सार्वजनिक-निजी सहभागिता मॉडल की जानकारी। PPP Model in Hindi
आर्थिक और सामाजिक अवसंरचना संपत्ति के सृजन में
निजी क्षेत्र की कुशलता लगाने और गुणवत्तापूर्ण सेवा प्रदान करने में सार्वजनिक
निजी भागीदारी (पीपीपी) एक कारगर उपकरण है। अवसंरचना के निर्माण में निजी क्षेत्र
की भागीदारी में खास तौर पर सार्वजनिक निजी भागीदारी के माध्यम से हाल के वर्षों
में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। मार्च 2011 तक 371,239
करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत के साथ 700 से भी ज्यादा परियोजनाओं की तुलना में
जनवरी 2012 में 543,045 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत के
साथ सार्वजनिक निजी भागीदारी की 881 परियोजनाएं हैं। ये परियोजनाएं क्रियान्वयन
के विभिन्न चरणों में, अर्थात् निविदा, निर्माण और संचालन अवस्थाओं में हैं। सार्वजनिक निजी भागीदारी के
अंतर्गत प्रोत्साहित किए गए विस्तृत क्षेत्रों में राजमार्ग, रेल, बंदरगाह, हवाई अड्डे, बिजली और शहरी अवसंरचना अत्यादि शामिल हैं।
सार्वजनिक निजी भागीदारी मूल्यांकन समिति
द्वारा मंजूर की गई सार्वजनिक निजी भागीदारी की परियोजनाएं
सार्वजनिक निजी भागीदारी परियोजनाओं के लिए मूल्यांकन
प्रक्रिया को युक्तिसंगत बनाया गया है ताकि परियोजनाओं के शीघ्र मूल्यांकन को
सुनिश्चित किया जा सके, होने वाले विलंब को खत्म किया
जा सके, सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय प्रक्रियाओं को अपनाया
जा सके और मूल्यांकन प्रक्रिया और दिशा-निर्देशों में समरूपता हो सके। अधिसूचित
मूल्यांकन प्रक्रिया में सार्वजनिक निजी भागीदारी मूल्यांकन समिति (पीपीपीएसी)
का गठन शामिल है जो केन्द्रीय क्षेत्र में सार्वजनिक निजी भागीदारी को परियोजनाओं
के मूल्यांकन के लिए जिम्मेदार है। जनवरी 2006 में अपने गठन के बाद से सार्वजनिक
निजी भागीदारी मूल्यांकन समिति ने 212,819.50 करोड़ रुपये
की कुल परियोजना लागत के साथ 223 परियोजनाओं को मंजूरी दी है।
मानकीकृत निविदा और अनुबंध दस्तावेजों को
अधिसूचित कर दिया गया है। इनमें शामिल हैं: योग्यता के लिए मॉडल अनुरोध (आरएफक्यून)
प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) और तकनीकी परामर्शदाताओं के प्रस्ताव के लिए
अनुरोध राजमार्ग (राष्ट्रीय और राज्य राजमार्ग),
बंदरगाह, शहरी परिवहन (मेट्रो),
विद्युत क्षेत्र समेत विभिन्न क्षेत्रों के लिए मॉडल रियायत समझौते (एमसीए)।
मानकों व विशिष्टीकरण के नियमों को विकसित और मानकीकृत किया गया है। इसके बाद एक
पारदर्शी खुली प्रतिस्पर्धा निविदा प्रक्रिया माध्यम से परियोजना के प्रायोजकों
को परियोजना की दिशा में प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे
निविदा प्रक्रिया और अनुबंध शर्तों से ज्यादा पारदर्शिता और निरंतरता आती है।
सार्वजनिक-निजी भागीदारी परियोजनाओं का
क्षेत्रीय वितरण
सार्वजनिक निजी भागीदारी की सर्वाधिक परियोजनाएं
सड़क क्षेत्र में शुरू की गई हैं। इस क्षेत्र में सार्वजनिक निजी भागीदारी की 447
परियोजनाएं शुरू की गई हैं जो कुल परियोजनाओं का 51.6 प्रतिशत है। इसके बाद 177
परियोजनाओं (22.4 प्रतिशत) के साथ शहरी विकास क्षेत्र, 77 परियोजनाओं (8.9 प्रतिशत) के साथ ऊर्जा क्षेत्र,
