संविधान की प्रकृति से आप क्या समझते हैं ? भारतीय संविधान की प्रकृति की विवेचना कीजिए
उत्तर - प्रकृति की दृष्टि से संविधान दो प्रकार के होते हैं। एक संघात्मक संविधान दूसरा, एकात्मक संविधान | संघात्मक संविधान वह संविधान है जिसमें शक्तियों का विभाजन केन्द्र एवं राज्यों के मध्य कर दिया जाता है जबकि एकात्मक संविधान वह संविधान है जिसके अंतर्गत समस्त शक्तियाँ केन्द्र में निहित होती हैं तथा राज्य केन्द्र के निर्देशानुसार शासन संचालित करते हैं।
भारतीय संविधान की प्रकृति के संबंध में विद्वानों में मतभेद है। प्रो० व्हीयर भारतीय संविधान को एक अर्द्ध संघीय (Quassi-Federal) मानते हैं। हालांकि भारतीय संविधान में अधिकांश संघीय लक्षण विद्यमान हैं जैसे - शक्तियों का विभाजन, संविधान की सर्वोच्चता, लिखित एवं कठोर संविधान इत्यादि, किन्तु संविधान में अनेक एकात्मक तत्व भी देखने को मिलते हैं। जैसे- राज्यपाल का पद, आपात-उपबंध, राज्य सूची के विषयों पर संसद की शक्ति इत्यादि। इन एकात्मक तत्वों के आधार पर संविधान को अर्द्ध संघात्मक कहना उचित नहीं है। वास्तव में केन्द्र को शक्तिशाली बनाने के पीछे संविधान निर्माताओं का उद्देश्य विघटनकारी तत्वों से देश की रक्षा करना तथा विशुद्ध संविधान के दोषों से बचना था।
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