जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1996 के अंतर्गत चुनाव सुधार के प्रावधानों का वर्णन कीजिए। भारतीय संविधान के अंतर्गत जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम में इस संशोधन सन्
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1996 के अंतर्गत चुनाव सुधार के प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम -1996
भारतीय संविधान के अंतर्गत जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम में इस संशोधन सन् 1996 को भारतीय संसद ने 31 जुलाई 1996 को पारित करके चुनाव सुधार की दिशा में अत्यन्त सराहनीय एवं महत्वपूर्ण प्रयास किया है। इस अधिनियम के द्वारा जन-प्रतिनिधित्व कानून में कुल 16 संशोधन किये गये हैं जोकि निम्नवत् है -
- मतदाता सूचियों की तैयारी से सम्बन्धित अपनी जिम्मेदारियों को न निभाने वाले कर्मचारियों पर पांच सौ रुपये का आर्थिक दंड या कम से कम तीन माह की कैद की सजा का प्रावधान किया गया है। कैद की अवधि अधिकतम दो वर्ष तक के लिए बढ़ाई जा सकती है।
- राष्ट्रीय प्रतीक अपमान निवारक अधिनियम 1971 की धारा दो या तीन के अंतर्गत दंडनीय अपराध की सजा पाये उम्मीदवारों को छ: वर्ष तक के लिए चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित करने का प्रावधान किया गया है।
- इस संशोधन के बाद चुनाव आयोग चुनाव के दौरान पर्यवेक्षक नियुक्त कर सकेगा तथा यह पर्यवेक्षक मतदान के केन्द्रों पर होने वाली किसी गडबड़ी के कारण मतगणना रोकने तथा परिणाम घोषित करने के निर्देश देने का अधिकार होगा।
- चुनाव प्रचार के लिए निर्धारित 21 दिनों की अवधि को कम करके 14 दिनों तक करने की व्यवस्था की गयी है।
- नये कानून के अनुसार निर्दलीय उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने के लिए नामांकन करते समय कम से कम दस प्रस्तावकों के समर्थन की आवश्यकता होती है।
- संसद तथा विधानसभा चुनाव में सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए क्रमशः 5,000 रुपये 2,500 रुपये जमानत राशि निर्धारित की गई है तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के उम्मीदवारों के लिए जमानत की राशि क्रमशः 2500 रुपये तथा 1250 रुपये निर्धारित की गयी है।
- मतपत्रों पर उम्मीदवारों के नाम मुद्रित करने की नई व्यवस्था के तहत सबसे ऊपर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के उम्मीदवार तत्पश्चात् पंजीकृत राजनीतिक दलों के और अन्ततः निर्दलीय उम्मीदवारों के नाम वर्णक्रमानुसार मुद्रित किये जाने की व्यवस्था की गई है।
- चुनाव के दौरान किसी भी उम्मीदवार की मृत्यु हो जाने की स्थिति में नई व्यवस्था के तहत चुनाव रद्द नहीं किया जा सकेगा बल्कि केवल स्थगित किया जायेगा। सात दिन के अन्दर नया उम्मीदवार का नाम देना होगा।
- कोई भी उम्मीदवार लोकसभा या विधानसभा के चुनाव में दो से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों से अपना नामांकन नहीं कर सकेगा।
- चुनाव सभा में व्यवधान उत्पन्न करने वाले लोगों को छ: माह का कारावास या 2,000 रुपया का जुर्माना भरना होगा। सजा तथा जुर्माना दोनों साथ-साथ भी दिये जा सकते हैं।
- उम्मीदवार मतदान केन्द्र तक मतदाताओं को लाने ले जाने के लिए वाहनों का प्रयोग न कर सकेंगे इसके उल्लंघन के लिए उन्हें तीन माह का कारावास पर 1000 रुपये जुर्माना देना होगा।
- मतदान केन्द्र के आस-पास निर्धारित दूरी तक हथियार रखने पर सजा का प्रावधान है।
- मतदान केन्द्र पर कब्जा करने वाले साधारण नागरिकों को कम से कम एक वर्ष की सजा जो जुर्माने के साथ तीन वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है तथा सरकारी कर्मचारी के लिए कम से कम तीन वर्ष तथा जुर्माने के अलावा अधिकतम पांच वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है।
- औद्योगिक कर्मचारियों को वेतन सहित छुटटी का उल्लंघन करने वाले मालिकों के लिए जुर्माने की व्यवस्था है।
- स्थान रिक्त होने के छः माह के भीतर उप चुनाव की व्यवस्था का प्रावधान है, किन्तु यह प्रावधान शेष बचे एक वर्ष के लिए लागू नहीं होगी।
- मतदान प्रक्रिया पूरी होने की निर्धारित अवधि 48 घंटे के दौरान चुनाव क्षेत्रों में शराब य किसी प्रकार के मादक पदार्थों की बिक्री या लाने ले जाने पर प्रतिबन्ध होगा।
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