पहचान की राजनीति पर टिप्पणी कीजिए। पहचान की राजनीति : आधुनिक लोकतांत्रिक राज्यों में तमाम प्रयासों के बावजूद आज भी ऐसे अनेक वर्ग विद्यमान है, जिन्हें
पहचान की राजनीति पर टिप्पणी कीजिए।
पहचान की राजनीति
पहचान की राजनीति : आधुनिक लोकतांत्रिक राज्यों में तमाम प्रयासों के बावजूद आज भी ऐसे अनेक वर्ग विद्यमान है, जिन्हें व्यवस्था में अपना स्थान व पहचान अब तक संतोषजनक रूप में नहीं मिल पाये हैं। इसी प्रकार नारियों, अति-पिछड़ों, दलित वर्गों, निर्धनों व शोषितों का भी पहचान हेतु संघर्ष जारी है। यह संघर्ष जब राजनीतिक संदर्भ में आ जाता है तो इसे पहचान की राजनीति कहा जाने लगता है। परन्तु विकाशील देशों में इसका एक अन्य रूप भी दिखाई पड़ता है। इसके तहत दूर-दराज के छुटभैये नेता जोकि राजनीतिक महत्वाकांक्षा से ग्रसित हैं, ऐसे मुद्दों को उठाते हैं जोकि क्षेत्रीयतावाद, आपावाद या अन्य संकुचित लक्षणों से मुक्त होते हैं। इससे उन्हें शीघ्र व सस्ती लोकप्रियता भी प्राप्त हो जाती है। इस प्रकार पहचान की राजनीति अपने व्यापक रूप में समाज के पिछड़े, शोषित, उपेक्षित वर्गों द्वारा राजव्यवस्था में अपनी पहचान बनाने हेतु संघर्ष को व्यक्त करती है तो वहीं संकुचित रूप में यह सस्ती लोकप्रियता का भी प्रतीक है।
नागरिक स्तर पर या व्यक्तिगत स्तर पर कोई विशेष प्रकार का सिद्धान्त एवं व्यवहार राजनीति (पॉलिटिक्स) कहलाती है। अधिक संकीर्ण रूप से कहें तो शासन में पद प्राप्त करना तथा सरकारी पद का उपयोग करना राजनीति है। राजनीति में बहुत से रास्ते अपनाये जाते हैं जैसे- राजनीतिक विचारों को आगे बढ़ाना, कानून बनाना, विरोधियों के विरुद्ध युद्ध आदि शक्तियों का प्रयोग करना। राजनीति बहुत से स्तरों पर हो सकती है- गाँव की परम्परागत राजनीति से लेकर, स्थानीय सरकार, सम्प्रभुत्वपूर्ण राज्य या अन्तराष्ट्रीय स्तर पर। इस प्रकार पहचान की राजनीति (identity politics) ऐसी राजनैतिक विचारधाराएँ और तर्क होते हैं जो किसी देश, राज्य या अन्य राजनैतिक इकाई के पूर्ण हित को छोड़कर उन समूहों के हितों और परिप्रेक्ष्यों को बढ़ावा देने पर बल दें जिसके लोग सदस्य हों। यह समूह जाति, धर्म, लिंग, विचारधारा, राष्ट्रीयता, संस्कृति, भाषा, इतिहास, व्यवसाय या अन्य किसी लक्षण पर आधारित हो सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि जिस समूह के सन्दर्भ में पहचान की राजनीति की जा रही है उस समूह के सभी सदस्य ऐसी राजनैतिक गतिविधियों में भागीदार हों या उसका समर्थन करें।
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