नशा कहानी का उद्देश्य - झूठ एवं छद्म के मोहपाश में फंसकर वास्तविकताओं को भूलना जीवन में त्रासद स्थितियों को उत्पन्न करता है। नशा कह्मनी का उद्देश्य इस
नशा कहानी का उद्देश्य - Nasha Kahani ka Uddeshya
नशा कहानी का उद्देश्य :- प्रेमचंद की सभी कहानियां सोद्देश्य हैं। उनका उद्देश्य समाज की विसंगतियों को उखाड़कर आस्थावादी संदेश देना होता है। झूठ एवं छद्म के मोहपाश में फंसकर वास्तविकताओं को भूलना जीवन में त्रासद स्थितियों को उत्पन्न करता है। बीर अपने ही जाल में फंसता चला जाता है। पहले उसे संकोच होता था। एक गरीब क्लर्क का बेटा पैसे के बल पर किसी को नाच नहीं नचा सकता। परन्तु ईश्वरी के वैभव के कंधे पर चढ़कर उस पर नशा छाने लगा। नशा कह्मनी का उद्देश्य इसी मानवीय कमजोरी पर प्रकाश डालना है। नौकरों को ईश्वरी के अंदाज में डांटना उसे सुहावना लगा। रेलवे कैंटीन में खानसामों का उसे उपेक्षा की दृष्टि से देखना बेहद बुरा लगा। ईश्वरी की संगत में उसकी भी इच्छा होती है कि उसके साथ रईसों सा व्यवहार हो परन्तु यह तो मिथ्या आकांक्षा थी । यही कारण है कि अन्त में वह गरीब बीर की आत्मा में लौट आता है। उसका नशा काफूर हो जाता है।
लेखक ने सामाजिक वैषम्य पर प्रहार तो किया है परन्तु कहानी का चरम उत्कर्ष इस बात की ओर भी संकेत करता है कि इस खाई को पाटना इतना सहज एवं सरल नहीं। शताब्दियों से खड़ी हुई धनवान एवं निर्धन की दीवारें अभेद्य हैं। कभी सुराज के माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है कि संभव है समान बंटवारे का समय आए। महात्मा गांधी का सपना सकार हो लेकिन अभी देश और काल की स्थितियां परिपक्व नहीं... उनमें परिवर्तन में अभी समय लगेगा।
इस प्रकार यह कहानी आदर्श की ओर अग्रसर होने के लिए लालायित होती हुई भी मोहभंग की कहानी बन गई। तंद्रा में बीर स्वप्न देखता रहा, क्षणभर के लिए ईश्वरी के घर में सुख-सुविधाएं भोगता रहा परंतु कब तक। वह मोहपाश से बाहर आते ही बिफर जाता है। यह निर्मम यथार्थ की सशक्त कहानी बन गई है .... केवल कल्पना से ही कुछ प्राप्त नहीं होगा... अभी संघर्ष की यातना बाकी है। प्रेमचंद कहानी की चरम परिणति को प्रश्न चिह्न की स्थिति में लाकर खुला छोड़ देते हैं। इससे कहानी का अर्थ-गाम्भीर्य और भी बढ़ गया तथा यह कहानी कलात्मकता से परिपूर्ण हो गई है।
COMMENTS