62 परियोजनाओं (7.2 प्रतिशत) के साथ बंदरगाह और 55 परियोजनाओं (6.4 प्रतिशत) के
साथ पर्यटन क्षेत्र का स्थान है। 225 परियोजनाओं को पूरा कर लिया गया है जबकि 410
परियोजनाओं निर्माण की विभिन्न चरण में हैं और 184 निविदा के अंतर्गत हैं एवं शेष
अन्य चरण में हैं। राज्य आधार पर सार्वजनिक निजी भागीदारी के अंतर्गत कर्नाटक
में 44,459.85 करोड़ रुपये की कुल लागत के साथ सर्वाधिक 105
परियोजनाएं हैं, जिसके बाद आंध्र प्रदेश में 67, 696.31 करोड़ रुपये की परियोजना लागत के साथ 98 परियोजनाएं, माध्य प्रदेश में 14,928.7 करोड़ रुपये की
परियोजना लागत के साथ 86 परियोजनाएं, महाराष्ट्र में 45,916.34 करोड़ रुपये की परियोजना लागत के साथ 76 परियोजनाएं, गुजरात में 45,315.02 करोड़ रुपये की परियोजना लागत
के साथ 72 परियोजनाएं, राजस्थान में 16,479.5 करोड़ रुपये की परियोजना लागत के साथ 65 परियोजनाएं, तमिलनाडु में 21,491.04 करोड़ रुपये की परियोजना
लागत के साथ 50 पिरयोजनाएं, हरियाणा में 67,840.57 करोड़ रुपये की परियोजना लागत के साथ 35 परियोजनाएं, पश्चिम बंगाल में 6,849.8 करोड़ रुपये की परियोजना
लागत के साथ 34 परियोजनाएं और ओडि़शा में 22,652.88 करोड़
करोड़ रुपये की परियोजना लागत के साथ 32 परियोजनाएं, केरल
में 22,281.54 करोड़ रुपये की परियोजना लागत के साथ 32 और
पंजाब में 4,653.7 करोड़ रुपये की परियोजना लागत के साथ 32
परियोजनाएं हैं।
व्यावहारिकता अंतर सहायता योजना (वायबिलिटी गैप
फंडिंग स्कीम)
अवसंरचना परियोजनाओं की सकारात्मक विशेषताओं को
केवल परियोजना के लिए तय किए राजस्व के आधार पर पूरा नहीं किया जा सकता। इस कारण
से एक परियोजना आर्थिक रूप से जरूरी हो सकती है लेकिन व्यावसायिक रूप से व्यावहारिक
नहीं हो सकती। ऐसी परियोजनाएं जो सीमांत रूप से व्यववहार्य या अव्यवहार्य हैं, उन्हें अनुदान के जरिए वित्तीय रूप से आकर्षित बनाया जा सकता है।
अवसंरचना में पीपीपी के वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए व्यावहारिकता अंतर
सहायता (वीजीएफ) योजना बनाई गई थी। यह पीपीपी परियोजनाओं को कुल परियोजना लागत की
20 प्रतिशत तक की सहायता उपलब्ध कराती है। अब तक 67,237.47
करोड़ रुपए की कुल परियोजना लागत और 13,077.28 करोड़ रुपए की
वीजीएफ सहायता के साथ 131 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। अवसंरचना में पीपीपी को
वित्तीय समर्थन योजना के तहत व्यावहारिकता अंतर सहायता के रूप में 617.00 करोड़
रुपए की राशि आवंटित की गई है।
वीजीएफ सहायता के लिए पात्र सूची में निम्नलिखित
उप-क्षेत्रों को सम्मिलित किया गया है:
आर्थिक मामलों के विभाग की अधिसूचना दिनांक 17
मार्च, 2011 के तहत ‘कोल्ड चेन और पोस्ट हार्वेस्ट स्टोरोज
सहित आधुनिक भंडारण क्षमता बनाने में पूंजी निवेश’
आर्थिक मामलों की अधिसूचना 4 मई, 2011 के तहत शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल विकास
में, बिना किसी पेंशन प्रावधान के ‘2
फरवरी, 2012 की अधिसूचना के तहत विशेष आर्थिक क्षेत्र में
अवसंरचना परियोजनाओं तथा राष्ट्रीय निवेश और विनिर्माण क्षेत्र में आंतरिक
अवसंरचना’
24 मई, 2012 की
अधिसूचना के तहत तेल/गैस/लिक्विफाइड नेच्युरल गैस (एलएनजी) भंडारण सुविधा (शहर
गैस वितरण नेटवर्क शामिल), तेल और गैस पाइपलाइन (शहर गैस
