कमजोर वर्ग की अवधारणा (Concept of Weaker Section) संवैधानिक दृष्टिकोण से कमजोर, दुर्बल या दलित वर्ग में अनुसूचित जातियाँ, अनुसूचित जनजातियां व अन्य कु
कमजोर वर्ग किसे कहते हैं ? इस वर्ग की कौन सी विशेषता वाले लोगों को शामिल किया जाता है ?
कमजोर वर्ग की अवधारणा (Concept of Weaker Section)
संवैधानिक दृष्टिकोण से कमजोर, दुर्बल या दलित वर्ग में अनुसूचित जातियाँ, अनुसूचित जनजातियां व अन्य कुछ पिछड़े वर्गों को रखा गया है। इसमें समाज के ऐसे वर्ग को रखा गया है जो साधनहीन है। भारतीय संविधान भाईचारे तथा समानता पर बल देता है, अतः संविधान निर्माताओं ने विचार किया कि समाज में समानता को वास्तविक रूप देने के लिए दलित, दुर्बल तथा कमजोर वर्ग को ऊंचा उठाना होगा तथा सवर्ण हिन्दुओं व अन्य उच्च वर्गों की ही तरह उन्हें भी शिक्षा की सुविधा की व्यवस्था करनी होगी। इस संदर्भ में अनुच्छेद 46 के अनुसार, "राज्य जनता के दुर्बलतर अंगों के, विशेषतया अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के शिक्षा और अर्थ सम्बन्धी हितों की विशेष सावधानी से रक्षा करेगा तथा सामाजिक अन्याय तथा सभी प्रकार के शोषण से उनकी रक्षा करेगा। भारत के संविधान में जिस प्रकार कमजोर या दुर्बल वर्ग का प्रयोग हुआ है उससे यह तो अनुमान लगाया जा सकता है कि इसमें अनुसूचित जातियों व अनुसूचित जनजातियों के अतिरिक्त भी कुछ वर्गों में किया गया है लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि वे कौन से वर्ग होंगे।
जी. डी. रामाराव, बी. एस. मिन्हास, एम. डी. देसाई, पार्थ सारथी व योगेश अटल आदि अर्थशास्त्रियों व समाजशास्त्रियों ने कमजोर वर्ग को परिभाषित करने के लिए मुख्य रूप से आर्थिकसामाजिक मापदंड निर्धारित किए है। इन विद्वानों के कथनानुसार कमजोर या दुर्बल वर्ग के अंतर्गत निम्नलिखित विशेषताओं वाले व्यक्तियों को सम्मिलित किया जाता है .
कमजोर या दुर्बल वर्ग की विशेषताएं
- लघु तथा सीमान्त कृषक जो सिंचाई आदि की सुविधाओं से वंचित हों।
- वे व्यक्ति जिनके उत्पादन में सक्रिय सहयोग प्रदान करने के उपरान्त भी निरन्तर श्रम का शोषण किया जाता रहा हो तथा जो अपनी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ऋणग्रस्त हों।
- वे व्यक्ति जो मानवीय ऊर्जा तथा पशु ऊर्जा के सहारे ही जीवनयापन करें।
- वे व्यक्ति जो अपने जीवन की न्यूनतम मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा न कर सकें। भोजन, वस्त्र, आवास और चिकित्सा की सुविधाएं जुटाने में असमर्थ हो तथा उनकी आय निर्धनता रेखा से बहुत नीचे हो।
- वे व्यक्ति जो मुख्यता दैनिक मजदूरी पर ही आश्रित हों तथा वह भी अनियमित तथा ऋतुओं के परिवर्तन पर आश्रित हों।
- वे व्यक्ति जिनके पास इतनी लागत पूंजी नहीं है कि वे कच्चे माल तथा अन्य उत्पादित वस्तुओं को खरीद सकें।
ऊपर दिये गये सभी मापदण्डों पर आधारित कमजोर वर्ग में समाज के उस वर्ग को शामिल किया जाता है जो सामाजिक, आर्थिक सुविधाओं से वंचित, शोषित एवं पिछड़ा हुआ हो। इन मापदंडों के आधार पर अनुसूचित जनजातियों, अनुसूचित जातियों, पिछड़े वर्गो, लघु सीमान्त कृषकों, भूमिहीन मजदूरों, बंधुआ मजदूरों व परम्परागत कारीगरों को कमजोर वर्ग में माना गया है।
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