आहार आयोजन करते हुए आहार में विभिन्नता का भी ध्यान रखना चाहिए। इस कथन को स्पष्ट कीजिए। आहार आयोजन का अर्थ है कि भोजन के सातों भोज्य समूह के भोज्य पदार
आहार आयोजन करते हुए आहार में विभिन्नता का भी ध्यान रखना चाहिए। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
आहार आयोजन का अर्थ है कि भोजन के सातों भोज्य समूह के भोज्य पदार्थों की मात्रा इस प्रकार लेनी चाहिए कि समस्त पौष्टिक तत्वों की कमी उन भोज्य पदार्थों द्वारा पूर्ण हो जाये। इसके साथ ही परिवार की आवश्यकता समय तथा आर्थिक स्थिति का भी ध्यान रखना चाहिए। एक व्यक्ति के लिए आहार आयोजन आसान है परन्तु एक परिवार के लिए आसान नहीं है क्योंकि एक परिवार में कई व्यक्ति होते हैं जिनकी उम्र, स्थिति, क्रियाशीलता अलग-अलग होती है। अतः हर व्यक्ति के पौष्टिक तत्वों की माँग अलग-अलग होती है, किन्तु प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग-अलग भोजन नहीं बन सकता। अतः आहार आयोजन करते समय सब सदस्यों की आवश्यकता को ध्यान में रखना चाहिए।
हमेशा भोजन एक जैसा नहीं बनाना चाहिए। इससे भोजन में अरुचि पैदा होती है। भोजन में एकरसता दूर करने के लिए या यूँ कहें भोजन में रुचि उत्पन्न करनें के लिए विभिन्नता लाना आवश्यक है। आहार में विभिन्नता कई प्रकार से लाई जा सकती है जिनका विवरण नीचे दिया जा रहा है -
1. भोजन पकाने की विधि में अंतर कर: आलू सभी सब्जियों का राजा होता है। यह सबको पसन्द होता है, किन्तु प्रतिदिन उबालकर आलू परोसने से उसमें रुचि कम होना स्वाभाविक है। आलू की रसेदार सब्जी तलकर कटलेट, कोफ्ते आदि विभिन्न विधियों का प्रयोग कर भोजन रुचिकर बनाया जा सकता है।
2. भोज्य पदार्थों की बनावट (Texture) में विभिन्नता लाकर: ध्यान रहे भोज्य पदार्थों की बनावट में विभिन्नता भोजन के आकर्षण को बढ़ा देती है। हमारे भोजन में हर प्रकार के अर्थात् मुलायम, कड़े, तरल, ठोस आदि भोज्य पदार्थ सम्मिलित किये जाने चाहिए।
3. रंगों में विभिन्नता लाकर व्यंजनों के रंगों में परिवर्तन लाकर: भोज्य पदार्थों को आकर्षक बनाया जा सकता है। व्यंजनों में यह परिवर्तन टमाटर व चुकन्दर आदि का प्रयोग कर लाया जा सकता है।
4. भोजन परोसने में विभिन्नता लाकर: भोजन को आकर्षक ढंग से रुचिपूर्वक परोसने से भोजन के प्रति रुचि उत्पन्न करता है।
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