सौंदर्यशास्त्र की उत्पत्ति, अर्थ और परिभाषा बताइये: सौंदर्यशास्त्र दर्शन की उस शाखा को कहते हैं जो आलोचनात्मक विश्लेषण और चिन्तन के द्वारा सृष्टि और स
सौंदर्यशास्त्र की उत्पत्ति, अर्थ और परिभाषा बताइये (Saundarya Shastra ki Utpatti, Arth aur Paribhasha bataiye)
सौंदर्यशास्त्र की परिभाषा: सौंदर्यशास्त्र दर्शन की उस शाखा को कहते हैं जो आलोचनात्मक विश्लेषण और चिन्तन के द्वारा सृष्टि और सौन्दर्य की खोज करता है। यह कला की प्रकृति (Nature of Art) सुन्दरता (Beauty) एवं रसज्ञान (Taste) की सराहना एवं अभिमूल्यण करता है। इसे आत्मपरक (Subjective) एवं इन्द्रिय- संवेदना मूल्य (Sensori-emotional values) के अध्ययन के रूप में भी परिभाषित किया जाता है। विद्वानों ने इसकी व्यापक परिभाषा कला (Art), संस्कृति (Culture) एवं प्रकृति (Nature) की आलोचनात्मक चिंतन से दिया है। ऑक्सफोर्ड शब्दकोष (Oxford Dictionary) इसे सौन्दर्य संबंधित या सौन्दर्य की प्रशंसा तथा सौन्दर्य के माध्यम से आन्नद (Pleasure ) माना है।
सौन्दर्यशास्त्र (Aesthetics) की उत्पत्ति
सौन्दर्यशास्त्र (Aesthetics) की उत्पत्ति ग्रीक शब्द Aistehetikos (meaning sensitive, pertaining to same perception) अर्थात संवेदनशील, इन्द्रियबोध संबंधित से हुआ है। दूसरे शब्दों में यह अनुभव (Perceice) करने, महसूस (Feel) करने, इन्द्रियबोध (Sense) से जुड़ा हुआ है। कला, सुन्दरता और सही परख सौंदर्यशास्त्र की प्रकृति है । संस्कृति, प्रकृति और आलोचनात्मक चिंतन भी इसका एक स्वरूप है। व्यापक शब्दों में कोई भी वस्तु कैसे सुन्दर (Beautiful ), अवर्णनीय (Subline), घृणास्पद (Disgusting) आमोदजनक (Fun) आकर्षक (Cute), मूर्खतापूर्ण ( Silly), रोचक (Entertaining), आडंबरी (Pretentious), असंगत (Discordant), सुमेल (Harmonious ), उबाऊ (Boring), विनोदपूर्ण (Humorous) या दुःखद (Tragic) है की व्याख्या करता है।
सौंदर्यशास्त्र - अर्थ, आयाम एवं घटक (Aesthetics - Meaning, Dimensions and Constituents)
सौंदर्यशास्त्र अर्थ (Aesthetics Meaning ) - सौन्दर्यशास्त्र कला, संस्कृति और प्रकृति का आलोचनात्मक चिन्तन है। कला, सुन्दरता और सही परख सौन्दर्यशास्त्र की प्रकृति है। अमेरिकी दार्शनिक डेनिस डटन (Denis Dutton 1944 ) ने मानव सौन्दर्यशास्त्र के सात सार्वभौम संकेतक की पहचान की थी। ये सातों सौन्दर्यशास्त्र पर सोच-विचार हेतु उपयोगी प्रारंभिक बिन्दु हैं हाँलाकि इनपर आपत्ति और विरोध भी है। इन बिन्दुओं का वर्णन निम्नलिखित है।
- दक्षता या कला मर्मज्ञता (Expertise or Virtuosity) - कलात्मक कौशल सृजनात्मक (Cultivated) है, इसकी पहचान (Recognised ) है और सराहा ( Admired ) जाता है।
- अनुपयोगी आमोद-प्रमोद (Non-Utilitarian Pleasure ) – व्यक्ति कला का कला की खातिर आनन्द उठाता है, किसी व्यवहारिक मूल्य की मांग नहीं करता ।
- शैली ( Style) – बनावट (Composition) के नियमों का ध्यान रखता है जो उसे स्वीकार योग्य शैली (Recognizable Style) का दर्जा (Place) प्रदान करता है।
- आलोचना (Criticism) – व्यक्ति कला की वस्तु का आंकलन (Judging) करता है, प्रशंसा (Appriciate) करता है और उसकी व्याख्या ( Interpret ) करता है।
- 5) अनुकृति (Imitation) - कुछ अपवादों को छोड़ (जैसे संगीत, अमूर्त कला) कला के कार्य/वस्तु दुनिया से प्राप्त अनुभवों का अनुकरण है।
- विशेष केन्द्रण (Special Focus ) - कला सामान्य जीवन को एक ओर रख, अनुभवों का नाटकीय प्रस्तुति भी करता है।
- कल्पना (Imagination ) - रंगमंच पर कलाकार और दर्शक परिकल्पित दुनिया में चित्र को प्रसन्न करते हैं।
सौंदर्यशास्त्र के आयाम (Aesthetics Dimensions )
वी वेची के अनुसार - सौंदर्यशास्त्र आयाम समानुभूति की प्रक्रिया है जो स्व को वस्तु से और वस्तुओं को एक दूसरे से जोड़ती है। यह उत्तमता की अभिलाषा है जो हमें एक शब्द के ऊपर दूसरे, एक रंग, एक निश्चित गान का भाग एक गणित का सूत्र या भोजन का स्वाद चयन करने पर बाध्य करता है। यह किए गए कार्यों के प्रति सावधानी एवं ध्यान देने की प्रवृत्ति है, अर्थ पाने की चाह है; यह उत्सुकता और आश्चर्य है; यह उदासीनता और असावधानी के विपरीत है ।
(According to Vea Vechhi, aesthetic dimension is a process of empathy relating to self to things and things to each other,... it is an aspiration to quality that makes us choose one word over another, a colour or shade, a certain piece of music, a mathematical formula or the taste of food... It is an attitude of care and attention for the things we do, a desire for meaning, it is curiosity and wonder; it is the opposite of indifference and carelessness...)
