेनरी पेस्टोलॉजी तथा फ्रेडरिक फ्रोबेल जैस शिक्षाविदों ने बच्चों में स्व-अनुभूति के विकास हेतु सामाजिक सहभागिता तथा करके सीखने के सिद्धान्त को प्रस्तुत किया था। विद्यार्थियों की गतिविधियों एवं अनुभव पर आधारित शिक्षण अधिगम प्रक्रियाओं तथा पाठ्यक्रम को बढ़ावा देने में जॉन ड्यूवी तथा विलियम किलपेट्रिक जैसे शिक्षाविदों ने प्रयास किए। ऑरन्स्टाइन तथा हकिन्स के अनुसार जर्मन शिक्षाविद् फ्रांसिस पॉर्कर ने इस प्रकार के पाठ्यक्रम हेतु अपने शोध के आधार सिफारिश की। पार्कर विश्वास करता था कि अनुदेशन की प्रक्रिया विद्यार्थियों के सीखने के प्राकृतिक उपागमों के आधार पर होनी चाहिए। उदाहरण के तौर पर यदि आप उनको भूगोल सिखाना चाहते हैं। तो शिक्षकों, विद्यार्थियों को भौगोलिक स्थान पर ले जाना चाहिए, उनके द्वारा भू-दृश्यों के चित्र तथा नक्शे बनवाये जाने चाहिए। यह किसी पाठ्य पुस्तक को पढ़ने से ज्यादा फायदेमंद होगा। जॉन ड्यूव ने भी इसी प्रकार की धारणा का विकास किया। इनके अनुसार पाठ्यक्रम को मनुष्य के आवेगों के अनुरूप ही संगठित किया जाना चाहिए। जैसे समाजीकरण हेतु आवेग, निर्माण हेतु आवेग, पृच्छा हेतु आवेग, अभिव्यक्ति हेतु आवेग आदि। पार्कर की तरह ड्यूवी के अनुसार शिक्षा व्यक्ति की क्षमताओं का विकास, सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु करती है पर साथ में बच्चे का विकास उसकी व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुसार हो, लगातार हो, न की एक साथ और पहले से तैयार पाठ्यक्रम के अनुसार।
इसी धारणा पर आधारित प्रोजेक्ट विधि को विलियम किलपैट्रिक ने प्रस्तुत किया था, जिसमें विद्यार्थी किसी प्रोजेक्ट की गतिविधियों में संलग्न रहकर शिक्षा प्राप्त करता है। जॉन ड्यूवी जहाँ पर विद्यार्थी की स्वतन्त्रता व उसके व्यक्तिगत उद्देश्य को अधिक महत्व देते थे। वही किलपैट्रिक समाज की आवश्यकता तथा शिक्षक के निर्देशन को भी महत्वपूर्ण मानते थे। पूर्णतः विद्यार्थी केन्द्रित पाठ्यक्रम अव्यवहारिक प्रतीत होती है, जिसमें प्रत्येक विद्यार्थी की अपनी आवश्यकता के अनुसार पाठ्यक्रम हो । लेकिन इस बात से सभी सहमत प्रतीत होते हैं, कि सीखने-सिखाने की प्रक्रिया विद्यार्थियों की रूचि के अनुकूल हो। गतिविधि आधारित पाठ्यक्रम के अनुसार पाठ्यक्रम विषय वस्तु केन्द्रित अथवा पूर्व निश्चित होने के बजाय इस प्रकार की गतिविधियों पर केन्द्रित हो, जिसके द्वारा विद्यार्थी को अपनी रूचियों तथा क्षमताओं को विकसित करने का अवसर प्रदान हो। पाठ्यक्रम में इस प्रकार का लचीलापन हो कि शिक्षक विद्यार्थियों पर एक निश्चित विषय वस्तु को थोपने के बजाय उनकी रूचि को पहचाने तथा विकसित करें। विद्यार्थियों की रूचियों व आवश्यकता पर आधारित गतिविधियों पर पाठ्यचर्या को अधिक केन्द्रित किया जाए। विषयों में स्थित विषयवस्तु को केवल उनकी समस्याओं को हल करने क्या इस प्रकार की समस्याओं को विद्यार्थियों को स्वयं चयन करने का अधिकार हो।
इस प्रकार गतिविधि आधारित आकल्प में विषय वस्तु या पूर्व निश्चित पाठ्यचर्या बजाय विद्यार्थियों तथा समाज की समस्याओं पर आधारित गतिविधियां को महत्व दिया गया है।
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