निर्वाचन विषयक आधारभूत सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
निर्वाचन विषयक आधारभूत सिद्धान्त
भारतीय संविधान के निर्माता भारत के नवोदित लोकतन्त्र में निर्वाचन की जिम्मेदारी एक स्वतन्त्र संस्था को सौपने को उत्सुक थे। संविधान के अनुच्छेद 324 से 329 तक चुनावी व्यवस्था के विषय में विस्तार से वर्णन किया गया है। इस सन्दर्भ में संविधान में कतिपय निम्नलिखित मूल सिद्धान्तों का वर्णन किया गया है .
- साम्प्रदायिक प्रतिनिधित्व के लिए अब कोई स्थान नहीं है। इसके स्थान पर एक क्षेत्र विशेष के सभी वयस्क सदस्यों के लिए एक समान सूची बनाई जाती है।
- वर्तमान विधायिका में लगभग 22 प्रतिशत स्थान अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। इन आरक्षित स्थानों के अतिरिक्त वे सामान्य स्थानों पर भी चुनाव लड़ सकते हैं।
- निर्वाचन से सम्बन्धित मामलों को निबटाने के लिए उच्च न्यायालय को मूल न्यायालय (Original Court) और सर्वोच्च न्यायालय को अपीलीय न्यायालय घोषित किया गया है।
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