राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन National Urban Livelihoods Mission स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाई) के नाम से शहरी गरीबों के लिए पहले के गरीबी उपशमन कार्यक्रम का एनयूलएम (राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन) वास्तव में सुधरा हुआ रूप है। इस नये कार्यक्रम के तहत शहरी गरीबों, खासकर महिलाओं को स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) समूहों में संगठित किया जाएगा। बाजार की आवश्यकअताओं को ध्यान में रखते हुए इनके कौशल का विकास करने के लिए बुनियादी ढ़ाचा तथा प्रशिक्षित श्रम शक्ति मुहैया कराई जाएगी। इसके अलावा, यदि वे अपना उद्यम शुरू करना चाहते हैं तो ऋण प्राप्त करने में उनकी सहायता की जाएगी।
कई लोगों की तरह 40
वर्षीय ऊषा, उत्तर प्रदेश के अपने गांव को छोड़कर एक अच्छे
जीवन की तलाश में दिल्ली आई। दो दशकों के बाद, उसने अपने आप को झुग्गी
में पाया, जहां पर वह घरेलू काम कर अपने थोड़े से वेतन
में पांच बच्चों का पालन-पोषण कर रही थी।
ऊषा ने यह मान लिया था
कि महानगर उसके सपनों को साकार करने में असफल रहा। उसने यह भी सोच लिया था कि उसके
जीवन स्तर में वह थोड़ा ही सुधार कर सकती है या उसके बच्चों का भविष्य बेहतर
नहीं हो सकता।
ऊषा और उस जैसे अन्य
जो कि झुग्गियों में और दिल्ली की पुनर्वास कालोनियों में एवं भारत के अन्य
शहरों में रह रहे हैं। उन्हें अब और हताश होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि
सहायता उनके करीब ही है। वे नया कौशल सीख कर बैंक से ऋण ले सकते हैं एवं वे स्वंय
का छोटा व्यापार शुरू कर सकते हैं। ऐसा अवसर उन्हें शीघ्र मिलने वाला है।
देश के शहरी गरीब,
खासकर महिलाएं उनके जीवन में परिवर्तन आने की आशाएं हैं। वे केवल खुद ही सशक्त
नहीं होंगी, बल्कि वे अपने बच्चों का जीवन भी बदलने में
सक्षम होंगी।
स्वर्ण जयंती शहरी
रोजगार योजना (एसजेएसआरवाई) के नाम से शहरी गरीबों के लिए पहले के गरीबी उपशमन
कार्यक्रम का एनयूलएम (राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन) वास्तव में सुधरा हुआ रूप है।
एसजेएसआरवाई के
कार्यान्वयन में समस्याओं की पहचान करने तथा बेहतर जीवन की तलाश में शहरों की ओर
अग्रसर बढ़ती जनसंख्या की आवश्यकताओं को जान लेने के उपरांत आवास तथा शहरी गरीबी
उपशमन मंत्रालय ने पुरानी योजना को पुनर्गठित कर एनयूएलएम के नये अवतार के रूप में
प्रस्तुत किया है।
जहांतक इसके लिए धन का
संबंध है, 12वीं पंचवर्षीय योजना की शेष अवधि के लिए 6404
करोड़ रुपये का बजट एक लाख या उससे ऊपर की जनसंख्या वाले शहरों के लिए रखा गया
है। 2013-14 के लिए 950 करोड़ रुपये आवंटित किये जा रहे हैं।
शहरी गरीबों के
हितधारकों में बेघर तथा गलियों में फेरी वालों को भी शामिल किया गया है,
जिन्हें प्राय: सरकारी कार्यक्रमों में शामिल नहीं किया गया है। शहरी बेघरों के
लिए सभी आवश्यक सुविधाओं सहित सभी मौसमों में 24/7 बसेरों के लिए धन का विशेष प्रावधान
किया गया है। इसके अलावा, एनयूएलएम का पांच प्रतिशत बजट गलियों में फेरी
वालों की सहायता के लिए निर्धारित किया गया है, जिसमें कौशल विकास तथा
उनके बाजार का विकास शामिल है।
इस नये कार्यक्रम के
तहत शहरी गरीबों, खासकर महिलाओं को स्वयं सहायता समूह (एसएचजी)
समूहों में संगठित किया जाएगा। बाजार की आवश्यकअताओं को ध्यान में रखते हुए इनके
कौशल का विकास करने के लिए बुनियादी ढ़ाचा तथा प्रशिक्षित श्रम शक्ति मुहैया कराई
जाएगी। इसके अलावा, यदि वे अपना उद्यम शुरू करना चाहते हैं तो ऋण
प्राप्त करने में उनकी सहायता की जाएगी।
यह पहली बार होगा कि
शहरों में महिलाओं को उनकी वित्तीय तथा सामाजिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए
समृद्धि तथा ऋण आधारित स्वयं सहायता समूह में संगठित किया जाएगा। यह प्रयोग अत्यंत
सफल रहा है। परिवर्तन के लिए इसे उपयुक्त पाया गया है। स्वयं सहायता समूह में
10-20 महिलाओं का छोटा समूह रहता है, जो सामान्य एजेंडें के तहत बंधा रहता है।
