राजनीतिक विकास की चार प्रमुख विशेषताएं : समानता के प्रति ऐसी सामान्य भावना जिससे राजनीति में भाग लेने और सरकारी पदों के लिए प्रतियोगिता करने के समान अ
राजनीतिक विकास की विशेषताएं बताइये।
राजनीतिक विकास की चार प्रमुख विशेषताएं
- समानता के प्रति ऐसी सामान्य भावना जिससे राजनीति में भाग लेने और सरकारी पदों के लिए प्रतियोगिता करने के समान अवसरों की अनुमति रहे।
- राजनीतिक व्यवस्था में नीतियों का निर्धारण और उनको क्रियान्वित करने की क्षमता हो।
- राजनीतिक कार्यों का ऐसा विभिन्नीकरण और विशेषीकरण हो जो उनकी समग्र एकता की कीमत पर न हो।
- राजनीतिक प्रक्रियाओं का इस तरह लौकिकीकरण हो जिससे राजनीतिक, धार्मिक उद्देश्यों और प्रभावों से पृथक् रह सके।
आमण्ड और पावेल के अनुसार राजनीतिक विकास की विशेषताएं
- भूमिका विभिन्नीकरण;
- उप-व्यवस्था स्वायत्तता, तथा
- लौकिकीरण।
आमण्ड व पावेल मानते हैं कि संरचनाओं का विभिन्नीकरण इतना महत्त्वपूर्ण नहीं है जितना कि भूमिका का विभिन्नीकरण। सोवियत रूप में संरचनाओं का विभिन्नीकरण है किन्तु भूमिका का विभिन्नीकरण नहीं पाया जाता है। इस कारण आमण्ड और पावेल, पाई से एक कदम आगे जाकर राजनीतिक विकास के लिए संरचनात्मक विभिन्नीकरण आवश्यक मानते हैं जो यथार्थ में भूमिकाओं का विभिन्नीकरण भी हो। उदाहरण के लिए, किसी राजनीतिक व्यवस्था में कार्यपालिका, कार्यपालिका की ही भूमिका का निष्पादन करे और व्यवस्थापिका या न्यायपालिका की भूमिका का निष्पादन नहीं करे तो इसको भूमिका-विभिन्नीकरण माना जाएगा।
पाई जिसे राजनीतिक व्यवस्था की क्षमता कहते हैं, आमण्ड और पावेल उसे उप-व्यवस्था की स्वायत्तता कहते हैं। इनका मत है कि भूमिका विभिन्नीकरण तब तक सम्भव नहीं हो सकता जब तक राजनीतिक व्यवस्था की उप-व्यवस्थाओं को स्वायत्तता प्राप्त नहीं हो। उप-व्यवस्था की स्वायत्तता शक्ति के एक स्थान पर केन्द्रण के स्थान पर विकेन्द्रीकरण का संकेत है। उप-व्यवस्था स्वायत्तता वाली राजनीतिक व्यवस्था में सारी माँगें सीधे एक केन्द्र पर स्थित सरकार के पास नहीं आती हैं, अन्य संरचनाओं को तथा उप-व्यवस्थाओं को स्वायत्तता प्राप्त होने के कारण उनके निर्णयों में रूपान्तरण की व्यवस्था अनेक स्तरों पर हो जाती है।
आमण्ड और पावेल ने राजनीतिक विकास की तीसरी विशेषता लौकिकीकरण की बताई है। लौकिकीकरण का सम्बन्ध सही रूप में संस्कृति से ही है। परम्परागतता से दूर हटाने और धर्म निरपेक्षता की तरफ समाज तभी बढ़ सकते हैं जबकि व्यक्तियों में वह समानता आये जिसकी बात पाई ने राजनीतिक विकास की विशेषता के रूप में की है। किसी राजनीतिक समाज में लौकिकीकरण का सम्बन्ध लोगों की अभिवृत्तियों में परिवर्तन आने से है। अभिवृत्तात्मक परिवर्तन समानता के साथ ही चलता है।
COMMENTS