संसदीय उत्तरदायित्व
संसदीय उत्तरदायित्व : वर्तमान लोकतान्त्रिक शासन प्रणालियों के युग में कार्यपालिका के उत्तरदायित्व की प्रकृति के आधार पर दो रूप प्रचलित हैं- (i) संसदीय शासन प्रणाली एवं (ii) अध्यक्षीय शासन प्रणाली। इनमें से संसदीय शासन प्रणाली में कार्यपालिका संसद' के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होती है, इस स्थिति को ही संसदीय उत्तरदायित्व' की संज्ञा दी जाती है।
'संसदीय उत्तरदायित्व' का मुख्य आधार यह कि संसद जनप्रतिनिधियों का सदन है और लोकतन्त्र में जनता के प्रति उत्तरदायी होने की बाध्यता के चलते 'कार्यपालिका' को संसद के प्रति उत्तरदायी होना अपरिहार्य है।
संसद द्वारा 'संसदीय उत्तरदायित्व' सम्बन्धी प्राधिकार का प्रयोग निम्नांकित तरीकों से किया जाता है
- प्रश्न व पूरक प्रश्न पूछकर।
- विभिन्न प्रस्ताव लाकर, जैसे-'अविश्वास प्रस्ताव,"कटौती प्रस्ताव,"निन्दा प्रस्ताव''काम रोको प्रस्ताव' इत्यादि।
- सदन का बहिष्कार।
- संसदीय समितियों द्वारा, जैसे-प्राक्कलन समिति, लोकलेखा समिति इत्यादि।
- बजट अभिभाषण की समीक्षा।
- कार्यपालिका के अनुचित कृत्यों की निन्दा।
इस प्रकार 'संसदीय उत्तरदायित्व' कार्यपालिका की निरंकशता, स्वेच्छाचारिता व अनुत्तरदायित्व . पर अंकुश की दृष्टि से अत्यन्त ही महत्वपूर्ण व अपरिहार्य स्थिति है। संसदीय शासन प्रणाली वाले देशों जैसे-भारत, ब्रिटेन इत्यादि में यह तत्व अनिवार्य रूप से पाया जाता है।