क्या राजनीतिक सिद्धांत मूल्य निरपेक्ष हो सकता है? राजनीतिक विज्ञान में मूल्य निरपेक्षता की सम्भावना पर विचारकों में मतभेद है। क्योंकि कुछ विचारकों का
क्या राजनीतिक सिद्धांत मूल्य निरपेक्ष हो सकता है?
राजनीतिक विज्ञान में मूल्य निरपेक्षता की सम्भावना पर विचारकों में मतभेद है। क्योंकि कुछ विचारकों का यह मानना है कि मूल्य निरपेक्षता की सम्भावना राजनीति में हो सकती है। परन्तु कुछ इसकी सम्भावना को नकारते हैं। अतः इस प्रकार राजनीति विज्ञान में तथ्यों के मूल्य निरपेक्ष के अध्ययन के संबंध में विचारकों के दो दृष्टिकोण बन गए है अनुभववादी तथा अनुभवेतरवादी। पहला दृष्टिकोण विचारकों का मत है कि राजनीति का एक महत्त्वपूर्ण व सारभाग तटस्थ तथा वस्तुनिष्ठ रह कर भी अध्ययन किया जा सकता है। अर्थात् पहले वर्ग के विचारक तथ्य मूल्य पृथकता के समर्थक हैं, लेकिन अनुभवेतरवादी तथ्यों तथा मूल्यों की पृथकता का विरोध करते हैं। उनके अनुसार तथ्यों को मूल्यों से अलग करना अवांछनीय ही नहीं, बल्कि असम्भव भी है। अनुभवेतरवादी का मत है कि राजनीति का अध्ययन वैज्ञानिक नहीं हो सकता है। इसको ऐसा होना भी नहीं चाहिए, लेकिन इसके विपरित अनुभववादियों का मत है कि मूल्यों का कोई भी स्त्रोत हो, लेकिन तथ्यों की उपलब्धि उनके वैज्ञानिक अध्ययन की सम्भावना का प्रतीक है। राजनीतिक विज्ञान का अध्ययन मूल्य निरपेक्ष होना चाहिए। इस समस्या को तथ्य मूल्यों की समस्या की संज्ञा दी जाती है। वे विचारक अनुभववादी कहलाते जो तथ्यों को विश्लेषण का आधार मानते हैं। लेकिन जो विचारक तथ्यों के विश्लेषण को आधार बनाना चाहते हैं वे अनुभवेतरवादी विचारक कहलाते हैं।
आधुनिक अनुभववादियों की इस संबंध में दो धारणायें हैं -
- पहली धारणा के अन्तर्गत स्वयं को मूल्य निरपेक्ष रखते हुए निर्दिष्ट मूल्यों के साथ तथ्यों का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाये।
- दूसरी धारणा यह कि उदात्त व व्यापक मूल्यों का स्पष्ट उल्लेख करके उनके प्रकाश में मूल्यों तथा तथ्यों का विश्लेषण किया जाये।
उपरोक्त सभी विवरणों से यह स्पष्ट होता है कि वर्तमान युग में आधुनिक राजनीतिक सिद्धांत की मुख्य समस्या 'राजनीतिक विज्ञान में मूल्य निरपेक्षता की समस्या' है।
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