इससे न केवल इसके सदस्यों की आजीविका में सुधार होता है,
बल्कि इससे उनके आत्मविश्वास तथा आत्म सम्मान में वृद्धि होती है।
ग्रामीण क्षेत्रों में
कई अध्ययन संचालित किए गए है, जिनसे यह पता चलता है कि स्वयं सहायता समूहों
में महिलाओं ने पर्याप्त पीने के पानी की सुविधाएं तथा बच्चों की शिक्षा जैसे
सामुदायिक कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाई। यूपीए सरकार एनयूएलएम को शुरू करने के
लिए उत्सुक है। मंत्रालय ने बैंको कार्यक्रम की विशेषताओं के बारे में बताया है
और जागरूकता बढ़ाई है। बैंक प्रतिनिधयों को विशेष रूप से इसमें शामिल किया गया है
कि वे शहरी गरीबों की ऋण की आवश्यकताओं के प्रति अधिक संवेदनशील बने रहे।
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एनएलयूएम के कार्यान्वयन
के लिए यद्यपि म्युनिसिपल समितियों की नोडल समितियों के रूप में पहचान की गई है।
स्थानीय निकायों की इस बारे में विशेषज्ञता न होने के कारण उन्हें तकनीकी
विशेषज्ञों की सेवाएं लेने तथा कार्यक्रम के प्रबंधन में सिविल सोसायटी समूहों के
मसौदे के लिए विशेष निधि मुहैया कराई गई है।
ये पेशेवर महिलाओं को
स्वयं सहायता समूहों में प्रशिक्षित करेंगे तथा उन्हें अपनी बचत के माध्यम से
धन इकट्ठा करने के लिए उत्साहित करेंगे, जिससे वे अपनी व्यक्तिगत आवश्यकतओं को पूरा
करने या अपना छोटा धंधा शुरू करने के लिए इसका उपयोग कर सकें। इसके अलावा,
महिलाओं को अपना बैंकखाता खोलने के लिए सहायता दी जाएगी,
जिससे उनकी ऋण तक पहुंच हो सके। प्रारंभिक दो वर्षों के लिए प्रत्येक स्वयं
सहायता समूह के निर्माण तथा इसकी गतिविधियों के लिए 10,000
रुपये का प्रावधान किया गया है।
इससे पहले वे बढ़ी हुई
ब्याज दर पर धन प्राप्त कर रहे थे। पहले बैंक ऋण मंजूर करने के लिए अनिच्छुक
रहते थे तथा खाता धारक द्वारा परियोजना रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आधार पर ऋण देते
थे।
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उन्होंने बताया कि अब
व्यक्ति तथा समूह मिशन के स्वयं-रोजगार कार्यक्रम (एसईपी) के तहत अपना छोटा
उद्यम शुरू करने के लिए घटी ब्याज दर पर वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
इसके अलावा, लाभार्थी अपने स्वयं सहायता समूह के माध्यम
से बच्चों की शिक्षा तथा अपने मकान की मरम्मत करने के लिए धन प्राप्त कर सकते
हैं।
शहरी गरीबों के
अशिक्षित तथा उनमें कौशल न होने के कारण उन्हें नौकर,
खाना बनाने, गार्ड या दुकानों में कार्य करना पड़ता है,
जहां उन्हें खराब परिस्थितियों में कार्य करना पड़ता है,
तथा उन्हें न्युनतम मजदूरी के लिए भी मना किया जाता है। एनयूएलएम में यह निर्णय
लिया गया है कि इन्हें नया कौशल सीखने का अवसर दिया जाए,
जिससे के वे बेहतर वेतन प्राप्त कर सकें या स्वयं का व्यवसाय चालू कर सकें।
चूंकि यह मिशन का महत्वपूर्ण
घटक है कि बजट का 50 प्रतिशत चालू पंचवर्षीय योजना में 2.8 मिलियन शहरी गरीबों को
प्रशिक्षण देने के लिए खर्च किया जाए। इस प्रयोजन कि लिए प्रशिक्षण संस्थान गठित
किए जाएंगे। कौशल का प्रशिक्षण देने वाले इन्हें अच्छे धंधों में स्थापित
कराएंगे और यह ध्यान रखेंगे कि पहले छह महिनों में किसी भी प्रकार का उनका शोषण न
हो।
बाजार की मांग को देखते
हुए खुदरा से लेकर नर्सिंग का विविध कौशल प्रदान किया जाएगा तथा कार्यक्रम के पूरा
होने पर प्रत्येक व्यक्ति को प्रमाण पत्र दिया जाएगा। इन प्रशिक्षण केंद्रों का
सुनियोजित पाठ्यक्रम होगा तथा आवश्यक उपकरण तथा प्रशिक्षण सामग्री मुहैया की
जाएगी।
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राष्ट्रीय शहरी
आजीविका मिशन (एनयूएलएम) महत्वकांक्षी कार्यक्रम है,
जिसमें शहरी गरीब की आजीविका का सुधार करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इसका
अच्छी तरह से कार्यान्वयन होने पर देश के शहरी केंद्रों की झुग्गियों में रहने
वाले लोगों के जीवन पर प्रत्यक्ष और दूरगामी प्रभाव पड़ेगा।
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