विवाह से तात्पर्य ऐसे सामाजिक या धार्मिक मान्यता प्राप्त मिलन से है जिसमे स्त्री-पुरुष दांपत्य जीवन में प्रवेश करते हैं। विवाह वह संस्था है जो बच्चों
विवाह से आप क्या समझते हैं ? विवाह की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
विवाह का अर्थ (Vivah Ka Arth)
विवाह से तात्पर्य ऐसे सामाजिक या धार्मिक मान्यता प्राप्त मिलन से है जिसमे स्त्री-पुरुष दांपत्य जीवन में प्रवेश करते हैं। विवाह वह संस्था है जो बच्चों को जन्म देकर सामाजिक ढाँचे का निर्माण करती है। विवाह पुरुषों और स्त्रियों को परिवार में प्रवेश देने की संस्था है। विवाह के द्वारा स्त्री और पुरुष को यौन सम्बन्ध बनाने की सामाजिक स्वीकृति और कानूनी मान्यता प्राप्त हो जाती है। विवाह परिवार का प्रमुख आधार है, जिसमें संतान के जन्म और उसके पालन-पोषण के अधिकार एवं कर्तव्य निश्चित किये जाते हैं।
विवाह की परिभाषा (Vivah Ki Paribhasha)
- 'विवाह स्त्री और पुरुष के पारिवारिक जीवन में प्रवेश करने की संस्था है। - बोगार्डस
- 'जिन साधनों द्वारा मानव समाज यौन सम्बन्धों का नियमन करता है, उन्हें विवाह की संज्ञा दी जा सकती है। - डब्ल्यू. एच. आर. रिवर्स
- 'विवाह के सम्बन्ध में अनिवार्य बात यह है कि यह एक स्थाई सम्बन्ध है जिसमें एक पुरुष और एक स्त्री समुदाय में अपनी प्रतिष्ठा को खोये बिना सन्तान उत्पन्न करने की सामाजिक स्वीकृति प्रदान करते - जॉनसन
विवाह की प्रमुख विशेषताएं - (Main Characteristics of Marriage)
1. विवाह दो विषमलिंगियों का सम्बन्ध है। विवाह के अन्तर्गत एक पुरुष व एक स्त्री का होना आवश्यक है।
2. विवाह से सम्बन्धित रीतियाँ विभिन्न समाजों में पृथक-पृथक होती हैं, क्योंकि प्रत्येक समाज की विवाह रीति उस समाज की मान्यताओं एवं संस्कृति पर निर्भर करती है। हैं।
3. विवाह एक मौलिक और सार्वभौमिक सामाजिक संस्था है जो प्रत्येक समय में प्रत्येक क्षेत्र या समाज में पायी जाती है।
4. विवाह यौन इच्छाओं की पूर्ति के साथ-साथ सन्तानोत्पत्ति एवं समाज की निरन्तरता को बनाये रखने में सहायक है।
5. विवाह को समाज की स्वीकृति मिल जाने पर ही उसे मान्यता प्राप्त होती है।
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