पंच परमेश्वर कहानी की भाषा शैली - Panch Parameshwar Kahani ki Bhasha Shaili
पंच परमेश्वर कहानी की भाषा शैली - अभिव्यक्ति की कुशलता पर ही कहानीकार की सफलता निर्भर करती है । कहानी सभी वर्ग के लोग पढ़ते हैं, अतः कहानी की भाषा सरल, स्पष्ट, प्रवाहपूर्ण चुस्त और सशक्त होनी चाहिए। लेखक ने 'पंचपरमेश्वर' कहानी में सरल, सहज तथा व्यावहारिक भाषा का प्रयोग किया है, जो पात्रानुकूल है। उनकी भाषा में तत्सम, तद्भव, उर्दू भाषा के शब्दों का प्रयोग हुआ है। कहीं-कहीं आमबोलचाल की भाषा का प्रयोग किया गया है। मुहावरों और लोकोक्तियों के प्रयोग ने भाषा को और भी स्वाभाविक बना दिया है। भाषा में चित्रात्मकता का गुण विद्यमान है। पंच परमेश्वर' कहानी में वर्णनात्मक, संवादात्मक तथा मनोविश्लेषणात्मक शैली का भी प्रयोग हुआ है । अतः भाषा शैली की दृष्टि से यह एक सफल कहानी है।