राजनीतिक अभिजन के लक्षण : अभिजन समाज का एक ऐसा वर्ग है जो अपनी योग्यता-क्षमता, प्रतिष्ठा, कार्यकुशलता के आधार पर अपनी विशेष स्थिति बना लेता है। अभिजन
राजनीतिक अभिजन के लक्षण बताइए।
हमारे समाज में कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं जो अधिक योग्यता व चतुराई रखते हैं और अपनी इन्हीं योग्यताओं के कारण समाज में अपनी स्थिति को उच्च रखते हैं। अभिजन की धारणा के अन्तर्गत विभिन्न व्यक्तियों की कार्यक्षमता में अन्तर पाया जाता है। किसी भी प्रकार की शासन व्यवस्था के अन्तर्गत भी चाहे वह लोकतान्त्रिक हो या निरंकुश सभी में कुछ ही व्यक्ति प्रमुख होते हैं और इन व्यक्ति विशेष के अन्तर्गत ही सभी शक्तियाँ होती हैं और इन्हीं विशेष व्यक्तियों का समूह ही राजनीतिक अभिजन कहलाता है।
राजनीतिक अभिजन के लक्षण
अभिजन समाज का एक ऐसा वर्ग है जो अपनी योग्यता-क्षमता, प्रतिष्ठा, कार्यकुशलता के आधार पर अपनी विशेष स्थिति बना लेता है। अभिजन वर्ग के सदस्यों की संख्या कम होती है परन्तु कम होने पर भी यह महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं वह अपनी शक्ति व सत्ता को सदैव बनाए रखते हैं। राजनीतिक अभिजन के कुछ महत्वपूर्ण लक्षण हैं जो इस प्रकार से हैं
(1) समाज का विभाजन - अभिजन वर्ग के अन्तर्गत समाज को विभाजित कर दिया जाता है। मुख्यतः यह दो प्रकार के भागों में विभक्त रहता है। प्रथम शासक वर्ग व दूसरा शासित वर्ग। शासक वर्ग को भी दो भागों में बाँटा जाता है। प्रथम सत्ताधारी शासक, इसके अन्तर्गत शासक के पास पूर्ण सत्ता होती है, जैसे राजा या सरकारी कर्मचारी। द्वितीय, राजनीतिक वर्ग जो विविध दलों का प्रतिनिधित्व करता है इस प्रकार के राजनीतिक वर्गों में भी कई छोटे-छोटे समूह होते हैं।
(2) प्रजातान्त्रिक सिद्धान्तों का विरोध - राजनीतिक सिद्धान्त विभिन्न प्रकार के सिद्धान्तों पर आधारित होता है। इसके अन्तर्गत अभिजन एक ऐसी धारणा है जो प्रजातान्त्रिक सिद्धान्तों का विरोध करती है। सामाजिक वर्ग रूढ़िवादी होता है और वह किसी भी प्रकार के परिवर्तन में विश्वास नहीं रखता है जब उसे एक बार सत्ता मिल जाती है तो वह उस सत्ता को छोड़ना नहीं चाहता है। इस प्रकार का नियन्त्रण प्रजातान्त्रिक सिद्धान्तों के विरुद्ध है।
(3) उच्च वर्ग से सम्बन्धित - लोकतन्त्र में अक्सर समानता दिखाई जाने का प्रयत्न किया जाता है परन्तु वास्तव में सत्ता कुछ विशेष व्यक्तियों के हाथ होती है। ये लोग ही अभिजन कहलाते हैं ये लोग अल्प संख्या में होते हैं और ये लोग अपनी योग्यता, बुद्धि इत्यादि के बल पर अन्य लोगों से आगे निकल जाते हैं परन्तु लोकतन्त्र में परोक्ष या अपरोक्ष रूप में अभिजन वर्ग में अपने मताधिकार का प्रयोग करके इस वर्ग में परिवर्तन करने की क्षमता होती है।
(4) असमानताओं पर आधारित - समाज के विशिष्ट वर्ग का आधार व्यक्ति की व्यक्तिगत क्षमता व योग्यता समाज में सभी व्यक्ति एक-सी योग्यता वाले नहीं होते। ये शारीरिक व बौद्धिक रूप से भिन्न होते हैं। केवल विशिष्ट योग्यताओं एवं क्षमताओं वाले व्यक्ति ही विशिष्ट वर्ग में सम्मिलित होते हैं और कम योग्यता वाले व्यक्ति को सामान्य वर्ग में सम्मिलित किया जाता है।
(5) अभिजन वर्ग परिवर्तित होता है - अभिजन वर्ग परिवर्तनशील होता है वर्तमान समय में किसी भी राजनीतिक व्यवस्था में जो अभिजन वर्ग होता है। उसका विरोध करने के लिए प्रति अभिजन वर्ग का जन्म होता है। यह वर्ग सत्ता प्राप्त करने के लिए सदैव प्रयत्नशील रहता है और सत्ता प्राप्त करने के बाद अभिजन वर्ग की श्रेणी में आ जाता है और प्रति अभिजन वर्ग का स्थान सत्ता से अपदस्थ वर्ग ले लेता है जिन देशों में लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं होती है वहाँ अभिजन वर्ग को हिंसा व बल के द्वारा हटाने का भी प्रयत्न किया जाता है।
(6) विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग - देश की सामाजिक व राजनीतिक व्यवस्था में अभिजन वर्ग का विशिष्ट स्थान होता है। अभिजन वर्ग राजनीतिक सत्ता से जुड़ा रहता है देश की दिशा निर्धारित करने तथा महत्वपूर्ण राजनीतिक निर्णयों में इसकी प्रभावपूर्ण भूमिका होती है। मुख्यत: जनता यह समझती है कि अभिजन वर्ग उनके हितों की सुरक्षा करने में सहायक होता है तथा उसकी विशिष्ट स्थिति को अपने हितों की सुरक्षा के लिए आवश्यक समझती है इसलिए वह उसकी विशिष्ट स्थिति तथा विशेषाधिकारों पर आपत्ति नहीं उठाती है।
(7) अप्रजातान्त्रिक नहीं - कुछ विद्वानों द्वारा अभिजन वर्ग व प्रजातन्त्र वर्ग में विरोध नहीं माना जाता। इनके अनुसार सैद्धान्तिक रूप में भले ही अच्छा लगता है कि प्रजातन्त्र बहुमत का शासन है परन्तु व्यवहार में बहुमत का शासन सम्भव नहीं है। शुम्पीटर तथा कार्ल मैनहीम जैसे विद्वानों के अनुसार प्रजातन्त्र तथा अभिजन वर्ग की धारणा में कोई विरोध नहीं है। कार्ल मैनहीम के शब्दों में, "वास्तविक स्थिति का निर्धारण अभिजनों के हाथों में होता है लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं है कि समाज लोकतान्त्रिक नहीं है।"
उपर्युक्त विवेचना से यह स्पष्ट है कि कोई भी व्यवस्था क्यों न हो शासन के कुशल व प्रभावी ढंग से संचालन हेतु अभिजन वर्ग की उपस्थिति अनिवार्य है। ब्रिटेन के लार्ड चांसलर ने सन् 1971 ई० में भारत में प्रवास के दौरान कहा था कि अभिजन वर्ग की अवहेलना लोकतन्त्र के लिए एक वास्तविक संकट है। इसके अतिरिक्त अभिजन वर्ग का हित शेष जनता के हितों से अलग तथा उनका विरोधी होता है और ये प्रायः जनता की स्वतन्त्रता व समानता को निरर्थक कहते हैं।
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