किसान पर संस्कृत निबंध: ये कृषिं कुर्वन्ति ते कृषकाः कथ्यन्ते। भारतम् एकः कृषिप्रधानो देशः वर्तते। अतः कृषकाः (किसान) एव अस्माकम् अर्थव्यवस्थायाः मूलम
किसान पर संस्कृत निबंध - Essay on Farmer in Hindi
किसान पर संस्कृत निबंध: ये कृषिं कुर्वन्ति ते कृषकाः कथ्यन्ते। भारतम् एकः कृषिप्रधानो देशः वर्तते। अतः कृषकाः (किसान) एव अस्माकम् अर्थव्यवस्थायाः मूलम्। अत्र कृषकाणां संख्या अधिका वर्तते। भारतीय कृषकः सरलहृदयः परिश्रमी च भवति। सः अस्माकम् अन्नदाता वर्तते। अतएव महानगरस्य आधारस्तम्भः जीवनदाता कृषकः एवास्ति। कृषकाः कृषिं कृत्वा जीवनोपयोगीनि बहूनि वस्तूनि उत्पादयन्ति। अतः समाजस्य जीवनं धारणं च कृषकाणां एव उपरि निर्भरं वर्तते।
कृषिः महता परिश्रमेण भवति। अत एव कृषकाणां दिनचर्या अतीव श्रममयी भवति। तेषां जीवने विश्रामाय मनोरंजनाय वा अतीव अल्पः अवसरः लभ्यते। कृषकाः प्रातःकालात् आरभ्य सायंकालपर्यन्तं कठिनं परिश्रमंकुर्वन्ति। रात्रौ अपि ते पूर्णरूपेण विश्रामाय शयनाय का समयं न लभन्ते। कृषकाः बहूनि कष्टानि सहन्ते तथापि तेषां कार्यस्य समाप्तिः न भवति। एतादृशं घोरं परिश्रमं कुर्वणाः अपि कृषकाः सुखिनः न सन्ति इति महतः दुःखस्य विषयः वर्तते।
इदानीम् अस्माकं कृषकाणां स्थितिः चिन्तनीया वर्तते। असौ अन्नदाता अधुना अनेकाभिः समस्याभिः ग्रस्तः अस्ति। तस्य जीवनस्तर : निम्नाभिमुखी वर्तते। ऋणेन ग्रस्तः स दिवारात्रि जीवनयापनस्य चिन्तायां निमग्नः प्रतिभाति।
हिंदी अनुवाद
खेती करने वालों को किसान कहा जाता है। भारत एक कृषि प्रधान देश है। इसलिए किसान हमारी अर्थव्यवस्था का मूल हैं। यहां बड़ी संख्या में किसान हैं। भारतीय किसान सरल हृदय और मेहनती होता है। वह हमारे अन्नदाता हैं। इसीलिए महानगर का आधार स्तम्भ जीवनदाता किसान है। किसान खेती करते हैं और कई ऐसी चीजें पैदा करते हैं जो जीवन के लिए उपयोगी हैं। इसलिए, समाज का अस्तित्व और स्थिरता किसानों पर निर्भर करती है।
कृषि एक कठिन कार्य है। इसीलिए किसानों की दिनचर्या बहुत कठिन होती है। उन्हें अपने जीवन में आराम या मनोरंजन का बहुत कम अवसर मिलता है। किसान सुबह से शाम तक मेहनत करते हैं। यहां तक कि रात में भी उनके पास पूरी तरह से आराम करने और लेटने का समय नहीं होता है। किसान अनेक कष्ट सहते हैं फिर भी उनका काम पूरा नहीं होता। यह बड़े दुख की बात है कि इतनी मेहनत के बाद भी किसान खुश नहीं हैं।
अब हमारे किसानों की स्थिति चिंताजनक है। वह अन्नदाता अब अनेक समस्याओं से जूझ रहा है। उसका जीवन स्तर: नीचे की ओर अग्रसर है। वह ऋण में डूबा सिं-रात अंपने जीवनयापन की चिन्ता में मग्न प्रतीत होता है।
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