आपदा प्रबंधन का विश्‍लेषण एवं ऐतिहासिक पृष्‍ठभूमि

आपदा प्रबंधन के भीतर हम विशुद्ध रूप से प्राकृतिक और मानवीय घटानाओं का उनके कारणों का उनकी उत्‍पत्ति के पीछे मानेवैज्ञानिक और वैज्ञानिक अवधारणाओं का तथा उनके संपूर्ण कारणों और निवारण का अध्‍ययन करते हैं। अत: यह विषयवस्‍तु न केवल प्रबंधन से संबंधित है अपितु प्राकृतिक और मानवीय घटनाओं के विश्‍लषण से ही परभूत है। ‘प्रबंधन’ संज्ञा देना वस्‍तुत: आपदाओं के उपरांत अव्‍यवस्‍थता को व्‍यवस्‍थित करने व उनके निराकरण से संबंधित है। भारतीय और विश्‍व के दृष्‍टिकोण से यदि आपदा प्रबंधन का विचार और क्रियान्‍वयन व्‍याख्‍यारित किया जाए तो यह स्‍पष्‍ट हो जाता है कि संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ की स्‍थापना के उपरांत जब व्‍यवहारवाद, विश्‍व विरासत, विश्‍व सांस्‍कृतिक, विश्‍व सुरक्षा और वैश्‍विक विकास का विचार अस्‍तित्‍व में आया तब उसी के साथ मानव जीवन के सुरक्षित रखना उसके विकास और कल्‍याण के लिए समग्र रूप से विचार करना तथा उसे प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षित रखना व घटनाओं के उपरांत क्षेत्रीय और समुदायिक सुरक्षा की भावना को विकसित करना ही आपदा प्रबंधन का विषयवस्‍तु बन गया।

आपदा प्रबंधन का विश्‍लेषण एवं ऐतिहासिक पृष्‍ठभूमि

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विषयवस्‍तु एवं प्रस्‍तावना : ऐतिहासिक और वैज्ञानिक दृष्‍टि से मनुष्‍य एक विवेकशील, सुदृढ़ और स्‍वस्‍थ्‍य मानसिकता का प्राणी है, यद्यपि वह चतुष्‍पादीयों से पृ‍थक है जागृत विवेक का स्‍वामी हे, तथापि उसका जीवन पूर्ण रूप से सुरक्षित नहीं है। अर्थात् कहीं न कहीं उसका स्‍वयं का विवेक प्राकृतिक एवं दैवीय आपदाओं के आगे सदैव ही असहाय होता जाता है। ऐतिहासिक पृष्‍ठभूमि यह भी बताती है कि केवल प्राकृतिक एवं दैवीय घटनाएं ही उसके जीवन को नकारात्‍मक रूप से प्रभावित नहीं करती हैं अपितु मानवीय एवं विकासशील विचाराधारा, अवधारणाओं पर विवेक को प्रभावी बनाना कुछ ऐसे मानसिक और मनोवैज्ञानिक उहा-पोह है जो मानवीय आपदाओं का ही कारण बनते हैं। आपदा प्रबंधन के भीतर हम विशुद्ध रूप से प्राकृतिक और मानवीय घटानाओं का उनके कारणों का उनकी उत्‍पत्ति के पीछे मानेवैज्ञानिक और वैज्ञानिक अवधारणाओं का तथा उनके संपूर्ण कारणों और निवारण का अध्‍ययन करते हैं। अत: यह विषयवस्‍तु न केवल प्रबंधन से संबंधित है अपितु प्राकृतिक और मानवीय घटनाओं के विश्‍लषण से ही परभूत है। प्रबंधन संज्ञा देना वस्‍तुत: आपदाओं के उपरांत अव्‍यवस्‍थता को व्‍यवस्‍थित करने व उनके निराकरण से संबंधित है।
तथ्‍यपरक विश्‍लेषण/प्रश्‍नोत्तरी/ऐतिहासिक पृष्‍ठभूमि
भारतीय और विश्‍व के दृष्‍टिकोण से यदि आपदा प्रबंधन का विचार और क्रियान्‍वयन व्‍याख्‍यारित किया जाए तो यह स्‍पष्‍ट हो जाता है कि संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ की स्‍थापना के उपरांत जब व्‍यवहारवाद, विश्‍व विरासत, विश्‍व सांस्‍कृतिक, विश्‍व सुरक्षा और वैश्‍विक विकास का विचार अस्‍तित्‍व में आया तब उसी के साथ मानव जीवन के सुरक्षित रखना उसके विकास और कल्‍याण के लिए समग्र रूप से विचार करना तथा उसे प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षित रखना व घटनाओं के उपरांत क्षेत्रीय और समुदायिक सुरक्षा की भावना को विकसित करना ही आपदा प्रबंधन का विषयवस्‍तु बन गया। इसी के कारण अमेरिका में 1952 में Disaster solution नाम की एक सार्वजनिक संस्‍था स्‍थापित हुई तो वहीं 1968 में चीन और रूस ने मिलकर Volvo Mgt नाम से एक संस्‍था स्‍थापित करी। ज्ञतव्‍य है किये दोनों ही संस्‍थाएं सार्वजनिक थीं और मानव संसाधन से सम्‍बद्ध थीं। 1971 में संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ में Welfare & Defence Enforcement नामक एक अधिनियम पारित करके सेना की एक बड़ी टुकड़ी विश्‍वव्‍यापी स्‍तर पर लोगों की प्रकृतिक घटनाओं के उपरांत सुरक्षा एवं संवर्द्धन के कारण निर्मित की गई। इस प्रकार विश्‍वव्‍यापी स्‍तर पर संयुक्‍त संघ, अमेरिका, चीन और रूस ने प्राक्रतिक घटनाओं से प्रभावि
त जनमानस की सेवा, सुरक्षा और संवर्द्धन का कार्य का कार्य प्रारंभ किया।

