मोटर और बैलगाड़ी के बीच संवाद लेखन - मोटर: सामने से हटती नहीं ? हॉर्न दे रही हूँ, फिर भी तू सुनती ही नहीं। बैलगाड़ी: हट तो गई, अब और कितना हहूँ ? सड़क
मोटर और बैलगाड़ी के बीच संवाद लेखन - Motor aur Bailgadi Ke Beech Samvad Lekhan
मोटर: सामने से हटती नहीं ? हॉर्न दे रही हूँ, फिर भी तू सुनती ही नहीं।
बैलगाड़ी: हट तो गई, अब और कितना हहूँ ? सड़क खाली पड़ी है, निकल जाओ न ! व्यर्थ अकड़ती क्यों हो ?
मोटर: छोटा मुँह और इतनी बड़ी बात! अपनी हैसियत तो देख ! कहाँ तू और कहाँ मैं !
बैलगाड़ी: मैं अपनी हैसियत अच्छी तरह जानती हूँ और तुम्हारी भी। तुम चिकनी- चुपड़ी हो, मैं खुरदरी हूँ। तुम तेज दौड़ती हो, हॉर्न देती चलती हो। मैं धीरे-धीरे चलती हूँ, चूँ चरर-मरर चूँ चरर-मरर! तुम्हारा मूल्य अधिक है, मेरा कम। तुम लोहे की बनी हो, मेरा शरीर लकड़ी का बना है। सवारी तुम भी ढोती हो और मैं भी ढोती हूँ। तुम अमीरों की लाडली हो, मैं गरीबों की। काम दोनों एक ही करती हैं। फिर तेरा मुँह बड़ा क्यों और मेरा छोटा क्यों ? जा, अपना रास्ता नाप ! मेरे मुँह न लग, नहीं तो और खरी-खोटी सुननी पड़ेगी।
मोटर: तू खरी-खोटी मुझे क्या सुनाएगी? मैं तुझसे हर बात में श्रेष्ठ हूँ - रंग-रूप में, चाल में, सजधज में, बनावट में, तू मेरा मुकाबला नहीं कर सकती। दो- चार घंटे की यात्रा तू कई दिनों में तय करती है। तेरे यात्री अपने भाग्य पर रोते हैं और तुझे कोसते हैं। जिस मार्ग से तू निकल जाती है, उसे ऊबड़- खाबड़ बना देती है और गंदा कर देती है। तू कच्ची सड़क पर ही चलने योग्य है। पक्की सड़क तो मेरे लिए है। मैं रानी की तरह जीवन बिताती हूँ । मेरी सफाई के लिए, नहलाने-धुलाने के लिए नौकर लगे रहते हैं। है तेरी हैसियत ऐसी ?
बैलगाड़ी: वाह री रानी ! तू अपने गुण-ही-गुण देखे, दोषों पर विचार नहीं किया। माना, तुम लंबी यात्राएँ शीघ्र तय कर लेती हो, किंतु अपनी भाग-दौड़ में किसी पेड़ से टकरा गईं या खंदक में गिर पड़ीं तो ? उस समय तुम ही अपने जीवन से हाथ नहीं धोतीं, तुम्हारे साथ तुम्हारे यात्री भी सीधे स्वर्ग चले जाते हैं। जब तुम्हारी मशीन फेल हो जाती है और तुम अपने स्थान से टस-से- मस नहीं होतीं तब क्या तुम्हारे यात्री अपने भाग्य पर हँसते हैं ? ऐसी संकटापन्न परिस्थितियों में मैं ही तुम्हारी सहायता करती हूँ। मैं ही तुम्हें खींचकर तुम्हें कारखाने तक पहुँचाती हूँ। कभी तुमने भी मेरी सहायता की है ? तुम्हारे पास दास-दासियाँ हैं। मेरे सेवक मेरे बैल हैं। वे मुझे खींचते हैं, मेरे मालिक का खेत जोतते हैं। मेरे मालिक के खेतों में खाद फैलाते हैं और समय पड़ने पर बोझा भी ढोते हैं। है तुम्हारे दासों में इतना दम? तुम दौड़ती हो तो अपने पीछे इतना धुआँ और धूल उड़ाती हो कि मैदान पर चलनेवाले यात्री अपने हाथ से अपनी नाक बंद कर लेते हैं। क्या यही है रानी की चाल का नमूना ?
