राजनीतिक विकास के चरण : हंटिंगटन के अनुसार, राजनीतिक विकास के तीन चरण या अवस्थाएँ मानी जाती हैं - सत्ता की बुद्धिसंगतता का स्तर, जिसमें अनेक स्थानीय स
राजनीतिक विकास के चरणों का वर्णन कीजिए ?
राजनीतिक विकास के चरण
हंटिंगटन के अनुसार, राजनीतिक विकास के तीन चरण या अवस्थाएँ मानी जाती हैं
- सत्ता की बुद्धिसंगतता का स्तर, जिसमें अनेक स्थानीय सत्ताओं के स्थान पर एक केन्द्रीय सत्ता का निर्माण हो जाता है।
- नये राजनीतिक कार्यों का विभिन्नीकरण और उनके लिए विशिष्ट संरचनाओं का विकास, राजनीतिक विकास प्रकार की दूसरी अवस्था है।
- अभिवृद्ध सहभागिता जो परिसरीय सामाजिक समूहों और समाजों के भागों को धीरे-धीरे केन्द्रीय सत्ता में सम्मिलित करने का स्तर है।
हंटिंगटन की मान्यता है कि विकास की यह प्रक्रिया तभी सम्भव होती है जब ये तीनों क्रिया स्तर क्रमिक रूप से उपलब्ध किये जायें अर्थात् प्रथम के बाद दूसरा और फिर तीसरा स्तर आ सकता है। उसने स्पष्ट किया है कि इन तीनों का एक-दूसरे के ऊपर-नीचे या साथ-साथ प्रचलन घातक होता है और उसमें राजनीतिक विकास नहीं, राजनीतिक पतन आता है। वह यह स्वीकार करता है कि यह तीनों एक साथ, एक-दूसरे के ऊपर प्रचालित हो सकती हैं जैसा आज अधिकांश विकासशील राज्यों में हो रहा है, किन्तु उस अवस्था में यह विकास की घातक अवरोध अवस्था हो जायेगी।
आमण्ड के अनुसार राजनीतिक विकास के चरण
- राज्य निर्माण का स्तर अर्थात् केन्द्रीय सत्ता का निर्माण तथा विभिन्न समूहों का केन्द्रीय सत्ता के अधिकार क्षेत्र में एकीकरण होना।
- राष्ट्र निर्माण का स्तर अर्थात् राष्ट्र के प्रति भक्ति व निष्ठा उत्पन्न होना।
- सहभागिता का स्तर अर्थात् व्यक्ति एवं समूहों का राजनीतिक प्रक्रिया में व्यापक रूप से भागीदार होना।
- वितरण का स्तर अर्थात् सामाजिक जीवन के लिए लाभों को पुनः निर्धारण की अनेक विधियों द्वारा सबकी पहुँच में लाना सम्मिलित होता है। आमण्ड की मान्यता है कि जिन समाजों में राजनीतिक विकास का अन्तिम स्तर आ गया है वे सब भी अनुक्रम से एक स्तर के बाद दूसरे स्तर में पहुँचे हैं और विकासशील राज्यों में यही-अनुक्रम रहना आवश्यक है।
आरगेन्स्की ने अपनी पुस्तक 'Stages of Political Development' में राजनीतिक विकास को, राष्ट्रीय गन्तव्यों के लिए राष्ट्र के मानवीय और भौतिक स्रोतों का उपयोग करने में सरकार की बढ़ती हुई कार्यदक्षता के आधार पर समझने का प्रयत्न किया है। उसके अनुसार, राजनीतिक विकास स्वायत्त किन्तु अन्य विकासों (आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक) से पूर्ण रूप से पृथक् और स्वतन्त्र प्रक्रिया नहीं है। राजनीतिक विकास आनुक्रमिक स्तर से ही होता है। राजनीतिक विकास के हर स्तर की अपनी विशिष्टताएँ होती हैं जो अन्य स्तर पर अधिक-से-अधिक आंशिक रूप में ही पाई जा सकती हैं। राजनीतिक विकास का एक स्तर पूर्ण रूप से प्राप्त होने के बाद ही उसके आगे के स्तर पर जाना सम्भव है अर्थात् अगर विकास के अनुक्रम में पहले का स्तर पूर्णतया प्राप्त नहीं हुआ है तो उससे आगे का स्तर कभी भी सफलतापूर्वक प्राप्त नहीं किया जा सकता।
आरगेन्स्की के अनुसार राजनीतिक विकास के चरण
- आदिम एकीकरण की राजनीति
- औद्योगीकरण की राजनीति
- राष्ट्रीय लोक कल्याण की राजनीति
- समृद्धि की राजनीति।
(1) आदिम एकीकरण की राजनीति - यह राजनीतिक विकास का पहला चरण है। इस अवस्था में राष्ट्रीय सरकारें अपनी जनसंख्या पर प्रभावशाली राजनीतिक एवं प्रभावशाली नियन्त्रण स्थापित करती हैं। वस्तुतः यह चरण राज्य की सुस्थिरता का चरण है जिसमें राज्य के चारों तत्व-जनसंख्या, निश्चित भूभाग सरकार और सम्प्रभुता विद्यमान होते हैं।
(2) औद्योगीकरण की राजनीति - राजनीतिक विकास का यह चरण औद्योगीकरण की प्रक्रियाओं तथा सामाजिक, राजनीतिक दृष्टि से ऐसे परिवर्तनों से सम्बन्धित है जिसमें नये वर्ग निर्मित होते हैं, सहभागिता का विस्तार और अभिवृद्ध राष्ट्रीय एकीकरण होता है। इसके तीन मॉडल्स हैं-बुर्जुआ मॉडल, स्टालिन का मॉडल तथा समन्वयी मॉडल।
(3) राष्ट्रीय लोक कल्याण की राजनीति - इसमें जनता को शोषण से मुक्त रखा जाता है और पूँजी साधनों को व्यापक स्तर पर जनता में वितरित किया जाता है।
(4) समृद्धि की राजनीति - समृद्धि की राजनीति का स्तर जो कि आजकल अमरीका में आने लगा है। यह स्तर वैज्ञानिक प्रविधियों और अत्यधिक परिष्कृत उपकरणों से अत्यधिक उत्पादकता का है जिसमें प्रत्येक के लिए वस्तुओं की सामान्य उपलब्धि रहती है। यह राजनीतिक विकास की सबसे जटिल अवस्था है।
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