बढ़ते हुए प्रदूषण पर अपने विचार व्यक्त करते हुए किसी समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए। सविनय निवेदन यह है कि मैं दैनिक भास्कर समाचार पत्र के माध्यम
बढ़ते हुए प्रदूषण पर अपने विचार व्यक्त करते हुए किसी समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए।
शहर में बढ़ते प्रदूषण पर दैनिक समाचार पत्र के संपादक को पत्र
सेवा में
श्रीमान संपादक महोदय
दैनिक भाष्कर
संसद मार्ग, नई दिल्ली
6 अगस्त, 20xx
विषय - शहर में बढ़ते प्रदूषण हेतु संपादक को पत्र
महोदय
मैं इस चर्चित लोकप्रिय समाचार पत्र के माध्यम से जन-साधारण का ध्यान बढ़ते प्रदूषण की ओर आकर्षित करना चाहती हूँ। इस पत्र के 'लोकवाणी' शीर्षक से प्रकाशित पत्रों को जनता ध्यानपूर्वक पढ़ती है। इसलिए यदि आपके समाचार पत्र में प्रदुषण को लेकर लेख छपता है तो जनता में अवश्य जागरूकता आएगी।
महोदय! हालाँकि सी. एन. जी. के प्रयोग से प्रदूषण पर कुछ हद तक रोक लगी है किंतु फिर भी अनेक वाहन अभी भी ऐसे हैं जो बहुत पुराने हैं और धुआँ छोड़ते हैं। दिल्ली में बाहर से आने वाले वाहन भी प्रदूषण में बढ़ोतरी करते हैं। ट्रक, टेम्पो, मोटरसाइकिल, कूड़ा उठाने वाली गाड़ियाँ - इन सब पर यातायात पुलिस की गिद्ध दृष्टि की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त ऊँची आवाज़ में बातचीत, रेडियो, टीवी और लाउडस्पीकर, बैंड इत्यादि प्रदूषण को बढ़ाने में महती भूमिका निभाते हैं। इस पत्र के माध्यम से जन-साधारण से अनुरोध है कि वे भारत का ज़िम्मेदार नागरिक होने का कर्तव्य निभाते हुए प्रदूषण रोकने में अपनी जिम्मेदारी का दायित्व पूरा करें।
धन्यवाद
भवदीय
मंजरी गुप्ता
4. बाबर लेन, नई दिल्ली
प्रदूषण पर चिंता व्यक्त कर दैनिक भास्कर समाचार के संपादक को पत्र
सेवा में ,
श्रीमान संपादक महोदय
दैनिक भास्कर
गोमती नगर, लखनऊ
विषय : प्रदूषण पर चिंता व्यक्त कर दैनिक समाचार पत्र के संपादक को पत्र।
महाशय,
सविनय निवेदन यह है कि मैं इंदिरा नगर का स्थानीय निवासी हूं। मैं दैनिक भास्कर समाचार पत्र के माध्यम से समस्त शहरवासियों का ध्यान बढ़ते हुए वायु प्रदूषण की ओर खींचना चाहता हूं। आपको तो ज्ञात ही है कि हमारे शहर में वायु प्रदूषण दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले कल हमारे लिए काफी मुश्किल भरा होगा
यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि मनुष्य ने अपने क्रियाकलापों से वायु मण्डल या वायु को अत्यधिक प्रदूषित कर दिया है। जहाँ एक ओर विज्ञान ने मानव जीवन को आधुनिक सुविधाओं से युक्त बनाया है, वहीं वायु प्रदूषण के रूप में संकट को भी जन्म दिया है।
शहर में बढ़ते इसी पदुषण के चलते लोगों को अस्थमा, दमा, कैंसर सिर दर्द, पेट की बीमारियां, एलर्जी, दिल की बीमारी हो सकती है, जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक है। इन बीमारियों के कारण प्रतिदिन कई लोगों की मृत्यु हो जाती है।
एक शोध के अनुसार अगर इसी तेजी से वायु प्रदूषण बढ़ता रहा तो सन 2050 तक पृथ्वी का वातावरण 4 से 5 डिग्री तक बढ़ जाएगा। जबकि अगर पृथ्वी का तापमान 2 से 3% भी बढ़ता है, तो पृथ्वी के हिम ग्लेशियर पिघल जाएँगे, जिससे भयंकर बाढ़ आ सकती है और पूरी पृथ्वी नष्ट हो सकती है।
यदि आप मेरे इस पत्र को अपने अखबार में प्रकाशित करते हैं तो मैं आपका सदेव आभारी रहूंगा।
धन्यवाद।
अनमोल गुप्ता
स्थानीय वासी।
प्रदूषण पर अपने विचार व्यक्त करते हुए किसी समाचार पत्र के संपादक को पत्र
सेवा में,
संपादक महोदय,
मुख्य कार्यालय,
फेस-2, नूरी बिल्डिंग,
नई दिल्ली।
विषय- प्रदूषण पर अपने विचार व्यक्त करते हुए पत्र।
महोदय,
मैं आपके प्रतिष्ठित समाचार पत्र के माध्यम से जनता तथा प्रशासन का ध्यान शहर में बढ़ते प्रदूषण की ओर आकर्षित करना चाहता हूं। प्रदूषण के कारण शहरवासियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। छोटे-छोटे बच्चे भी अस्थमा और कैंसर और माइग्रेन जैसी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।
शहर की वायु और जल दोनों ही बुरी तरह प्रदूषित हो चुके हैं। वाहनों तथा फक्ट्रियों से निकलने वाले धुंए से अधिकांश वायु प्रदूषित हो चुकी है। जिससे लोगों को खुली हवा में भी सांस लेने में दिक्कत हो रही है। प्रदूषण के कारण प्रतिदिन अधिक संख्या में लोग विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं।
वहीँ ध्वनि प्रदुषण ने शहर के तमाम वासियों का जीवन तनावयुक्त कर दिया है। लाउडस्पीकर, वाहनों का शोर, कारखानों से होने वाला शोर इत्यादि से लोग तनाव ग्रस्त होने लगे हैं। शोर के कारण लोग सुकून से सो नहीं पाते। जिसके चलते मानसिक तनाव की स्थिति पैदा होने लगी है। यदि यह प्रदूषण ऐसे ही बढ़ता गया तो इस पर नियंत्रण कर पाना असम्भव होगा।
प्राधिकरण द्वारा प्रदूषण की रोकथाम पर जल्दी ही सख्त कानून बनाने चाहिए। इसके साथ ही जनता का यह कर्तव्य है कि वह उचित दायरे में रहकर अपनी गतिविधियों को बढ़ावा दे। नदी, तालाबों, कुंए आदि का पानी गंदा ना करे, कूड़ा- कचरे का निस्तारण उचित प्रकार से करें। शोर को सुरक्षित सीमा के भीतर रखा जाना चाहिए। अतः मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है कि उपरोक्त विचार अपने समाचार पत्र में प्रकाशित करने की कृपा करें। इसके लिए मैं आपका आभारी रहूंगा।
सधन्यवाद।
भवदीय,
पवन कुमार,
उत्तम नगर,
नई दिल्ली।
दिनांक….
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