हरित क्रांति से आप क्या समझते हैं। इसके लाभ बताइए। ग्रीनपीस क्या है? समझाइये। "हरित क्रांति से अर्थ कृषि की उत्पादन शक्ति अथवा तकनीक को सुधारने एवं कृ
हरित क्रांति से आप क्या समझते हैं। इसके लाभ बताइए।
- ग्रीनपीस क्या है? समझाइये।
हरित क्रांति का अर्थ
"हरित क्रांति से अर्थ कृषि की उत्पादन शक्ति अथवा तकनीक को सुधारने एवं कृषि उत्पादन में वृद्धि करने से है।" इस प्रकार हरित क्रान्ति में मुख्य रूप से दो बातें आती हैं - 1. उत्पादन तकनीक में सधार और 2. कषि उत्पादन में वृद्धि उत्पादन तकनीक में सुधार हल के स्थान पर ट्रैक्टर से जुताई करने, मानसून पर निर्भर न रहकर, ट्यूबवैल से सिचाई करने और उपज को जानवरों के पैर से अलग न करके थ्रेसर मशीन का उपयोग करने आदि से है। जबकि कृषि उत्पादन में वृद्धि अच्छे बीज बोने, अच्छी रासायनिक खाद देने और उचित समय पर पानी की व्यवस्था करने आदि से है तथा फसलों को कीटाणुओं से बचाने से हैं।
भारत में हरित क्रांति के शुभारम्भ का श्रेय स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री को दिया जा सकता है जिन्होंने "जय जवान-जय किसान" का नारा दिया, जिसके अनुसार देश को सैनिक दृष्टि से शक्तिशाली बनाने का कार्य सैनिकों का है जबकि खाद्यान्न क्षेत्र में आत्म-निर्भर बनाने का कार्य किसानों का है।
हरित क्रान्ति के लाभ
हरित क्रांति या ग्रीनपीस नीति से सबसे पहला लाभ यह हुआ है कि कृषि उत्पादन बढ़ा है। विशेष रूप से गेहूँ, बाजरा, चावल, मक्का और ज्वार के उत्पादन में आशातीत वृद्धि हुई है। जिसके परिणामस्वरूप खाद्यान्नों में भारत आत्मनिर्भर हो गया।
- परम्परागत स्वरूप में परिवर्तन - नवीन कृषि नीति से खेती के परम्परागत में परिवर्तन हुआ है। अब खेती व्यवसायिक दृष्टि से की जाने लगी। जबकि पहले सिर्फ पेट भरने के लिए उत्पादन करने की दृष्टि से की जाती थी।
- कृषि बचतों में वृद्धि - उन्नत बीज, रासायनिक खाद, उत्तम सिंचाई के साधन और मशीनों के प्रयोग से उत्पादन बढ़ा है। जिससे कृषक के पास बचतों की मात्रा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, जिसको देश के विकास के लिए काम में लाया जा सकता है। इससे औद्योगिक क्षेत्र में भी प्रगति हुई है तथा उत्पादन भी बढ़ा है।
- विश्वास में वृद्धि - हरित क्रान्ति का सबसे बड़ा लाभ यह हुआ है कि कृषक जनता व सरकार सभी में यह विश्वास जागृत हुआ है कि भारत कृषि उत्पादन व पदार्थों के क्षेत्र में न केवल आत्म-निर्भर हो सकता है। बल्कि आवश्यकता पड़ने पर कृषि उपजों का निर्यात भी कर सकता है।
- खाद्यान्नों के आयात में कमी - प्रो० एम०एल० दन्तवाला के मत में, "हरित क्रान्ति ने साँस लेने योग्य राहत का समय दिया है। इससे खाद्यान्नों की कमी की चिन्ता से छुटकारा मिला है तथा अर्थशास्त्रियों और नियोजकों का ध्यान पुनः भारतीय योजनाओं की ओर लगा।"
- रोजगार के अवसरों में वृद्धि - हरित क्रान्ति से देश में रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है। खाद, पानी, यन्त्रों आदि के सम्बन्ध में लोगों को रोजगार मिला है। इसके साथ-साथ कृषि यन्त्रों की मरम्मत उद्योग में भी कुछ व्यक्तियों को रोजगार मिला है।
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