नशा कहानी की संवाद योजना पर प्रकाश डालिए।
नशा कहानी की संवाद योजना
'नशा' कहानी की संवाद योजना बड़ी चुटीली और अर्थपूर्ण है। साधारण से साधारण पात्र भी सटीक संभाषण में तल्लीन दृष्टिगत होता है। यथा - ठाकुर ने फिर पूछा - तो खुशी से दे देंगे। जो लोग खुशी से न देंगे, उनकी ज़मीन छीननी ही पड़ेगी। हम लोग तो तैयार बैठे हुए हैं।
शब्दों में ठाकुर की लार सहज ही टपकती दिखाई पड़ती है। यहीं संवादों की सार्थकता है। संक्षिप्त होते हुए भी ये चुटीले हैं। कहानी बीर के माध्यम से आत्म-कथ्य में लिखी गई है, इसलिए नायक का मनन एवं चिंतन व्यवहार एवं वास्तविकता उसके संवादों से ही टपकती है।