अपने पैतृक गांव की यात्रा के बारे में अपने मित्र को पत्र लिखिए: प्रिय मित्र, आशा है कि तुम स्वस्थ और खुश हो। तुम्हें यह पत्र मेरे पैतृक गांव की यात्र
अपने पैतृक गांव की यात्रा के बारे में अपने मित्र को पत्र लिखिए
परीक्षा भवन,
लखनऊ।
दिनांक: 24/05/20XX
प्रिय मित्र,
आशा है कि तुम स्वस्थ और खुश हो। तुम्हें यह पत्र मेरे पैतृक गांव की यात्रा के बारे में बताने के लिए लिख रहा हूं। पिछले हफ्ते मैं अपने परिवार के साथ अपने गांव गया था। यह मेरे लिए एक बहुत ही सुखद और यादगार अनुभव रहा।
मेरा गांव शहर से काफी दूर है। यहाँ का वातावरण बहुत ही शांत और सुंदर है। चारों तरफ खेतों, पेड़-पौधों और हरियाली से घिरा हुआ यह गांव मुझे शहर की भागदौड़ से दूर एक सुकून का एहसास देता है। यहाँ के लोग भी बहुत ही मिलनसार और प्रेममय हैं।
गांव में मैंने अपने बचपन के कई दोस्तों से मुलाकात की। हमने साथ में बहुत मस्ती की। हमने बचपन के खेल खेले, पुराने किस्से याद किए और खूब हंसी-मजाक किया। गांव के तालाब में नहाने का मज़ा ही कुछ और था।
गांव में रहते हुए मैंने कई ऐसी चीज़ें कीं जो शहर में कभी नहीं कर पाता। मैंने खेतों में काम किया, जानवरों को चारा खिलाया, और नदी में तैराकी की। गांव के लोगों ने मुझे अपने घरों में आमंत्रित किया और मुझे अपने हाथों से बना स्वादिष्ट भोजन खिलाया।
गांव में बिताए गए हर पल ने मेरे मन पर एक गहरी छाप छोड़ी है। यहाँ से वापस आते हुए मुझे बहुत दुःख हुआ। लेकिन मैं जानता हूँ कि मैं जल्द ही फिर से यहाँ आऊंगा।
तुम्हें भी कभी मौका मिले तो मेरे गांव जरूर आना। मुझे यकीन है कि तुम्हें मेरा गाँव बहुत अच्छा लगेगा।
तुम्हारा प्यारा दोस्त,
अ.ब.स.
अपने गांव का वर्णन करते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए
परीक्षा भवन,
पटना।
दिनांक: 17/05/20XX
प्रिय मित्र / सुरेश,
आशा करता हूँ तुम स्वस्थ और खुशहाल होगे। हाल ही में मेरा अपने पैतृक गाँव जाना हुआ। अक्सर तुम मेरे गाँव के बारे में पूछते रहते हो तो सोचा तुम्हें भी इस अनुभव के बारे में जरूर बताऊँ। शहर की चहल-पहल से दूर, पहाड़ों की गोद में बसा मेरा गाँव एक अलग ही दुनिया है, जिसका अनुभव शब्दों में बयान कर पाना मुश्किल है। सोचा तुम्हें भी इस अनुभव के बारे में जरूर बताऊँ।
मेरा गाँव, उत्तराखंड के चंपावत जिले में स्थित है। यहाँ पहुँचते ही मानो एक अलग ही दुनिया में आ गया। घने देवदार के जंगल, ऊँचे-ऊँचे पहाड़ जिनके शिखर बादलों को छूते हैं, और उनके बीच से बहती हुई निर्मल नदियाँ - ये सब मिलकर एक ऐसा मनमोहक दृश्य बनाते हैं, जिसे देखकर मन आनंद से भर उठता है।
गाँव के लोग भी उतने ही प्यारे हैं, जितना यहाँ का वातावरण। बचपन के कई दोस्तों से मुलाकात हुई। हमने फिर से बच्चों की तरह मस्ती की। पहाड़ों पर चढ़ाई करते हुए हमारी साँसे तो थक गईं, पर मन में एक अलग ही जोश भर गया। पहाड़ों से झरनों का मीठा राग सुनते हुए, नीचे बहती नदी में तैरने का मज़ा ही कुछ और था। शहर के क्लबों और पूलों में नहाने का सुख इन पहाड़ी नदियों के आगे फीका पड़ जाता है।
गाँव का जीवन शायद शहर के जीवन जैसा सुविधाजनक न हो। यहाँ बिजली और पानी जैसी चीज़ें सीमित मात्रा में ही उपलब्ध हैं। लेकिन यहाँ के लोगों का जीवन खुशियों और संतोष से भरा हुआ है। गाँव में बिताया गया हर पल मेरे दिल में एक खास जगह बना ले गया। वापसी में मन थोड़ा उदास जरूर हुआ, लेकिन ये खुशी भी थी कि जल्द ही वापस आऊंगा।
तुम्हें भी कभी मौका मिले तो मेरे गाँव जरूर आना। मुझे पूरा विश्वास है कि पहाड़ों की खूबसूरती और यहाँ के लोगों का प्यार तुम्हें भी मंत्रमुग्ध कर देगा।
तुम्हारा मित्र,
अ.ब.स.
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