ओजोन परत के क्षय होने का कारण लिखिए। ओज़ोन परत पृथ्वी के वायुमंडल की एक परत है। इस ओजोन की परत की खोज 1913 में फ्रांस के भौतिकविदों फैबरी चार्ल्स और ह
ओजोन परत के क्षय होने का कारण लिखिए।
- ओजोन परत के क्षरण के कारण बताइये।
- ओजोन परत का ह्रास किसके कारण होता है?
ओजोन परत के क्षय होने का कारण
1. मानवीय कारण - ओजोन की परत में होने वाले छिद्र का एक महत्त्वपूर्ण कारण मानव द्वारा प्रयुक्त किये जाने वाले दैनिक सुविधाओं के यन्त्रों से व वस्तुओं से उत्सर्जित गैस हैं। फ्रिज ए० सी०, मानव प्रयुक्त अनेक प्रकार के स्प्रे, फोम में से क्लोरोफ्लोरो कार्बन गैस निकलती है जो इस परत को क्षीण करने का कार्य करती है। अनेक प्रकार के रसायनों का मनमाना प्रयोग भी वातावरण में जहरीली गैस उत्पन्न करता है। जो इस परत को नुकसान पहुँचाती है।
2. प्राकृतिक कारण - ओजोन परत में छिद्र होने के प्राकृतिक कारण भी हैं सूर्य के तेज प्रकाश के बाद जब मंदाकिनीय कास्मिक किरणें तथा सौर प्रोटोन विसर्जित होते हैं तो ये प्रोटोन समताप मण्डल तथा मध्य मण्डल में प्रवेश कर वायुमण्डल में उपस्थित नाइट्रोजन का विखण्डन कर देते हैं इससे ऑक्सीजन तथा ओजोन के साथ श्रृंखला प्रतिक्रिया नाइट्रिक ऑक्साइड बनकर ओजोन मण्डल प्रदूषित होता है।
3. रासायनिक कारण - ओजोन परत में छिद्र करने में क्लोरिन नाइट्रिक ऑक्साइड परमाणु विस्फोट, सूर्य तथा मन्दाकिनीय कास्मिक किरणों से निकले लघु कण नाइट्रोजन युक्त उर्वरक से उत्पन्न नाइट्रिक ऑक्साइड, ज्वालामुखी विस्फोट से उत्पन्न क्लोरीन आदि महत्त्वपूर्ण कारक का कार्य करते हैं।
4. जेट वायुयान में उच्च तापमान की दहन प्रक्रिया के फलस्वरूप नाइट्रिक ऑक्साइड निकलकर ओजोन गैस को क्षीण कर देती है।
5. ज्वालामुखी का विस्फोट होने पर विभिन्न जहरीली गैसों से युक्त बादल 50 किमी० की ऊँचाई पर जाकर समताप मण्डल में प्रवेश करके क्लोरीन की अधिक मात्रा ओजोन परत को हानि पहुँचाती है।
6. अधिक जनसंख्या की उदर पूर्ति हेतु खाद्यान्न उत्पादन में नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों का प्रयोग बढ़ रहा है। नाइट्रोजन के तत्व वायु के माध्यम से वातावरण में प्रवेश करके ओजोन को प्रदूषित करते हैं।
वर्तमान समय में पर्यावरण से सम्बंधित प्रमुख समस्याओं में ओजोन परत में छिद्र की समस्या सबसे प्रमुख है। इस परत में छिद्र होने के अनेक गम्भीर परिणाम संपूर्ण पृथ्वी को भुगतने पड़ेंगे। इस प्रकार के छिद्र से त्वचा कैंसर, वनस्पतियों की हानि, पृथ्वी के तापक्रम में अभिवृद्धि, साग-सब्जियों की हानि, पारिस्थितिकीय तंत्र में हानि आदि की घटनाओं में वृद्धि होगी। सन् 1983 में नैरोबी संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अधिवेशन में प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया है कि ओजोन परत के क्षय से मूंगफली का उत्पादन 50 प्रतिशत, मक्के का उत्पादन 10 प्रतिशत, गेहूँ का उत्पादन 30 प्रतिशत तथा सोयाबीन का उत्पादन 45 प्रतिशत कम हो गया है तथा फलों के उत्पादन पर भी इसका विपरीत प्रभाव पड़ा है।
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