विश्लेषण किसे कहते हैं उदाहरण सहित बताइए: विश्लेषण से तात्पर्य किसी विषय वस्तु अथवा समस्या को छोटे-छोटे सार्थक भागों मे बाँट कर अध्ययन करना है। किसी स
विश्लेषण किसे कहते हैं उदाहरण सहित बताइए
विश्लेषण से तात्पर्य किसी विषय वस्तु अथवा समस्या को छोटे-छोटे सार्थक भागों मे बाँट कर अध्ययन करना है। किसी सूचना स्रोत की सूचना सामग्री का केवल विश्लेषण करने से ही उसका स्पष्ट एवं निष्चित ज्ञान प्राप्त नहीं हो सकता। अतः सामग्री को विभिन्न जरूरतों और आवश्यकताओं के अनुसार उपयोग हेतु सुविधाजनक बनाने के लिए यह जरूरी है कि उसका अच्छी तरह से विश्लेषण किया जाये तथा आवष्यक अवधारणाओं की पहचान करके सुव्यवस्थित रूप में उपयोगकर्ता को प्रदान किया जाये।
'विश्लेषण' लिखित संप्रेषण का महत्त्वपूर्ण अंग है। किसी भी विषय पर लिखने से पूर्व कई दृष्टियों से उसका विषय विश्लेषण कर परखना जरूरी हो जाता है। अंतिम निर्णय पर पहुँचने से पहले उसे विषय से सम्बन्धित व्यक्तियों और स्थितियों सकात्मक और नकारात्मक पहलुओं का गम्भीर विश्लेषण करना आवश्यक हो जाता है। यदि गंभीर विश्लेषण किए बिना, लोगों की राय जाने बिना लेखक किसी पूर्वाग्रह के कारण अपना मत दे देता है तो निष्पक्ष निर्णय नहीं हो पाता है इसलिए किसी भी ज्लवंत और विवादास्पद मुद्दे पर निर्णय देते समय संवाददाता को चाहिए कि वह घटनास्थल से जुड़े सभी चश्मदीद गवाहों, पात्रों के मनोभावों, विचारों एवं उनकी मानसिक एवं मनोवैज्ञानिक प्रवृत्तियों का विश्लेषण करे। किसी भी सम्पादकीय लेख में किसी विवादास्पद मुद्दे की पृष्ठभूमि के संदर्भ में तक-वितर्क सहित विश्लेषण करते हुए अंत में संपादक तटस्थ रहकर जनहित में अपना निर्णय देता है।
विश्लेषण की परिभाषाएँ (Definitions)
कैपलन के अनुसार "विषय-वस्तु विश्लेषण एक विशेष सम्प्रेषण के अंतर्गत निहित आषयों को क्रमबद्ध तथा मात्रात्मक रूप से विवेचनात्मक अध्ययन प्रस्तुत करने का प्रयास करता है।"
वैपलेस और बेरिलसन के शब्दों में "क्रमबद्ध विषय-वस्तु विश्लेषण, सामान्यतः संयुक्त रूप से प्राप्त सामग्री के विवरणों को ऐसा विषिष्ट रूप प्रदान करने का प्रयास करता है जिससे पाठक अथवा श्रोता के प्रति दिये गए उद्दीपकों की प्रकृति तथा आपेक्षिक शक्ति को वस्तुपरक आधार पर प्रस्तुत किया जा सके।"
बेरिलसन की राय में “विषय–वस्तु विश्लेषण अनुसंधान की वह प्राविधि है, जिससे सम्प्रेषण द्वारा प्राप्त व्यक्त सामग्री को वस्तुपरक, क्रमबद्ध तथा मात्रात्मक रूप प्रदान किया जाता है।"
उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर कह सकते हैं कि विषय-वस्तु विश्लेषण मानवीय अनुभवों और ज्ञान के रिकॉर्ड का विश्लेषण करने का प्रयास है। यह सभी प्रकार के संचार, उसकी प्रकृति, अंतर्निहित अर्थ, गतिषील प्रक्रियाओं और संचार कार्य में लगे हुए लोगों के अध्ययन का एक साधन है। यह स्पष्ट रूप से एक गतिविधि है, जो किसी दस्तावेज या भाषण या घटना के निर्माण और उत्पादन का अनुसरण है। जिसका उद्देष्य यह अनुमान लगाना है कि संदेष किस बारे में है और उसका क्या प्रभाव पड़ने वाला है तथा उन सभी की व्याख्या करना है। संक्षेप में पुस्तकालय और सूचना सेवाओं के क्षेत्र में विषय-वस्तु विश्लेषण बौद्धिक सामग्री या दस्तावेजों को व्यवस्थित करने के लिए एक साधन है। जो जानकारी के स्रोत तक उपयोगकर्ताओं की पहुँच आसान बनाने के लिए उपयोगी है।
विश्लेषण का उदहारण (Vishleshan ka Udaharan)
उदाहरण स्वरूप यहाँ एक विवादास्पद मुद्दे पर विश्लेषण करके निष्पक्ष निर्णय की प्रक्रिया को देख सकते हैं।
विषय : कश्मीरी पंडितों को घाटी में फिर से बसाने की योजना
वर्तमान स्थिति: पंडितों को घाटी में फिर से बसाने की योजना को फिलहाल लागू न किए जाने की सबसे बड़ी वजह यह है कि घाटी में भले ही -आतंकवाद का प्रकोप कम हो गया है, लेकि राजनीतिक रूप से हालात सामान्य नहीं है। सबसे व्यावहारिक बात यह है कि कश्मीरी पंडितों को बसाने की कोई सुनियोजित योजना बनाने की बजाए पहले घाटी में माहौल सामान्य करने की कोशिश की जाए। जब स्थितियां सामान्य होने लगेंगी। तो अपने आप सहज रूप से कश्मीरी पंडितों की वापसी मुमकिन होगी।
भूतकालिक स्थिति: सन् 2008 में ऐसी ही एक परियोजना तैयार की गई थी, जिसमें कश्मीरी पंडितों को मुसलमान परिवारों के साथ बसाने की योजना थी, इस योजना 'तहत 200 फ्लैट्स बनवाए गए थे, पर योजना नाकाम रही।
भाजपा ने 2014 के चुनाव के दौरान पंडितों को घाटी में वापस लाने का वायदा किया था, इस वायदे को पूरा करने के लिए यह योजना प्रस्तावित की है। शुरू में ऐसा लग रहा था कि मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद इस योजना को आगे बढ़ाने के इच्छुक हैं, लेकिन उन्होंने इस योजना के विरोध में बयान देकर अपना रूख साफ कर दिया है। लगभग एक महीना पहले पीडीपी सरकार और कश्मीर के मुख्यमंत्री ने मसर्रत आलम जैसे कई खूंखार आतंकवादियों की रिहाई का निर्णय लेते समय केंद्र सरकार से कोई सलाह नहीं ली थी। घाटी में बाढ़ का मौका उठाकर आतंकवादी पाकिस्तान से कश्मीर में आ रहे हैं।
समस्या पर निष्पक्ष निर्णायक टिप्पणी: अंत में कहा गया कि कश्मीरी पंडितों को घाटी में फिर से बसाने की विवादास्पद योजना की जगह घाटी में हालात सामान्य होने की प्राथमिकता होनी चाहिए।
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