वितरण नेटवर्क शामिल), सिंचाई (बांध,
तटबंध आदि), दूरसंचार टावर, टर्मिनल
मार्केट, कृषि बाजारों में सामान्य अवसंरचना और मिट्टी जांच
के लिए प्रयोगशालाएं।
अवसरंचना में पीपीपी परियोजनाओं को सहायता देने
के लिए वीजीएफ योजना का दायरा निजी निवेश आकर्षित करने के लिए भी बढ़ाया गया है।
पांच साल की अवधि में 18,500 करोड़ रुपए की केंद्रीय
सहायता से दिल्ली, मुम्बई औद्योगिक गलियारे (डीएमआईसी) को
पश्चिम समर्पित रेल माल गलियारे के साथ विकसित किया जा रहा है।
भारतीय अवसंरचना परियोजना विकास कोष
(आईआईपीडीएफ) के तहत स्वीकृत परियोनाएं
आईआईपीडीएफ ऐसी परियोजनाओं में सहायता प्रदान
करता है जो पीपीपी परियोजना की पहचान और तैयारी में बेहतर प्रणालियों के समर्थन
करती हैं। आईआईपीडीएफ परियोजना विकास खर्च के 75 प्रतिशत तक का समर्थन करता है। अब
तक 64.51 करोड़ रुपए की आईआईपीडएफ सहायता के साथ 51 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई
है।
राष्ट्रीय पीपीपी क्षमता निर्माण कार्यक्रम
राज्य और निगम स्तर के सार्वजनिक पदाधिकारियों
की क्षमता निर्माण को मजबूत करने तथा राज्य स्तर पर चल रहे कार्यक्रमों में
पीपीपी क्षमता निर्माण कार्यक्रम को एकीकृत करने के लिए आर्थिक मामलों के विभाग ने
व्यापक राष्ट्रीय पीपीपी क्षमता निर्माण कार्यक्रम विकसित किया है। केएफडब्यू
जर्मन विकास बैंक के साथ मिलकर इसकी राज्य स्तर पर शुरुआत की गई है। इसके तहत 8
विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं तथा 155 ट्रेनर आफ ट्रेनर्स को इसमें शामिल
किया गया है। 15 राज्यों और 2 केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थानों भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय
और लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय अकादमी प्रशासन ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की
शुरुआत कर दी है तथा जिसने अपने क्षेत्र में पीपीपी के साथ कार्य करने वाले 700 से
अधिक सार्वजनिक पदाधिकारियों को प्रशिक्षण किया है।
राष्ट्रीय पीपीपी नीति और नियम
वर्ष 2011-12 के बजट भाषण में वित्त मंत्री ने ‘पीपीपी पर व्यापक नीति’ बनाने की घोषणा की थी।
आर्थिक मामलों के विभाग ने ‘राष्ट्रीय सार्वजनिक-निजी
भागीदारी नीति’ का मसौदा तैयार किया है जिसे अंतिम रूप दिया
जा रहा है। इसके अतिरिक्त सार्वजनिक खरीद पर समिति की सिफारिशों को देखते हुए ‘पीपीपी नियम’ मसौदा तैयार किया गया है। इस पर
केंद्रीय और राज्य स्तर पर गहन विचार-विमर्श चल रहा है।
आनलाइन डाटाबेस
देश में सार्वजनिक निजी भागीदारी की परियोजनाओं
का एक आनलाइन डाटाबेस www.pppindiadatabase.com
और उसकी वेबसाइट www.pppindia.com को
विकसित किया गया हैं। इस वेबसाइट के उद्देश्य केंद्रीय, राज्य और क्षेत्रीय स्तर पर भारत में सार्वजनिक निजी भागीदारी के
प्रयासों की स्थिति पर व्यापक और ताजा सूचना प्रदान करना है। संपूर्ण देश के तौर
पर भारत में ई-गवर्नेंश, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र
में सार्वजनिक-निजी भागीदारी का बड़े पैमाने पर उपयोग नहीं
हुआ है। हालांकि हाल में इन क्षेत्रों में कुछ गतिविधियां हो रही हैं।
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