भारत सरकार अधिनियम 1919 की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए. भारत में संवैधानिक विकास की दृष्टि से 1919 ई. का वर्ष महत्वपूर्ण माना जाता है। पहली बार भा
Bharat Sarkar Adhiniyam 1919 ki Visheshta : इस लेख में हम आपको भारत सरकार अधिनियम 1919 ई. के प्रमुख प्रावधान तथा विशेषताएँ बता रहे हैं।
भारत सरकार अधिनियम 1919 की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए
उत्तर - भारत में संवैधानिक विकास की दृष्टि से 1919 ई. का वर्ष महत्वपूर्ण माना जाता है। पहली बार भारत में प्रशासकीय सुधारों की व्यापक योजना बनाई गई व इसका क्रियान्वयन किया गया। 1917 ई. में भारत सचिव माण्टेग्यू ने सुधारों की घोषणा की थी। अतः 1919 ई. में उसी घोषणा के अनुपालन में ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत सरकार अधिनियम 1919, को पारित किया गया।
भारत सरकार अधिनियम, 1919 ई. प्रमुख प्रावधान या विशेषताएं
भारत सरकार अधिनियम, 1919 ई. के प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित थे -
- भारत सचिव व इंग्लैण्ड की संसद के भारतीय शासन पर नियन्त्रण में कमी की जायेगी। भारत सचिव के कार्यालय का सम्पूर्ण खर्च ब्रिटिश राजस्व से लिया जाए।
- इंग्लैण्ड में भारत सरकार के प्रतिनिधि के रूप में एक नवीन पद का सृजन किया गया। इस नए पदाधिकारी को 'भारतीय उच्चायुक्त' कहा गया।
- गवर्नर जनरल व गवर्नरों के अधिकारों में वद्धि की गयी जिनका उपयोग वे स्वेच्छा से कर सकते थे।
- भारतीयों द्वारा साम्प्रदायिक निर्वाचन को समाप्त करने की माँग को अस्वीकार कर दिया गया।
- केन्द्रीय शासन में उत्तरदायी शासन लागू नहीं किया गया। अतः केन्द्रीय शासन पूर्ववत् स्वेच्छाचारी तथा नौकरशाही के नियन्त्रण में ही रहा।
- गवर्नर जनरल की कर्मचारी परिषद में भारतीय सदस्यों की संख्या को बढ़ाया गया।
- एक सदन वाले केन्द्रीय विधानमण्डल व पुनर्संगठन किया गया। अब दो सदन वाले विधान मण्डल की व्यवस्था की गयी। उच्च सदन को 'राज्य परिषद' तथा निचले सदन को केन्द्रीय विधानसभा कहा गया।
- केन्द्रीय विधानसभा में 143 सदस्य तथा राज्य परिषद में 60 सदस्य होते थे। दोनों सदनों में निर्वाचित सदस्यों का बहुमत रखा गया और चुनाव पद्धति प्रत्यक्ष कर दी गयी।
- केन्दीय विधान मण्डल को विस्तृत अधिकार दिए गए जिनमें कानून बनाने कानूनों को परिवर्तन करने तथा बजट पर बहस इत्यादि प्रमुख थे।
- इस अधिनियम से देशी रियासतों की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ।
- प्रान्तीय विधान परिषदों में सदस्यों की संख्या में वृद्धि की गयी। प्रत्येक में निर्वाचित सदस्यों को बहुमत प्रदान किया गया।
- इस अधिनियम द्वारा प्रान्तों में द्वैध शासन प्रणाली लागू की गयी। प्रान्तीय विषयों को संरक्षित एवं हस्तान्तरित विषयों में बांटा गया।
- भारत में लोक सेवा आयोग की स्थापना की गयी।
- प्रान्तों में उत्तरदायी शासन लागू करने का प्रयत्न किया गया। प्रान्तीय मामलों में स्वायत्तता प्रदान की गयी। इसे निम्न रेखाचित्र से समझा जा सकता है .
केन्द्रीय विषय प्रान्तीय विषय
(i) सुरक्षा (i) चिकित्सा
(ii) विदेशी मामले (ii) सार्वजनिक स्वास्थ्य
(iii) राजनीतिक सम्बन्ध (iii) सफाई
(iv) वित्त, इत्यादि (iv) शिक्षा इत्यादि।
इस प्रकार भारत सरकार अधिनियम, 1919 ई. द्वारा भारत में व्यापक सुधारों की पहल की गयी। इसके द्वारा प्रशासकीय विकेन्द्रीकरण की दिशा में भी प्रयास किये गये। परन्तु साम्प्रदायिक निर्वाचन को समाप्त न करके इन सुधारों का प्रयास व औचित्य अधूरा ही रहा गया।
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