सृजनात्मक बालक की विशेषता (Srijanatmak Balak ki Visheshta) सृजनात्मक बालक बहुत तेजी और सरलता से सीखते हैं। इनका निरिक्षण बहुत तीक्ष्ण होता है इसलिये
सृजनात्मक बालक की विशेषता (Srijanatmak Balak ki Visheshta)
सृजनात्मक बालक बहुत तेजी और सरलता से सीखते हैं। इनका निरिक्षण बहुत तीक्ष्ण होता है इसलिये वे शीघ्र ही चीजों को समझ लेते हैं। सृजनात्मक बालकों में समृद्ध कल्पनाशीलता भी देखने को मिलती है। सृजनात्मकता क्षेत्र को जानकार उसका उपयोग बालक के शिक्षण में भी किया जा सकता है सृजनात्मक बालक के व्यवहार में प्रायः निम्न गुणों एवं विशेषताओं की झलक मिलती है-
सृजनात्मक बालक की विशेषता
- विचार और कार्य में मौलिकता का प्रदर्शन।
- व्यवहार में आवश्यक लचीलेपन का परिचय।
- विस्तारीकरण की प्रवृति पाई जाती है अर्थात वह अपने विचारों कार्यों एवं योजनाओं के अत्यंत सूक्ष्म पहलुओं पर ध्यान देता हुआ हर बात को अधिक विस्तार से कहना और करना चाहता है।
- वह समायोजन में सक्षम होता है एवं उसकी सहासिक कार्यों में प्रवृति होती है।
- वह एकरसता और उबाऊपन की अपेक्षा कठिन और टेढ़े-में ढ़े जीवन पथ से आगे बढ़ना पसन्द करता है।
- जटिलता, अपूर्णता असमरूपता के प्रति उसका लगाव होता है और वह खुले दिमाग से सोचने में विश्वास रखता है।
- उसकी स्मरण शक्ति अच्छी होती है और उसके ज्ञान का दायरा भी विस्तृत होता है।
- उसमें चुस्ती सजगता, ध्यान एवं एकाग्रता की प्रचुरता होती है।
- उसमें स्वयं निर्णय लेने की पर्याप्त योग्यता होती है।
- वह अस्पष्ट गूढ एवं अव्यक्त विचारों में रूचि रखता है।
- समस्याओ के प्रति उसमें उच्च स्तर की संवेदना पाई जाती है।
- उसकी विचार अभिव्यक्ति में अत्यधिक प्रवाहात्मकता पाई जाती है।
- उसमें अपने सीखने या प्रशिक्षण को एक परिस्थिति से दूसरी परिस्थिति में स्थानान्तरण करने की योग्यता पाई जाती है।
- उसके सोचने-विचारने के ढंग में केन्द्रीयकरण एवं रूढिवादिता के स्थान पर विविधता एवं प्रगतिशीलता पाई जाती है।
- उसमें उच्च स्तर की सौन्दर्यात्मक अनुभूति, ग्राह्ता एवं परख क्षमता पाई जाती है।
- समस्या के किसी नवीन हल एवं समाधान तथा योजना के किसी नवीन प्रारूप का उसकी ओर से सदैव स्वगत ही किया जाता है और इस दिशा में वह स्वयं भी अथक प्रयास करता रहता है।
- अन्य सामान्य बालकों की अपेक्षा उसमें आत्म-सम्मान के भाव और अहं के तृष्टिकरण की आवश्यकता कुछ अधिक ही पाई जाती है। वह आत्म-अनुशासित होता है। वह अपने व्यवहार और सृजनात्मक उत्पादन में विनोदप्रियता आनद उल्लास स्वच्छंद एवं स्वतंत्र अभिव्यक्ति तथा बौद्विक स्थिरता का प्रदर्शन करता है।
- उसमें उच्च स्तर की विशेष कल्पनाशक्ति जिसे सृजनात्मक कल्पना का नाम दिया जाता है पाई जाती है।
- विपरीत एवं विरोधी व्यक्तियों तथा परिस्थितियों को सहन करने तथा उनसे सामंजस्य स्थापित करने की क्षमता भी उसमें पाई जाती है।
- उसकी कल्पना एवं दिव्य स्वपनों का संसार भी काफी अदभुत एंव महान होता है।
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