नारी सुरक्षा को लेकर दो महिलाओं (सीमा और रमा) के बीच हुए संवाद को लगभग 40 शब्दों में लिखिए। : In This article, We are providing नारी सुरक्षा को लेकर दो महिलाओं के बीच संवाद लेखन and Nari Suraksha ko Lekar Do Mahilaon ke Beech Samvad Lekhan for Students and teachers.
नारी सुरक्षा को लेकर दो महिलाओं के बीच संवाद लेखन
सीमा : रमा, तुमने देखा आजकल लड़कियों और महिलाओं का अकेले बाहर निकलना मुश्किल हो गया है.
रमा : हाँ बहन, सही कह रही हो, आजकल तो दिन में भी घर से बाहर निकलने में डर लगता है।
सीमा : अभी कल ही अपने पड़ोस की एक महिला के साथ दिन-दहाड़े पर्स छीनकर भाग गए।
रमा : हाँ, उनके बारे में तो मैंने भी सुना। बेचारी पहले ही गरीब थीं उस पर रही-सही पूँजी भी छिन गयी।
सीमा : जहाँ देखो वहीँ लड़कियों और महिलाओं को छेड़ने और उनको तंग करने के केस सुनने को मिल रहे है।
रमा : महिलाएं करें भी तो क्या करें। महिलाओं की सुरक्षा पुलिस का काम है जो हाथ पर हाथ धरकर बैठी है।
सीमा : मेरी मानो तो बिना पुलिस की सांठगांठ के कोई अपराध होता ही नहीं। आखिर अपराधियों को भी अपनी जान प्यारी होती है।
रमा : हाँ, पर सब पुलिस वाले ऐसे नहीं होते। कुछ पुलिस वाले अपराधियों के कट्टर दुश्मन भी होते हैं।
सीमा : फिर तो भगवन से यही प्रार्थना है की ऐसे पुलिसवालों की पोस्टिंग हमारे इलाके में भी करा दे। वैसे तुम्हारे अनुसार महिलायें खुद को सुरक्षित रखने के लिए क्या कर सकती हैं।
रमा : सबसे पहले तो एक अकेली महिला को कभी किसी सुनसान रस्ते में अकेले नहीं जाना चाहिए। और कभी भी देर रात अकेले नहीं घूमना चाहिए और भीड़भाड़ वाले स्थानों को वरीयता देनी चाहिए।
सीमा : हाँ, और महिलाओं की सुरक्षा के लिए स्कूल, कालेज और ऑफिस आदि में सी.सी.टी.वी कैमरा होना चाहिए।
रमा : सही कहा सीमा और हेल्प लाइन नंबर भी देने चाहिए, नहीं तो ऐसे बहुत मुश्किल हो जायेगा।
महिला अपराध को लेकर दो महिलाओं के बीच संवाद
महिला 1: बहन, आपने आज की न्यूज़ देखी, आज फिर यूपी में एक लड़की के साथ वारदात हो गयी।
महिला 2: हाँ मैंने भी देखी, मुझे बड़ा अफ़सोस हुआ कि आज भी महिलाएं सुरक्षित नहीं है।
महिला 1: महिलाओं के साथ अपराध दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे। अपराधियों में क़ानून का कोई खौफ नहीं है।
महिला 2: सही कह रही हो बहन, आज के समय में लड़कियों से लेकर महिलाएं कोई भी सुरक्षित नहीं है।
महिला 1: जब तक सरकार इनके खिलाफ सख्त कानून न निकले तब तक लोग डरेंगे नहीं और अपराध करते ही जाएँगे।
महिला 2: सिर्फ क़ानून बनाने से कुछ नहीं होगा। क़ानून हमेशा अपराध हो जाने के बाद सहायता के लिए आता है। वास्तव में महिलाओं को अपनी सोच बदलने की और थोड़ी हिम्मत दिखने की जरुरत है।
महिला 1: सही कहा, सोच बदलेगी तो महिलाओं को भी हिम्मत आएगी। वह समाज में आजादी से अपना जीवन व्यतीत कर सकेगी।
महिला अपराध के संदर्भ में दो महिलाओं के बीच संवाद
प्रियंका : इंदु, आजकल महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध कितनी बढ़ गए हैं ना ?
इंदु : हाँ, मुझे भी ऐसा ही लगता है । न्यूज़ पेपर में आधे से ज्यादा समाचार तो महिला अपराधों से ही भरे रहते हैं।
प्रियंका : नारी सुरक्षा के लिए सरकार ने कई काम किये हैं लेकिन तब भी कुछ ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा ।
इंदु : हाँ, महिलाओं के लिए यातायात के साधनों में अलग स्थान आरक्षित रहता है, लेकिन तब भी कई पढ़े-लिखे लोग भी उन्ही महिलाओं के लिए आरक्षित सीट पर बैठ जाते हैं और मौका तलाशते रहते हैं कि कब महिलाओं को परेशान किया जाये ।
प्रियंका : अरे कल तो हद ही हो गई जब मैं बिजली का बिल जमा करने के गई तो महिला काउंटर पर एक आदमी खड़ा हुआ था। जब मैंने उससे हटने के लिए कहा तो बोलने लगा कि बस काम होने ही वाला है। वहाँ खड़ी महिलाओं ने कुछ नहीं कहा ।
इंदु : सच में, महिला सुरक्षा के लिए स्वयं महिलाएं भी तो जिम्मेदार हैं। जब तक हम ही आवाज नहीं उठाएंगी तब तक सरकार भी नियम-कायदे बना कर क्या कर लेगी ?
प्रियंका : बाज़ार में तो पेप्पर स्प्रे जैसी अब कई चीजें मिलती हैं जो महिलएं अपने बैग में अपनी सुरक्षा के लिए रख सकती हैं । उसके अलावा मोबाइल में भी आप अपना लाइव लोकेशन एक्टिवेट कर सकते हैं जिससे आप कहाँ पर हैं, यह पता चल सके ।
इंदु : वाकई में नारी सुरक्षा के लिए उपाय तो बहुत हैं, बस महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए जागरूक होने की जरुरत है ।
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