सौन्दर्य का बोध हमारे सभी इंन्द्रियों में है। इसे हम चार मुख्य श्रेणियों में पाते हैं ।
1) दृष्टि (Vision) के मूल अवयव रंग (Colour), आकार (Shape), सांचा (Pattern), रेखा (Line), बनावट (Texture), भार (Weight), संतुलन (Balance), अनुपात ( Scale), सान्निध्य (Proximity) और गति ( Movement) हैं। इनके उपयोग से अच्छे आलौकिक सौन्दर्य की उपलब्धि होगी।
2) श्रवण (Hearing) के मूल अवयव हैं आवाज की प्रबलता (Foudness), स्वरमान (Pitch), ताल (Beat), दुहराव ( Repetition ), धुन (Melody), स्वस्प (Pattern) और शोर (Noise) | इनका प्रयोग कर आनन्दायक संगीत का सृजन होगा ।
3) स्पर्श (Touch) के मूल अवयव हैं बनावट ( Texture), आकार (Shape), भार (Weight), आराम (Comfort), तापांश (Temperature), स्पंदन ( Vibration) और तीक्ष्णता (Sharpness)। इन तत्वों के उपयोग से आकर्षक और आरामदायक वस्तु निर्मित होगी ।
4) स्वाद और गंध (Taste and Smell) के मूल अवयव हैं तीव्रता (Strength), मिठास (Sweetness), अम्लता (Sourness) और मिलावट (Texture ) । इन्हीं तत्वों के द्वारा स्वाद और गंध का निर्णय होता है ।
सौन्दर्यशास्त्र बुद्धि और मनोभाव, बोध और इन्द्रिय अनुभव, विश्लेषण और सहजज्ञान के मेल द्वारा किसी भी वस्तु की पूर्ण समझ देता है ।
सौंदर्यशास्त्र के घटक ( Constituents of Aesthetics)
सौन्दर्यशास्त्र की वैज्ञानिक परिभाषा इन्द्रिय (Sensory ) या इन्द्रिय सवेदना (Sensory- emotional) मूल्य (Value) का अध्ययन है। विद्वान इसे कभी कभी (Sentiment) और अभिरूचि (Taste) का निर्णय ( Judgement) भी कहते हैं। सौन्दर्यशास्त्र के ज्ञाता इसे व्यापक रूप में कला (Art), संस्कृति (Culture) एवं प्रकृति (Nature) का आलोचनात्मक चिन्तन (Critical reflection) कह कर परिभाषित करते हैं। इसके अनेक घटक हैं जिसे निम्नलिखित रूप से वर्गीकृत किया गया है -
प्रदर्शन कला (Performing Arts) – इसके अधीन वैसी कला आती है जिसे दर्शकों के समक्ष कलाकार प्रस्तुत (प्रदर्शन) करते हैं। ये प्रस्तुति कलाकार के मनोभाव ( Emotions ), अभिव्यक्ति (Expressions ) और भावना (Feelings) की व्याख्या में सहायक है। इसके अन्तर्गत अभिनेता (Actor), हास्य अभिनेता (Comedians), नर्त्तक ( Dancers), संगीतज्ञ ( Musicians), गायक (Singers ), सर्कस के कलाकार (Circus artists), जादूगर (Magicians) आदि हैं। संगीत (Music), नाट्यकला ( Theatre ), नृत्य ( Dance), चलचित्र ( Films ) प्रदर्शन कला ( Performing arts ) है ।
दृश्य कला (Visual Arts ) - इसका मुख्य केन्द्रबिन्दु प्रकृति के दृश्यों की रचना है। चित्रकला (Painting), रेखाचित्र (Drawing), दृष्टांत ( Illustration), वास्तुकला (Architecture), छायाचित्र (Photography), रेखांकित खाका (Grahic Design), साहित्य (Literature), छापने का कार्य (Printmaking), आंतरिक सज्जा (Interior Design), चलचित्र निर्माण कला (Filmmaking) और अन्तरजाल कला (Internet art) ये सभी इसमें शामिल हैं।
प्लास्टिक कला (Plastic Arts) - मूर्त्तिकला (Sculpture), मिट्टी का बर्त्तन बनाने की कला (Ceremics) आदि जिसमें ढालने का कार्य सम्मिलित है प्लास्टिक कला से उल्लिखित (Referred ) किया जाता है ।
क्रिया (Activity), अनुभूति (Perception) और प्रज्ञ सोच (Intelligent Thought) ये सभी पहल सौन्दर्यशास्त्र के गुण है। अतः सौन्दर्यशास्त्र की शिक्षा शिक्षार्थी को दिन प्रतिदिन के अनुभवों को देखने, सुनने, गतिमान करने, दर्शाने में नवीन दिशा की खोज करने में मददगार होगा।
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