नशा कहानी की भाषा शैली
नशा कहानी की भाषा पात्रों के अनुकूल है। कहीं कहीं उर्दू के शब्दों का प्रयोग मिलता है, जो रियासत अली जैसे पात्र के मुंह में सटीक लगता है और कहीं-कहीं लेखक की अप्रत्यक्ष टिप्पणी से निःसृत जान पड़ता है। गुस्से में आकर ईश्वरी अंग्रेजों के एक वाक्य का भी प्रयोग करता है - बीर को डांटने के लिए, उसे स्थिति की भयावहता से परिचित करवाने के लिए।
कहानी की शैली सपाट न होकर दृष्टांत की है। पहले से अमीर-गरीब की खाई का विचार लेखक के मन में है। इसी के प्रतिपादन के लिए स्थितियों का चयन किया गया है, जिसमें फंसकर नायक पुनः अपनी औकात को पहचानता है। शैली की रोचकता ने कहानी के तथ्य को बल प्रदान किया है।