दो मित्रों के बीच पढ़ाई पर संवाद लेखन लिखिये : In This article, We are providing तीन बच्चों / मित्रों के बीच पढ़ाई को लेकर संवाद लेखन and दो मित्रों के बीच पढ़ाई पर संवाद लेखन for Students and teachers.
दो मित्रों के बीच पढ़ाई पर संवाद लेखन
गौरव : सौरभ पहले तो तुम बहुत अच्छे से पढ़ाई करते थे लेकिन अब मैं देख रहा हूँ कि टीम पढ़ाई में बिलकुल भी ध्यान नहीं दे रहे हो।
सौरभ : क्या यार तुम भी हर वक्त बस पढाई की रट लगाए रहते हो। कभी कुछ और बातचीत भी किया करो।
गौरव : मैं कई दिन से देख रहा हूँ की तुमने नए मित्र बना लिए हैं। कहीं ये उनकी संगति का असर तो नहीं ?
सौरभ : अगर बना लिए हैं तो तुम्हे इससे क्या ? तुम अपने काम से काम रखो।
गौरव : मुझे क्या पड़ी है। अगर फेल होगे तो तुम होंगे। मुझे तो तुम्हे देखकर शर्म आती है कि ये मेरा वही दोस्त है जो हमेशा प्रथम आया करता था।
सौरभ : ऐसा न कहो दोस्त। लेकिन तुम ही बताओ अगर मैं थोड़ा समय निकलकर खेल लेता हूँ तो इसमें क्या गलत है ?
गौरव : मैं तो तुम्हे हमेशा खेलते ही देखता हूँ। क्या तुम्हे अहसास है की तुम्हे पढ़ाने के लिए तुम्हारे माता-पिता कितनी मेहनत करते हैं ?
सौरभ : (रोते हुए ) मैं सच में रास्ता भटक गया था। तुमने आज मेरी आँखें खोल दी।
गौरव : आज से प्रण कर लो कि सारी बातें छोड़कर पढ़ाई में ध्यान लगाओगे। यह बात गाँठ बाँध लो कि जीवन में शिक्षा ही तुम्हारे काम आएगी, कोई और चीज़ काम आने वाली नहीं है।
सौरभ : (वचन देते हुए) मैं संकल्प करता हूँ कि अबसे मैं पढ़ाई में पूरा मन लगाऊंगा, चाहे इसके लिए मुझे कुछ भी क्यों न करना पड़े।
तीन बच्चों के बीच पढ़ाई को लेकर संवाद लेखन
परमीत : अगर तुम भी ध्यान देकर पढ़ाई करते और मेहनत करते तो आज तुम्हे लज्जित न होना पड़ता।
संजीव : तुम ठीक कहते हो दोस्त। पर मेरा मन पढ़ाई में लगता ही नहीं। मै जो भी याद करता हूँ, भूल जाता हूँ।
गौरव : जब तुम्हारा मन इधर-उधर भटकता रहेगा तो किसी एक चीज पर ध्यान लगेगा भी कैसे।
संजीव : पर आज मुझे अहसास हो गया की पढ़ाई करने से चारों तरफ सम्मान मिलता है। पड़ोसी और रिश्तेदार सभी तारीफ़ करते हैं।
परमीत : इसके बाद भी तुम मन लगाकर नहीं पढ़ते। कभी सोचा है कि अगर पढोगे नहीं तो जीवन में सफल कैसे होंगे ? क्या तुम अपना जीवन ऐसे ही बिता देना चाहते हो ?
संजीव : मुझे अब यह बात अच्छी तरह समझ आ गयी है। तुम्हे पता है आज प्रधानाचार्य जी तुम दोनों की तारीफ़ कर रहे थे।
गौरव : तो इस बात से कुछ सीखो। आखिर हम भी चाहते हैं की कभी प्रधानाचार्य जी तुम्हारी भी तारीफ करें।
संजीव : अवश्य मित्र। अब मै पूरे मन से पढ़ाई करूँगा। अगली परीक्षा में मेरा प्रदर्शन देखना।
परमीत : हमें बड़ी ख़ुशी होगी अगर तुमने सच में जैसा कहा है वैसा प्रदर्शन कर दिया।
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