भारतीय उपमहाद्वीप जिसकी भौगोलिक स्‍थिति ही प्राकृतिक रूप से अनेकों विभिन्‍नताएं तथा अनेकों चरणों में भ्रंशीय और जलवायवीय परिवर्तन लिए हुए हैं। साहित्‍यकारों और देशाटन करने वाले व्‍यक्‍तियों के लिए यह अत्‍यधिक प्रभाशाली और रमणीय है किंतु अत्‍यधिक प्राकृतिक विभिन्‍नता तथा क्षेत्रीय वलय और अनेकों पर्वत श्रेणियों का बाहर व भीतर होना, इसके साथ-साथ तीन मुख्‍य सागरों से घिरा होना चक्रवात के लिए अत्‍यधिक संवेदनशील होना हिमाद्री, सह्याद्री और विन्‍ध्‍य तथा सतपुड़ा का वलयकारी होना भौगोलिक रूप से भारतीय उपमहाद्वीप अत्‍यधिक संवेदनशील क्षेत्र प्राकृतिक आपदाओं का बना देता है।

भूगोलवेत्ता तथा मानवशास्‍त्री यह स्‍वीकारते हैं कि विन्‍ध्‍य का निचला हिस्‍सा कभी अफ्रीका महाद्वीप का अंग था जिसका सतपुड़ा से जुड़ा जाना और इसका ऊपर की स्‍तर का दबाव, भूकंप, सुनामी आदि के लिए अत्‍यधिक संवेदनशील होना बताता है।

ठीक इसी प्रकार एशिया के अन्‍य देश जैसे- जावा, सुमाद्रा, इंडोनेशिया, पाप्‍वानिया गिनी, आईलैंड जैसे आदि भी।
1975 में सिंगापुर में दक्षिण पूर्व एशिया की भौगिलक स्‍थिति पर विचार हुआ और इस क्षेत्र को आपदा की दृष्‍टि से संवेदनशील माना गया।

1976 में द.पू.ए. आपदा प्रबंधन का निर्माण कालांतर में इसे आपदा के अंतर्गत कर दिया। आ.प्र. के अंतर्गत मानवीय और दैवीय घटनाएं दोनों ही सम्मिलित कही जाती है, ह्यूगो विउंज की प्रणाली आरंभ वास्‍तव में इसके अंतर वास्‍तव में इसके अंतर संवेदनीय क्षेत्र हैं। पूर्वानुवाद करके शोध करना/चलित व्‍यवस्‍था में हस्‍तक्षेप न करते हुए आपदा का पुर्वाग्रह से विचार करके प्रबंधन की सामग्री और विकल्‍प कर लेना है।
स्‍पष्‍ट हो कि ह्यूगो Format के अंतर्गत कारणों पर शोध और निवारण के लिए सक्षम बनता है वस्‍तुत: आपदा प्रबंधन के पाठ्यक्रम अंतर्गत कई विशेष विषयों का समयोजन करा जाता है, जैसे भूगोल, खगोल, मौसम, जलवायु तथा तकनीकी ज्ञान व अभियांत्रिकी इन विषय वस्‍तुओं से आपदा के उपरांत  क्षेत्र-विशेष को अधिकतम सुरक्षा और निम्‍नत नुकसान का विचाराधारा को रखा जाता है। वस्‍तुत: आपदा प्रबंधन 1980 के दशक में विश्‍वव्‍यापी दैवीय घटनाओं के उपरांत मानव संसाधन मंत्रालय के भीतर स्‍थान प्राप्‍त कर सकता है। आपदा प्रबंधन का उद्देश्‍य समस्‍या का निवारण नहीं अपितु समस्‍या से ग्रसित क्षेत्र का पूर्वानुमान लगाना अथवा समस्‍या ग्रस्‍त क्षेत्र के सुरक्षा तथा मानवीय और भौतिक हानि को नियंत्रित व सीमित करना।

