Hindi Essay on Gun, "बंदूक पर निबंध", "Bandook par Nibandh" for Students. बंदूक बेहद शक्तिशाली हथियार हैं। बंदूक किसी की जान भी ले सकती हैं। इस प्रकार
Hindi Essay on Gun, "बंदूक पर निबंध", "Bandook par Nibandh" for Students
बंदूक पर निबंध - Essay on Gun in Hindi
बंदूक पर हिंदी निबंध : बंदूक बेहद शक्तिशाली हथियार हैं। बंदूक किसी की जान भी ले सकती हैं। इस प्रकार बंदूक का इस्तेमाल बचाव, सुरक्षा या धमकी देने और मारने के लिए भी किया जा सकता है। दुनिया में कई प्रकार की बंदूकें हैं जिनकी अपनी विशिष्ट विशेषताएं हैं। इनमें रोस्को, हैंडगन, राइफल, बोल्ट पिस्टल और कई अन्य शामिल हैं। बंदूकों में निरंतर संशोधन ने देश को आतंकवादी हमलों से बचाने के साथ-साथ कानून और व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सेना के साथ-साथ पुलिस की ताकत को मजबूत किया है।
बहरहाल, अब लगभग हर समाज में बंदूक और पिस्तौल का चलन है। सांस्कृतिक नीति और भौगोलिक स्थितियों के आधार पर, विभिन्न देशों में बंदूक स्वामित्व नियंत्रण के लिए अलग-अलग नियम और नीतियां हैं। कुछ देशों में, नागरिक आसानी से बंदूक रख सकते हैं जबकि कुछ देश इसके बारे में बेहद सख्त कानून हैं। उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका में एक अमेरिकी अमेरिकी बंदूक निर्माताओं से बंदूकें और पिस्तौल ऑनलाइन खरीद सकता है। इसके अलावा स्विट्ज़रलैंड और नॉर्वे जैसे देशों में बड़ी संख्या में नागरिकों के पास बंदूकें हैं; जबकि ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और मैक्सिको जैसे देशों में बंदूकों पर कड़ा नियमन है जिसमें नागरिकों को बंदूक लाइसेंस हासिल करने के लिए परीक्षण से गुजरना पड़ता है। यहां तक कि चीन, यूनाइटेड किंगडम और दक्षिण कोरिया जैसे कुछ देशों में भी बंदूक के मालिकाना हक के लिए सख्त कानून हैं।
इसके विपरीत, भारत में बंदूक कानून बहुत सख्त है, यहां कोई आसानी से बंदूक नहीं रख सकता है।आजकल भारत की आम जनता में जो लाइसेंसी बन्दूकें मिलती हैं उनमें प्राय: बारह बोर के ही कारतूस प्रयोग में लाये जाते हैँ।इंडियन आर्म्स एक्ट, 1959 तथा आर्म्स एक्ट रूल्स, 1962 के तहत सरकार ने हथियार का लाइसेंस तभी देना शुरू किया जब उसने समझ लिया कि आवेदक को जान-माल का खतरा है। पर वर्तमान में तो कोई चाहे सांसद हो या उद्योगपति, बिल्डर हो या ठेकेदार, सभी के लिए गैरजरूरी हथियार समाज में अपना रुतबा दिखाने तथा हैसियत जताने का जरिया बन रहे हैं।
भारत के बच्चे भी अब इन हथियारों का शौक पालने लगे हैं। अपनी निजी सुरक्षा और जान-माल की रक्षा के लिए खरीदे गए ये हथियार अब स्वयं जिंदगी में बढ़ती हताशा और जीवन में संघर्ष की ताकत कम होने के चलते रक्षक सिद्ध होने के बजाय अपनी जान के दुश्मन ज्यादा बन रहे हैं। ऐसे में हम अगर ये पूछें कि क्या हो अगर बंदूकें ख़त्म हो जाएं? क्या हो अगर सारे छोटे हथियार दुनिया से ग़ायब हो जाएं? अगर बंदूकें और दूसरे छोटे हथियार ख़त्म हो जाएंगे तो इसका सबसे बड़ा फ़ायदा तो ये होगा कि बंदूकों से होने वाली मौतें पूरी तरह से ख़त्म हो जाएंगी। क्योंकि बहुत बड़ी तादाद में लोग ख़ुदकुशी के लिए बंदूक का इस्तेमाल करते हैं।
पूरी दुनिया में हर साल क़रीब पांच लाख लोग बंदूक की गोली से मरते हैं। अब अगर बंदूकें घर में नहीं होंगी तो अपराध और हिंसा में भी कमी आएगी। अगर बंदूकों पर पाबंदी लगेगी तो इंसान लाठी, भाले, चाक़ू और तलवार जैसे हथियारों का दोबारा इस्तेमाल करने लगेगा। अगर बंदूकों और राइफ़लों पर रोक लग गई तो जानवरों का शिकार रुकेगा. बेवजह मारे जाने वाले जानवरों की ज़िंदगी बच जाएगी।
लेकिन इसका दूसरा पहलू ये भी है कि कई देशों में ज़ुल्मी और निरंकुश तानाशाही से मुक़ाबले के लिए बहुत से लोग बाग़ी हो जाते हैं और बंदूकें उठा लेते हैं। उनके लिए तानाशाही हुकूमतों के सामने खड़े होना मुश्किल हो जाएगा. कई बार जानवरों का शिकार ज़रूरी भी होता है क्योंकि जंगली जानवर खेती को बहुत नुक़सान पहुंचाते हैं उनके शिकार में बंदूकें और राइफ़लें काफ़ी मददगार होती हैं. इस प्रकार अगर बन्दूक नहीं होगी तो किसान अपनी फसल कैसे बचायेगा।
इस प्रकार बस यही कहा जा सकता है कि बंदूक के अगर फायदे हैं तो नुकसान भी है। बंदूक होने या न होने से कुछ भी बदलने वाला नहीं। क्योंकि अहम् सवाल ये है की क्या हममें विवेक है ? यदि है तो बंदूक एक उपयोगी हथियार है। परन्तु विवेकहीन के हाथ में ये विनाशकारी है।
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