पूस की रात कहानी का नामकरण
'पूस की रात' कहानी का नामकरण मूल कथ्य की समग्र अन्तः बाह्य योजना को ध्यान में रखकर किया गया प्रतीत होता है। पौष मास की भयावह ठण्डी रात के इर्द-गिर्द कहानी का घटनाक्रम बुना गया है। उसी रात के दारूण यथार्थ को उजागर करती यह कहानी किसान वर्ग के पीड़ित और शोषित जीवन पर प्रकाश डालती है। 'पूस की रात' उस व्यवस्था का प्रतीक बनकर भी उभरी है जो समाज में हर प्रकार के सामान्यजनों का शोषण करना जानती है। इस प्रकार इन मूल तथ्यों की सृष्टि के आधार पर कहा जा सकता है कि नामकरण 'पूस की रात' पूर्णतः सार्थक और कथानुरूप है।