स्‍पष्‍ट हो कि विश्‍वव्‍यापी स.रा. से सृजित आपदा प्रबंधन का कार्य व उससे संबंधित अध्‍ययन व अध्‍यापन भारत में संवैधानिक रूप से लंबे समय उपरांत प्रारंभ हुआ। किंतु इस सत्‍य को नकारा नहीं जा सकता कि भारतीय आपदा प्रबंधन दैवीय और मानवीय दोनों ही घटनाओं को समाहित किये हुए है। 2005 में विशुद्ध रूप से आपदा प्रबंधन अधिनियम यद्यपि यह DPSP में राज्‍य के उत्तरदायित्‍व में आता था किंतु मानव संसाधन के अंतर्गत इसका केंद्रीय व प्रांतीय स्‍तर पर संगठित करना भारत द्वारा आपदा प्रबंधन को प्रोत्‍साहन देने का श्रेष्‍ठ उदाहरण है। ज्ञातव्‍य हो, भारतीय आ.प्र. प्राधिकरण के अंतर्गत (IDMA) मानव संसाधन मंत्रालय ने इसे विभिन्‍न विश्‍वविद्यालय में पृथक रूप से भूगोल, समाजशास्‍त्र व मानवशास्‍त्र के साथ संबद्ध कर अध्‍ययन अध्‍यापन प्रांरभ कर दिया है। जहां ह्यूगों Format के अंतर्गत अभियांत्रिक प्रारूप के अंतर्गत पठन-पठन होताहै जिसमें रक्षा विभाग, नौसेना, वायु सेना विशिष्‍ठस सेना तथा अभियांत्रिकी से जुड़े हुए कई विशिष्‍ठ विभाग की संबद्ध है। 2008 में National Defence Response Academy के अंतर्गत 10000 सैनिकों की एक पृथक प्रशिक्षण प्रणाली शुरू हुई जिसमें उन्‍हें आपदा प्रबंधन करना व आपदा से ग्रसित अन्‍वेक्षण, सर्वेक्षण का निराकरण की विशिष्‍ट प्रणालियां सिखायी गयीं। 2008 में भा.मा. विभव को भी एक आपदा प्रबंधन की शाखा से संबद्ध कर लिया गया। 2010 में जापान का New technic प्रणाली को भी आपदा प्रबंधन से नये संवेदनशील क्षेत्रों में भूमि का दबाव, जनसंख्‍या भी कम हो तथा यहां पर स्‍थानांतरित जनसंख्‍या को ही सरकारों व गैर-सरकारी सहयोग मिलेगा अर्थात पक्‍के मकान व स्‍थायी बस्‍तियां इन दोनों को छोड़कर कर। 7016 किमी का समुद्री क्षेत्र इसी प्रकार की संवेदनशील क्षेत्र है।

ह्यूगो Format अभियांत्रिक Format और Tectonic औद्योगिक जाल नहीं होगा आपदा प्रबंधके सबसे अधिक तथापि भारत में आपदा प्रबंध तुलनात्‍मक रूप से वास्‍तव में अनेकों त्रासदियों के लिए उत्तरदायी है। यद्यपि भारत सरकार अति उदारवादी इस युग में आपदा प्रबंधनको लेकर संवेदनशील है इसका कार्य दोल गति से जल रहा है। कई क्षेत्रों में भारतीय आपदा प्रबंधन में सफलता प्राप्‍त की जा चुकी है। किंतु मात्र एक दशक पुराने इस पृथक मंत्रालय को विकास शोध पर अधिक ध्‍यान देना होगा।

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आपदा प्रबंधन के भीतर हम विशुद्ध रूप से प्राकृतिक और मानवीय घटानाओं का उनके कारणों का उनकी उत्‍पत्ति के पीछे मानेवैज्ञानिक और वैज्ञानिक अवधारणाओं का तथा उनके संपूर्ण कारणों और निवारण का अध्‍ययन करते हैं। अत: यह विषयवस्‍तु न केवल प्रबंधन से संबंधित है अपितु प्राकृतिक और मानवीय घटनाओं के विश्‍लषण से ही परभूत है। ‘प्रबंधन’ संज्ञा देना वस्‍तुत: आपदाओं के उपरांत अव्‍यवस्‍थता को व्‍यवस्‍थित करने व उनके निराकरण से संबंधित है। भारतीय और विश्‍व के दृष्‍टिकोण से यदि आपदा प्रबंधन का विचार और क्रियान्‍वयन व्‍याख्‍यारित किया जाए तो यह स्‍पष्‍ट हो जाता है कि संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ की स्‍थापना के उपरांत जब व्‍यवहारवाद, विश्‍व विरासत, विश्‍व सांस्‍कृतिक, विश्‍व सुरक्षा और वैश्‍विक विकास का विचार अस्‍तित्‍व में आया तब उसी के साथ मानव जीवन के सुरक्षित रखना उसके विकास और कल्‍याण के लिए समग्र रूप से विचार करना तथा उसे प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षित रखना व घटनाओं के उपरांत क्षेत्रीय और समुदायिक सुरक्षा की भावना को विकसित करना ही आपदा प्रबंधन का विषयवस्‍तु बन गया।
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