राष्ट्रीय बालिका दिवस पर निबंध Rashtriya Balika Diwas Par Nibandh : 24 जनवरी का दिन राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन 1966 में श्रीमती इंदिरा गांधी ने भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री का पद संभाला था। भारत का इतिहास सफल महिलाओं के उदाहरणों से भरा पड़ा है जिन्होंने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में ऊचाइयों को छुआ है। लेकिन विडंबना यह है कि अनेक सांस्कृतिक वजहों से बालिकाओं को आज भी अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसका उद्देश्य वर्तमान मानसिकता को खत्म करके यह सुनिश्चित करना है कि लड़की के जन्म से पहले ही उसे बोझ न समझा जाए और वह हिंसा अथवा भ्रूण हत्या शिकार न बने। इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार 3 ‘ए’ पर जोर दे रही है जिनमें एडवोकेसी यानी रक्षा, जागरूकता और सकारात्मक कार्य शामिल हैं। कुछ महत्वपूर्ण विधायी उपाय जो अब तक किए गए है।
राष्ट्रीय बालिका दिवस पर निबंध Rashtriya Balika Diwas Par Nibandh
- सरकार अन्य हितधारकों के साथ यह प्रयास करती है कि बालिकाएं जीवित रहें और पुरुष प्रधान समाज में गरिमा और सम्मान से जिएं।
- जागरूकता बढ़ाने और बालिकाओं को नए अवसरों की पेशकश।
- लड़कियों को सामने आने वाली सभी असमानताओं को समाप्त करना।
- यह सुनिश्चित करना कि प्रत्येक बालिका को उचित सम्मान, मानवाधिकार और भारतीय समाज में मूल्य मिलें।
- बालिकाओं पर लगे सामाजिक कलंक से मुकाबला करने और बच्चों के लिंग अनुपात को खत्म को करने के विरुद्ध काम करना।
- बालिकाओं की भूमिका और उनके महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
- लिंग समानता को बढ़ावा देना।
- गर्भावस्था के दौरान लिंग का पता लगाने पर रोक और बालिकाओं को पारितोषिक देने के लिए नीतियां और कार्यक्रम।
- बाल-विवाह पर रोक।
- सभी गर्भवती महिलाओं की प्रसव-पूर्व देखभाल में सुधार।
- “बालिका बचाव योजना” शुरू करना।
- 14 वर्ष की उम्र तक लड़के और लड़कियां दोनों के लिए नि:शुल्क और अनिवार्य प्राइमरी स्कूल शिक्षा।
- महिलाओं के लिए स्थानीय निकायों में एक-तिहाई सीट आरक्षित करना।
- स्कूली बच्चों को वर्दी, दोपहर का भोजन और शिक्षण सामग्री दी जाती है और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की लड़कियों के लिए उच्च शिक्षा की योजनाएं।
- बालवाड़ी और पालना-घर।
- पिछड़े इलाकों की लड़कियों की सुविधा के लिए ओपन लर्निंग प्रणाली स्थापित।
- विभिन्न राज्यों में लड़कियों की मदद के लिए स्व-सहायता समूह ग्रामीण इलाकों में ताकि उन्हें बेहतर जीवन-यापन के अवसर मिल सकें।
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