समाज में बढ़ते अपराध का वर्णन करते हुए दैनिक समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए- सेवा में, संपादक महोदय, मैं इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान समा
समाज में बढ़ते अपराध का वर्णन करते हुए दैनिक समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए
समाज में बढ़ते हुए अपराधों की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए दैनिक समाचार पत्र के संपादक को पत्र
सेवा में,
संपादक महोदय,
मुख्य कार्यालय,
एसडी बर्मन रोड,
गाजियाबाद।
विषय- समाज में बढ़ते हुए अपराधों के संबंध में संपादक को पत्र।
महोदय,
मैं अनुराग कुमार निवासी गाजियाबाद, आपके समाचार पत्र का नियमित पाठक हूं। इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान समाज में बढ़ रहे अपराधों की और आकर्षित करना चाहता हूँ। समाज से जिस तेजी से अपराध बढ़ रहा है उसे देखकर तो बस यही कहा जा सकता है की अपराधी बेख़ौफ़ हो गए हैं उन्हें अब शासन-तथा क़ानून किसी का भी भय नहीं रहा। जिस कारण समस्त जनवासियों को अनेक मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। मैं चाहता हूँ की आप मेरे पत्र को अपने समाचार पात्र में स्थान दें जिससे सोइ हुई क़ानून व्यवस्था जाग सके।
श्रीमान, मेरे इलाके सहित शहर के अन्य कई इलाकों में कानून व्यवस्था की हालत बड़ी खराब है। पिछले कुछ दिनों से कुछ उप्रदवियों ने हम सबका अपने घरों से बाहर निकलना मुश्किल कर दिया है। रात के समय में घरों में चोरी , दिन दहाड़े सड़कों पर लूट, मारपीट करना और लोगों को जान से मारने की धमकियां देना इत्यादि घटनाएं हमारे इलाके में होती ही रहती हैं। इन सभी घटनाओं के कारण आम जनता बेहद चिंता में आ चुकी है। राजनितिक संरक्षण होते के कारण प्रशासन की ओर भी कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं।
अतः महोदय आपसे निवेदन है कि आप इस समस्या को अपने प्रतिष्ठित समाचार पत्र के माध्यम से प्रकाशित करें जिससे समाज में व्याप्त इन उपद्रवियों की प्रतिक्रियाओं पर रोक लग सके।
सधन्यवाद।
भवदीय,
अनुराग कुमार,
कौशल नगर इलाका,
गाज़ियाबाद।
दिनांक……..
समाज में बढ़ती अपराधिक गतिविधियों पर संपादक को पत्र
सेवा में,
श्रीमान संपादक महोदय,
दैनिक भास्कर, मुंबई
विषय- समाज में बढ़ती आपराधिक गतिविधियों के संबंध में
महोदय,
मैं आपके प्रतिष्ठित समाचार पत्र का नियमित पाठक हूं। इसी कारण मैं आपके समाचार पत्र के माध्यम से हमारे समाज में बढ़ती अपराधिक गतिविधियों और चरमराती कानून-व्यवस्था की ओर प्रशासन एवं उससे संबंधित अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूं। आशा करता हूं कि आप इसे अपने समाचार पत्र में उचित स्थान देने की कृपा करेंगे।
संपादक महोदय, मुंबई शहर की सारी जनता यह मानने लगी है कि अब किसी को क़ानून का भय नहीं रहा क्योंकि हमारे शहर असामाजिक तत्वों का बोलबाला बढ़ता ही जा रहा है। रात के समय लोगों की घरों से चोरी होने के साथ - साथ इस शहर में दिनदहाड़े अपराध के मामले सामने आते जा रहे हैं, राह चलती महिलाओं के आभूषण छिनना, छात्राओं के साथ अभद्र व्यवहार करना, मुसाफिरों एवं शहर में नए लोगों को लूट लेना सामान्य घटनाएं हो गई है।
मान्यवर, हम सभी मुंबई वासियों को असुरक्षा और भय की भावनाओं के साथ जीना पड़ रहा है। अतः मैं स्थानीय प्रशासन अधिकारियों से अनुरोध करता हूं वे शीघ्रातिशीघ्र आपराधिक तत्वों को पकड़कर शहर की व्यवस्था दुरुस्त करे। पुलिस प्रशासन को सतर्क रहकर क्षेत्र में हो रही चोरी, तथा अन्य अपराधिक गतिविधियों पर पुख्ता नजर रखकर अपराध को कम करने के लिए सक्रिय योगदान देना होगा। ताकि लोग को शांति, सम्मान और बिना भय के जीना संभव हो सके।
अतः संपादक महोदय से अनुरोध है कि "समाज में हो रही अपराधिक गतिविधि पर प्रशासन को जागरूक करने वाली" इस जानकारी को समाचार पत्र के उपयुक्त स्थान पर मुद्रित की जाए। जिसके लिए मैं आपका आभारी रहूंगा।
भवदीय
अनुराग कुमार,
मुंबई
दिनांक 17 फरवरी, 200………
शहर में बढ़ते अपराध के संबंध में दैनिक समाचार पत्र के संपादक को पत्र
सेवा में,
संपादक महोदय,
नवभारत टाइम्स,
नई दिल्ली।
विषय- शहर में बढ़ते अपराध के संबंध में संपादक को पत्र
महोदय,
मैं आपके दैनिक पत्र अमर उजाला के माध्यम से शहर में बढ़ते हुए अपराध के संबंध में अपने विचार व्यक्त करना चाहता हूँ। पिछले कुछ महीनों में, चोरी, डकैती और यहां तक कि हिंसक अपराधों जैसे कि मारपीट और डकैती की कई खबरें आई हैं। ये घटनाएं न केवल हमारे नागरिकों की सुरक्षा को खतरे में डालती हैं, बल्कि समुदाय की हमारी भावना को भी नुकसान पहुंचाती हैं और हमें अपने घरों में कम सुरक्षित महसूस कराती हैं।
मेरी राय में अपराध रोकने के लिए तत्काल कदम उठाना जरूरी है। अपराध को रोकने के लिए हमें अपनी स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है। इसमें उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में पुलिस गश्त बढ़ाना, दोषियों को दंडित करना शामिल है। इसके अलावा, हमें अपने समाज में अपराध के मूल कारणों जैसे गरीबी, बेरोजगारी और शिक्षा की कमी को दूर करने की आवश्यकता है।
अतः मैं आपके समाचार-पत्र के माध्यम से अपने स्थानीय नेताओं और पुलिस एजेंसियों से हमारे शहर में अपराध और अपराधियों के विरुद्ध त्वरित कार्यवाही करने का आग्रह करता हूं। आशा है कि आप मेरे पत्र को अपने समाचार पत्र में उचित स्थान देंगे।
भवदीय
अनुराग कुमार,
5/64, सीताराम बाजार , दिल्ली।
दिनांक 17 फरवरी, 20XX
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