इस लेख में विभिन्न विद्वानों के अनुसार जनजाति की परिभाषा तथा प्रमुख विशेषताओं का वर्णन किया गया है।
जनजाति का अर्थ, परिभाषा तथा विशेषता बताइये।
इस लेख में विभिन्न विद्वानों के अनुसार जनजाति की परिभाषा तथा प्रमुख विशेषताओं का वर्णन किया गया है।
जनजाति का अर्थ एवं परिभाषा
इम्पीरियल गजेटियर के अनुसार, “जनजातीय परिवार या परिवारों का ऐसा समुदाय है, जिसका एक सामान्य नाम होता है, जो एक सामान्य बोली बोलते है, जो एक सामान्य भू-भाग पर रहने का दावा करता हो, और जो हमेशा अन्तर्विवाह नहीं करता, भले ही प्रारम्भकर्ता रहा हो।"
मडौक के अनुसार “जनजाति एक सामाजिक समूह है, जिसकी एक अलग भाषा होती है तथा भिन्न संस्कृति एवं एक स्वतन्त्र राजनैतिक संगठन होता है।"
गिलिन एवं गिलिन के अनुसार “स्थानीय आदिम समूहों के किसी भी समूह को जो कि एक सामान्य क्षेत्र में रहता हो, एक सामान्य भाषा बोलता हो और एक सामान्य संस्कृति का अनुसरण करता हो, एक जनजाति कहते हैं।'
डॉ. मजूमदार के अनुसार “एक जनजाति अनेक परिवारों के समूह का एक संकलन होता है, जिसका एक सामान्य नाम होता है, जिनके सदस्य एक निश्चित भू-भाग पर रहते हैं, सामान्य भाषा बोलते हैं, और विवाह या उद्योग के विषय में कुछ निषेधों का पालन करते हैं, और एक निश्चित एवं उपयोगी आदान प्रदान का परस्पर विकास करते हैं।
रवीन्द्र नाथ मुकर्जी के अनुसार- “एक जनजाति वह क्षेत्रीय समूह है, जो भू-भाग, भाषा, सामाजिक नियम और आर्थिक कार्य आदि विषयों में एक समानता के सूत्र में बंधा होता है।"
उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि “जनजाति एक ऐसा सामाजिक समूह है, जो एक निश्चित क्षेत्र में, एक निश्चित भाषा, विशिष्ट संस्कृति और सामाजिक संगठन रखता है।"
जनजाति की प्रमुख विशेषताएं (Janjati ki Pramukh Visheshta)
1. एक सामान्य भाषा - प्रत्येक जनजाति की अपनी एक भाषा होती है, जिसके माध्यम से ये अपने अपने विचारों को अभिव्यक्त करते हैं। ये जनजातियाँ प्रायः स्थानीय बोलियों का प्रयोग करती है।
2. एक विशेष नाम - प्रत्येक जनजाति अपने नाम से पहचानी जाती है। जनजाति के सदस्य अपने नाम से ही अपना परिचय प्रस्तुत करते हैं। जैसे गोंड, बैगा, भील, संथाल, सहरिया आदि ।
3. निश्चित भू-भाग - जनजाति एक निश्चित भू-भाग में निवास करती है। एक निश्चित भू-भाग में रहने के कारण ही जनजातियों में सामान्य जीवन की विशेषताएँ विकसित हो जाती हैं। निश्चित भू-भाग जनजातियों की विशिष्ट पहचान हैं। जैसे-बैगा जनजाति का बैगाचक क्षेत्र, भारिया जनजाति का पातालकोट क्षेत्र, माडिया-मुरिया जनजाति का अबुझमाड़ क्षेत्र आदि।
4. सामान्य संस्कृति - प्रत्येक जनजाति अपनी विशिष्ट संस्कृति से जानी जाती हैं। किन्तु एक ही जनजाति के सभी सदस्यों में एक सामान्य संस्कृति अर्थात प्रथाएँ, रीति-रिवाज, नृत्य, धर्म, खान-पान, रहन-सहन होता है।
5. परिवारों का एक समूह - सामान्यतः जनजातियों के अध्ययन से स्पष्ट होता है, कि प्रत्येक जनजाति एकसमान प्रजातीय तत्वों, एकसमान भाषा-संस्कृति वाले परिवारों का एक समूह है।
6. नातेदारी का महत्व - ये सामान्यतः अपनी प्रथा, परम्परा, विश्वास आदि नातेदारों तक ही सीमित रखते हैं।
7. अन्तर्विवाही समूह - जनजाति एक अन्तर्विवाही समूह है, प्रत्येक जनजाति इसका कड़ाई से पालन करते हैं।
8. राजनैतिक संगठन - प्रत्येक जनजाति का एक मुखिया होता है, जो अपने समाज की परम्पराओं का पालन कराने, नियंत्रण रखने एवं नियमों के उल्लंघन करने पर दण्ड की व्यवस्था करता है।
9. आर्थिक आत्मनिर्भरता - प्रत्येक जनजातीय समाज अपने आप में आर्थिक दृष्टि से आत्मनिर्भर रहता है। अपनी सभी आर्थिक आवश्यकताओं को ये स्वयं ही पूरा कर लेते हैं। शिकार, वनोपज संग्रहण तथा कृषि के माध्यम से जनजातियाँ अपनी दैनिक आवश्यकताएँ स्वयं पूर्ण करती हैं।
10. सामान्य निषेध - जनजातियों में सामान्य निषेध के कारण ही खान-पान, विवाह, परिवार, व्यवसाय के प्रतिबंध बने हैं।
मानवशास्त्री मजूमदार के अनुसार जनजातियों जनजाति की विशेषताएं
- भारत में जनजाति निश्चित रूप से एक क्षेत्रीय समूह है।
- एक जनजाति के सभी सदस्य एक दूसरे के नातेदार नहीं होते किन्तु प्रत्येक भारतीय जनजाति के अन्तर्गत नातेदारी एक सुदृढ, सहचारी, नियामक और एकीकरण के सिद्धांत के रूप में कार्य करती है।
- सामूहिक पैमाने पर अन्तर्जातीय संघर्ष भारतीय जनजातियों के कारण नहीं है।
- राजनैतिक दृष्टि से भारतीय जनजातियाँ राज्य सरकारों के नियंत्रण में है। किन्तु एक जनजाति का अपना निज स्वायत्त राजनैतिक संगठन होता है।'
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