मोटर: चुप रह, अधिक डींग न हाँक! तू है दरिद्रों की साथिन ! यदि मुझे खींचकर कारखाने तक पहुँचाती है तो क्या मजदूरी नहीं लेती ? मैं तुझे भरपूर मजदूरी चुकाती हूँ। मजदूरी करना तेरा काम ही है। मैं किसी का एहसान नहीं लेती। देहातों से मुझे चिढ़ है। मैं नगरों की शोभा हूँ। संयुक्त राज्य अमेरिका में मेरा जन्म हुआ। मैं ऐसी-वैसी नहीं हूँ। पढ़े-लिखे लोगों का साथ करनेवाली हूँ। मैं शासकों की सहेली हूँ। जिस दिन चाहूँ उस दिन तेरी नस-नस तुड़वा सकती हूँ। मेरे एक धक्के से तेरा शरीर चकनाचूर हो सकता है और तेरे बैल मौत के घाट उतर सकते हैं। समझी या नहीं ?
बैलगाड़ी: मैं तुझे खूब समझती हूँ। तेरी नस-नस की जानकारी है मुझे ! तू हिंसा की उपासिका है। सड़क पर दौड़ती है तो पैदल चलनेवालों तथा पशुओं की जान की चिंता नहीं करती। जीव-जंतुओं और पद यात्रियों को कुचलकर तथा पुलिस की आँख बचाकर तू भाग जाती है और बनती है नगर की शोभा ! ऐसी शोभा मुझे नहीं चाहिए। तुझे अपने जन्मस्थान अमेरिका पर गर्व है तो मुझे अपने देहात पर मैं अहिंसा की उपासिका हूँ। तेरी तरह जीव- हत्या करती नहीं चलती और न ही पुलिस को धोखा देती हूँ।
मोटर: बड़ी आई अहिंसा की पुजारिन ! सड़क के नियम जो नहीं मानेगा, वह मेरी चपेट में आएगा ही। मैं हॉर्न देकर सावधान कर देती हूँ। फिर भी यदि कोई न सुने तो मैं क्या करूँ ? मुझे अँधेरे में, आँधी-तूफान में दौड़ना पड़ता है। तेरी तरह मैं कायर नहीं हूँ, वीरांगना हूँ। मैं पहाड़ों पर फटाफट चढ़ जाती हूँ । है तुझमें इतना दम?
बैलगाड़ी: मुझे पहाड़ों पर चढ़ने की आवश्यकता नहीं। मैं तो धरती पर चलती हूँ और धरती के यात्रियों की सेवा करती हूँ। आज से नहीं, सैकड़ों वर्षों से मैं इसी तरह का जीवन बिताती आ रही हूँ। मैंने अपना रंग-रूप नहीं बदला है। मेरी जो शक्ति है, उस पर मेरा अधिकार है। हालाँकि तेरे यंत्र तेरे दास हैं, पर वही तेरे जीवन का अंत कर देते हैं। मुझे इस प्रकार का भय नहीं है। तू विज्ञान की देन है, परंतु विज्ञान ने मेरा ही अनुकरण कर तुझे जन्म दिया है। यदि मैं न होती तो तेरा जन्म ही न होता। मैं ही तेरी जन्मदात्री हूँ। वह गौरव मुझे ही प्राप्त है, तुझे नहीं। अब जा, सड़क खाली पड़ी है, उस पर दौड़ ! मुझे चुपचाप यहीं विश्राम करने दे।
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